लिंग: एक हिंदी कविता 📜-👫🧠💖➡️🏳️‍🌈🤝➡️🌍❤️

Started by Atul Kaviraje, September 07, 2025, 07:52:24 PM

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Atul Kaviraje

लिंग: एक हिंदी कविता 📜-

चरण 1
जग ने बांटे, दो रंग न्यारे,
एक पुरुष, एक नारी, दोनों ही प्यारे।
रंगों की सीमा, ये किसने बनाई,
क्या सिर्फ देह से, पहचान पाई?अर्थ: यह चरण बताता है कि समाज ने लिंग के आधार पर दो अलग-अलग पहचानें बनाई हैं, पुरुष और महिला। यह सवाल करता है कि क्या यह पहचान सिर्फ शारीरिक बनावट पर आधारित होनी चाहिए।

चरण 2
पुरुष को कहा, तुम हो बलवान,
नारी को कहा, तुम हो कोमल महान।
रूढ़ियों की बेड़ी, जकड़ी है कैसी,
क्यों हर गुण को, बांटा है वैसे?अर्थ: इसमें लिंग रूढ़ियों का वर्णन है। समाज ने पुरुषों को 'बलवान' और महिलाओं को 'कोमल' की भूमिकाएं दी हैं, जो इन रूढ़ियों को दर्शाती हैं।

चरण 3
एक ही सूरज, एक ही हवा,
क्यों लिंग के बंधन में, जकड़ा है युवा?
सोच अलग, अरमान अलग,
हर व्यक्ति है, एक अनोखा ही जग।
अर्थ: यह चरण बताता है कि सभी इंसान एक ही दुनिया में रहते हैं, फिर भी उन्हें लिंग के आधार पर अलग-अलग सोच और सपनों के साथ जीना पड़ता है।

चरण 4
लिंग नहीं, पहचान है दिल की,
आत्मा की, मन की और सोच की।
कोई पुरुष नहीं, कोई नारी नहीं,
बस इंसान हैं, और कुछ नहीं।
अर्थ: यह बताता है कि लिंग हमारी सच्ची पहचान नहीं है, बल्कि हमारी आत्मा और सोच हमारी पहचान है। यह इस बात पर जोर देता है कि हम सभी सबसे पहले इंसान हैं।

चरण 5
आओ तोड़ें, ये झूठी दीवारें,
मिलकर बनाएं, एक नया सवेरा।
जहाँ हर कोई, खुलकर जिए,
अपने मन की, पहचान से जिए।
अर्थ: यह चरण लिंग के आधार पर बनी दीवारों को तोड़ने और एक नए समाज का निर्माण करने का आह्वान करता है, जहाँ हर कोई अपनी इच्छा के अनुसार जी सके।

चरण 6
कोई गे (Gay) हो, कोई लेस्बियन (Lesbian) हो,
कोई ट्रांसजेंडर (Transgender), या गैर-बाइनरी हो।
सबको मिले, समान सम्मान,
यही है मानवता की, सच्ची पहचान।
अर्थ: यह कविता LGBTQ+ समुदाय की विभिन्न पहचानों को स्वीकार करने और उन्हें सम्मान देने की बात करती है, जो सच्ची मानवता को दर्शाती है।

चरण 7
नया युग है, नई सोच का आगमन,
लिंग से ऊपर, है हर एक जन।
मानवता ही, हमारा धर्म है,
समानता ही, हमारा कर्म है।
अर्थ: अंतिम चरण में कहा गया है कि यह एक नया युग है जहाँ हम सभी को लिंग से ऊपर उठकर एक-दूसरे को इंसान के रूप में देखना चाहिए। मानवता और समानता ही हमारा सच्चा धर्म और कर्म होना चाहिए।

कविता सार संक्षेप (इमोजी): 👫🧠💖➡️🏳��🌈🤝➡️🌍❤️

--अतुल परब
--दिनांक-07.09.2025-रविवार.
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