मैराळस्वामी पुण्यतिथी: भक्तिभावपूर्ण लेख- 12 सितंबर, शुक्रवार-❤️✨

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Atul Kaviraje

मैराळस्वामी पुण्यतिथी-डफळापूर, तालुका-जत-

मैराळस्वामी पुण्यतिथी: भक्तिभावपूर्ण लेख-

आज, 12 सितंबर, शुक्रवार, मैराळस्वामी की पुण्यतिथी है। यह दिन कर्नाटक और महाराष्ट्र, विशेषकर सांगली जिले के जत तालुका में स्थित डफळापूर गाँव के लिए अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण है। संत मैराळस्वामी ने अपना पूरा जीवन समाज सेवा, भक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान के प्रचार-प्रसार में समर्पित कर दिया। उनका जीवन और उनके विचार आज भी लाखों लोगों को सही मार्ग दिखाते हैं।

मैराळस्वामी पुण्यतिथी के 10 प्रमुख बिंदु
मैराळस्वामी का परिचय

संत मैराळस्वामी 18वीं सदी के एक महान संत और समाज सुधारक थे।

उनका जन्म कर्नाटक में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपना अधिकांश जीवन महाराष्ट्र में बिताया।

उन्होंने अपनी भक्ति और चमत्कारों के लिए ख्याति प्राप्त की।

डफळापूर का महत्व

डफळापूर, जत तालुका, सांगली जिले में स्थित एक छोटा-सा गाँव है।

यहीं पर संत मैराळस्वामी ने समाधि ली थी, इसलिए यह स्थान उनके भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थस्थल बन गया है।

हर वर्ष उनकी पुण्यतिथी पर यहाँ लाखों भक्त आते हैं।

पुण्यतिथी का उद्देश्य

पुण्यतिथी, संत के जीवन और उनके महान कार्यों को याद करने का दिन है।

यह दिन हमें उनके आदर्शों को अपनाने और समाज में उनके संदेशों को फैलाने के लिए प्रेरित करता है।

यह दिन भक्तों को एकजुट होने और अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का अवसर देता है।

पुण्यतिथी का अनुष्ठान

पुण्यतिथी पर, डफळापूर में स्थित उनके समाधि स्थल पर विशेष पूजा-अर्चना और अभिषेक किया जाता है।

भजन, कीर्तन और प्रवचन का आयोजन होता है, जिसमें उनके जीवन और उपदेशों पर चर्चा की जाती है।

भक्तगण 'पालखी' लेकर गाँव में घूमते हैं।

'महाप्रसाद' (सामूहिक भोजन) का वितरण किया जाता है, जिसमें हजारों लोग भाग लेते हैं। 🍲🙏

संत मैराळस्वामी के उपदेश

सादा जीवन, उच्च विचार: उन्होंने सादगी और निस्वार्थ सेवा का महत्व सिखाया।

भक्ति और कर्म का मेल: उन्होंने बताया कि सिर्फ भक्ति ही काफी नहीं, बल्कि कर्मों की शुद्धता भी महत्वपूर्ण है।

सभी धर्मों का सम्मान: उन्होंने धर्मनिरपेक्षता का उपदेश दिया और सभी को एक समान माना।

संत के चमत्कार

लोककथाओं के अनुसार, संत मैराळस्वामी ने कई चमत्कार किए थे।

उदाहरण के लिए, सूखे कुएँ में पानी भरना या बीमार लोगों को ठीक करना।

इन चमत्कारों ने उनकी ख्याति को बढ़ाया और लोगों में उनके प्रति श्रद्धा को गहरा किया।

समाज सुधार में योगदान

उन्होंने शिक्षा और नैतिकता का महत्व समझाया।

उन्होंने समाज में व्याप्त अंधविश्वासों और कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया।

उन्होंने गरीब और जरूरतमंदों की मदद करने का संदेश दिया।

भक्ति और समर्पण का भाव

पुण्यतिथी पर उमड़ने वाली भीड़ संत के प्रति लोगों के अटूट विश्वास और भक्ति का प्रतीक है।

इस दिन भक्तगण अपनी श्रद्धा और समर्पण को व्यक्त करने के लिए दूर-दूर से यात्रा करके डफळापूर आते हैं।

पुण्यतिथी का संदेश

यह हमें सिखाता है कि महानता धन या शक्ति में नहीं, बल्कि निस्वार्थ सेवा और भक्ति में निहित है।

हमें संत मैराळस्वामी के दिखाए मार्ग पर चलकर समाज में भाईचारा और शांति स्थापित करनी चाहिए।

आज का संकल्प

आइए हम सब मिलकर संत मैराळस्वामी के आदर्शों का पालन करने का संकल्प लें।

उनके उपदेशों को अपने जीवन में अपनाकर एक बेहतर इंसान बनें। यह ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। ❤️✨

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-12.09.2025-शुक्रवार.
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