श्री बिरदेव दूध अर्पण: पट्टण कोडोली का एक अनूठा भक्ति पर्व-

Started by Atul Kaviraje, September 08, 2025, 02:42:09 PM

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Atul Kaviraje

श्री बिरदेव दूध अर्पण-पट्टण कोडोली-

श्री बिरदेव दूध अर्पण: पट्टण कोडोली का एक अनूठा भक्ति पर्व-

श्री बिरदेव को दूध अर्पण-

पट्टण कोडोली की पावन भूमि,
जहाँ भक्ति का सागर लहराया।
श्री बिरदेव महाराज की जय,
जब दूध अर्पण का पर्व आया। 🥛

अर्थ: पट्टण कोडोली की पवित्र भूमि पर, जहां भक्ति का सागर उमड़ रहा है। श्री बिरदेव महाराज की जय हो, जब दूध अर्पण का यह पर्व आया।

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भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी,
हाथों में दूध के भांडे भरे।
श्रद्धा और प्रेम से भरे मन,
चले मंदिर की ओर सब खरे। 🤗

अर्थ: भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है, उनके हाथों में दूध से भरे बर्तन हैं। श्रद्धा और प्रेम से भरे मन के साथ, वे सभी मंदिर की ओर चल पड़े हैं।

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दूध नहीं ये अमृत है,
बिरदेव को जो चढ़ाया जाए।
पशुधन की हो रक्षा,
फसलें भी अच्छी हों आए। 🌾

अर्थ: यह दूध नहीं, बल्कि अमृत है, जो भगवान बिरदेव को चढ़ाया जाता है। इससे पशुधन की रक्षा होती है और फसलें भी अच्छी होती हैं।

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लोकगीत गाते हैं भक्त,
करते हैं पारंपरिक नृत्य।
यह पर्व हमें सिखाता है,
संस्कृति और प्रेम का सत्य। 🕺💃

अर्थ: भक्त लोकगीत गाते हैं और पारंपरिक नृत्य करते हैं। यह पर्व हमें संस्कृति और प्रेम का सत्य सिखाता है।

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नंगे पाँव चलते हैं,
कुछ रखते हैं कठिन व्रत।
भक्ति का ये अनूठा रूप,
दूर करे मन के हर मत। 🙏

अर्थ: कुछ भक्त नंगे पांव चलते हैं और कुछ कठिन व्रत रखते हैं। भक्ति का यह अनोखा रूप मन के सभी भ्रमों को दूर करता है।

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प्रसाद बाँटा जाता है,
सबको मिलता है आशीर्वाद।
भाईचारा बढ़ता है,
बढ़ता है प्रेम का स्वाद। ❤️

अर्थ: प्रसाद सभी में बांटा जाता है और सभी को आशीर्वाद मिलता है। इससे भाईचारा बढ़ता है और प्रेम का स्वाद भी बढ़ता है।

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दूध अर्पण का ये संदेश,
प्रकृति का करो सम्मान।
हर जीव में देखो ईश्वर,
यही है जीवन का असली ज्ञान। 🕊�

अर्थ: दूध अर्पण का यह संदेश है कि हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए। हर जीव में ईश्वर को देखना चाहिए, क्योंकि यही जीवन का सच्चा ज्ञान है।

--अतुल परब
--दिनांक-07.09.2025-रविवार.
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