उपळेकर महाराज की पुण्यतिथि: भक्ति और ज्ञान का संगम- रविवार, 14 सितंबर, 2025-

Started by Atul Kaviraje, September 15, 2025, 04:19:24 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

उपळेकर महाराज की पुण्यतिथि: भक्ति और ज्ञान का संगम-

आज, रविवार, 14 सितंबर, 2025 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के फलटण में महान संत उपळेकर महाराज की पुण्यतिथि मनाई जा रही है। उपळेकर महाराज, जिनका मूल नाम रामकृष्ण विष्णू उपळेकर था, एक सिद्ध संत और दार्शनिक थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन अध्यात्म और समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उनकी शिक्षाएं आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। यह दिन उनके महान योगदान को श्रद्धापूर्वक याद करने का दिन है।

उपळेकर महाराज की पुण्यतिथि: 10 मुख्य बिंदु

जीवन परिचय:
पूरा नाम: रामकृष्ण विष्णू उपळेकर।

जन्म: फलटण, महाराष्ट्र।

योगदान: उन्होंने वारकरी संप्रदाय को आगे बढ़ाया और 'गुरु-शिष्य' परंपरा के महत्व को बढ़ाया।

शिक्षा: उन्होंने अपने उपदेशों में 'ज्ञान' और 'भक्ति' के मिलन पर जोर दिया।

वारकरी संप्रदाय से संबंध:
उपळेकर महाराज वारकरी संप्रदाय के एक महान संत थे।

वे संत ज्ञानेश्वर, संत तुकाराम और अन्य संतों की शिक्षाओं का पालन करते थे।

उन्होंने लोगों को भगवान के नाम का स्मरण करने और सादा जीवन जीने का महत्व बताया।

ज्ञान और भक्ति का संगम:
महाराज ने कहा कि केवल भक्ति से मोक्ष नहीं मिलता, उसके लिए ज्ञान की भी आवश्यकता है।

उनके अनुसार, ज्ञान आत्म-साधना और भगवान को जानने का साधन है।

उन्होंने 'ज्ञान' और 'भक्ति' को एक ही सिक्के के दो पहलू माना।

शिष्य परंपरा:
महाराज ने कई शिष्यों को मार्गदर्शन दिया और उन्हें आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर किया।

उनके शिष्य उनकी शिक्षाओं का पालन करते हैं और उनके विचारों को समाज में फैलाते हैं।

यह शिष्य परंपरा आज भी फलटण और महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में सक्रिय है।

पुण्यतिथि का उत्सव:
उपळेकर महाराज की पुण्यतिथि पर हर साल फलटण में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।

इसमें हजारों भक्त एक साथ आकर भजन, कीर्तन और प्रवचन करते हैं।

यह उत्सव महाराज की शिक्षाओं को याद करने और उनके योगदान को श्रद्धांजलि देने का एक माध्यम है।

पवित्र स्थान:
फलटण में महाराज का समाधि स्थल भक्तों के लिए एक पवित्र तीर्थ स्थान है।

लोग यहां शांति का अनुभव करने और ध्यान करने आते हैं।

यह स्थान आध्यात्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र है।

समाज के लिए योगदान:
उपळेकर महाराज ने केवल आध्यात्मिक ज्ञान ही नहीं दिया, बल्कि सामाजिक कार्यों में भी भाग लिया।

उन्होंने लोगों को स्वच्छता, पर्यावरण और नैतिक मूल्यों का महत्व बताया।

उनके उपदेशों ने समाज में अच्छाई और एकता का प्रसार किया।

सादा जीवन:
महाराज का जीवन सादा था और उन्होंने किसी भी प्रकार के भौतिक सुखों का त्याग कर दिया था।

उन्होंने लोगों को 'सादा जीवन और उच्च विचार' के मूल्यों का पालन करने का महत्व बताया।

उनका जीवन ही उनके विचारों का सबसे अच्छा उदाहरण था।

पुण्यतिथि के कार्यक्रम:
इस दिन सुबह से ही विशेष पूजा और अभिषेक किए जाते हैं।

इसके बाद पालकी यात्रा निकाली जाती है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त भाग लेते हैं।

महाप्रसाद (सामूहिक भोजन) का वितरण किया जाता है, जिसमें हजारों लोग भोजन करते हैं।

निष्कर्ष:
उपळेकर महाराज की पुण्यतिथि केवल एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा दिन है जो हमें उनके महान विचारों की याद दिलाता है।

उनका जीवन और शिक्षाएं हमें मार्गदर्शन करती हैं कि सच्ची खुशी और शांति के लिए भक्ति और ज्ञान दोनों आवश्यक हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-14.09.2025-रविवार.
===========================================