ग्रहण करीदिन: श्रद्धा, संयम और आत्म-चिंतन का समय-कविता: ग्रहण की बेला-🌑🧘‍♀️🙏✨

Started by Atul Kaviraje, September 09, 2025, 02:18:55 PM

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Atul Kaviraje

ग्रहण करीदिन-

ग्रहण करीदिन: श्रद्धा, संयम और आत्म-चिंतन का समय-

हिंदी कविता: ग्रहण की बेला-

चरण 1
आसमान में छाया अँधेरा,
ग्रहण की बेला है आई।
सूर्य हो या चंद्रमा,
अपनी शक्ति है गंवाई।

अर्थ: आसमान में अँधेरा छा गया है, क्योंकि ग्रहण का समय आ गया है। चाहे वह सूर्य हो या चंद्रमा, इस समय उनकी शक्ति कम हो जाती है।

चरण 2
मंदिर के पट बंद हुए,
शांत हुआ है हर शोर।
मंत्रों की गूँज उठी,
भक्तों का मन है विभोर।

अर्थ: मंदिरों के दरवाजे बंद हो गए हैं और हर तरह का शोर शांत हो गया है। मंत्रों की गूँज उठ रही है और भक्तों का मन भक्ति में लीन हो गया है।

चरण 3
जप, तप और ध्यान करें,
मन को अपने शुद्ध करें।
नकारात्मक ऊर्जा मिटाएँ,
सकारात्मक ऊर्जा भरें।

अर्थ: हमें इस समय जप, तप और ध्यान करना चाहिए, ताकि हम अपने मन को शुद्ध कर सकें। नकारात्मक ऊर्जा को मिटाकर हमें अपने भीतर सकारात्मक ऊर्जा भरनी चाहिए।

चरण 4
दान-पुण्य का समय है,
यह पुण्य कमाने का अवसर है।
हाथ बढ़ाकर मदद करें,
यही तो जीवन का सार है।

अर्थ: यह दान और पुण्य करने का समय है, यह पुण्य कमाने का एक अवसर है। हमें दूसरों की मदद के लिए हाथ बढ़ाना चाहिए, क्योंकि यही जीवन का सार है।

चरण 5
तुलसी दल रखें भोजन में,
अपनी रक्षा स्वयं करें।
गर्भवती बहनें रहें घर में,
कोई जोखिम न लें।

अर्थ: हमें भोजन में तुलसी के पत्ते रखने चाहिए, ताकि हम अपनी रक्षा कर सकें। गर्भवती महिलाओं को घर के अंदर रहना चाहिए और कोई जोखिम नहीं लेना चाहिए।

चरण 6
खत्म हुआ जब ग्रहण का काल,
अँधेरा हटा, छाया उजियारा।
नया आरंभ हुआ,
फिर से रोशन हुआ जग सारा।

अर्थ: जब ग्रहण का समय समाप्त हो गया, तो अँधेरा हट गया और प्रकाश छा गया। एक नई शुरुआत हुई और पूरा संसार फिर से रोशन हो गया।

चरण 7
यह जीवन का एक पाठ है,
हर अँधेरे के बाद उजाला है।
श्रद्धा से जो पार करे,
वही तो भाग्यशाली है।

अर्थ: यह ग्रहण हमें जीवन का एक पाठ सिखाता है कि हर अँधेरे के बाद उजाला आता है। जो व्यक्ति श्रद्धा और धैर्य के साथ इस समय को पार करता है, वही सबसे भाग्यशाली होता है।

इमोजी सारांश: 🌑🧘�♀️🙏✨📜🎁🥗🏡

--अतुल परब
--दिनांक-08.09.2025-सोमवार.
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