Hate:-घृणा: एक हिंदी कविता 📜-🚫🔥💔➡️💖🤝➡️🕊️🌍

Started by Atul Kaviraje, September 08, 2025, 09:27:02 PM

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Atul Kaviraje

Hate: Intense dislike or strong aversion.-

घृणा: एक हिंदी कविता 📜-

चरण 1
घृणा है एक आग, जो मन में जले,
प्रेम की कलियों को, ये कभी ना खिले।
कड़वे बोल, और कड़वी ज़ुबान,
घृणा ने छीना, हर एक इंसान का मान।
अर्थ: यह चरण बताता है कि घृणा एक आग की तरह है जो हमारे मन में जलती रहती है और हमारे भीतर प्रेम की भावनाओं को पनपने नहीं देती। यह हमारे मान-सम्मान को भी छीन लेती है।

चरण 2
ना रंग देखे, ना देखे ये धर्म,
ना कोई रिश्ता, ना कोई कर्म।
ये तो बस नफरत का, बीज बोता,
जिसके पास हो, वो चैन से ना सोता।
अर्थ: यह बताता है कि घृणा किसी भी धर्म, रंग या रिश्ते को नहीं पहचानती। यह सिर्फ नफरत फैलाती है, और जो इसे अपने भीतर पालता है, उसे कभी शांति नहीं मिलती।

चरण 3
अंधा बना दे, ये हर एक आँख को,
सच और झूठ में, ना समझे फ़र्क को।
बेशक सामने, हो कोई भला,
घृणा तो बस, देखती है बुरा।
अर्थ: यह घृणा के अंधेपन का वर्णन करता है। यह हमें सही और गलत के बीच का फर्क समझने नहीं देती और सिर्फ नकारात्मकता ही दिखाती है।

चरण 4
बातें करती है, मन की दीवारों पर,
फैलाती है जहर, हर एक इंसान पर।
झूठे आरोप, और मन के वहम,
घृणा ने कर दिया, सबको बेहम।
अर्थ: यह बताता है कि घृणा हमारे दिमाग में गलतफहमियां पैदा करती है और पूरे समाज में जहर फैलाती है।

चरण 5
दुश्मन बनाए, ये अपनों को भी,
दिल को करे खाली, और करे ज़ख्मी।
ये तो है एक, बीमारी ही बुरी,
जो धीरे-धीरे, करे खत्म पूरी।
अर्थ: यह बताता है कि घृणा हमें अपने प्रियजनों से भी दूर कर देती है और हमारे दिल को खाली कर देती है। यह एक ऐसी बीमारी है जो हमें धीरे-धीरे खत्म कर देती है।

चरण 6
आओ इस आग को, बुझाएं हम सब,
प्यार की बारिश, गिराएं हम सब।
एक दूजे का, करें हम सम्मान,
घृणा से बड़ा है, हमारा ईमान।
अर्थ: यह हमें घृणा की आग को प्रेम और सम्मान की वर्षा से बुझाने का आह्वान करता है। यह बताता है कि हमारा ईमान घृणा से कहीं अधिक बड़ा है।

चरण 7
सहनशीलता की, ज्योति जलाएं,
सबको अपना, हम दोस्त बनाएँ।
घृणा को हराएं, और प्यार को अपनाएं,
एक सुंदर दुनिया, मिलकर बनाएँ।
अर्थ: अंतिम चरण हमें सहिष्णुता (tolerance) की ज्योति जलाने और घृणा को हराने का संदेश देता है, ताकि हम सब मिलकर एक सुंदर और प्रेमपूर्ण दुनिया बना सकें।

कविता सार संक्षेप (इमोजी): 🚫🔥💔➡️💖🤝➡️🕊�🌍

--अतुल परब
--दिनांक-08.09.2025-सोमवार.
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