मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम दिवस: शौर्य, संघर्ष और स्वाधीनता का प्रतीक-📜🇮🇳✊⚔️🛡️

Started by Atul Kaviraje, September 18, 2025, 05:08:32 PM

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Atul Kaviraje

मराठवाडा मुक्तिदिन-

मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम दिवस: शौर्य, संघर्ष और स्वाधीनता का प्रतीक-

मराठवाड़ा मुक्ति संग्राम: शौर्य की कविता-

(१)
सत्रह सितंबर का वो दिन महान,
जब गूँजा था आजादी का गान।
मराठवाड़ा ने पाई थी मुक्ति,
जब मिटा था निजामी अभिमान।

अर्थ: यह चरण 17 सितंबर के ऐतिहासिक दिन का महत्व बताता है, जब मराठवाड़ा को आजादी मिली और निजाम का घमंड चूर हुआ।

(२)
हैदराबाद के निजामी राज में,
घुट रही थी हर एक साँस।
रजाकारों के जुल्म से,
खो रही थी हर एक आस।

अर्थ: इस चरण में निजाम के शासनकाल और रजाकारों के अत्याचारों का वर्णन है, जिसके कारण लोग बहुत परेशान थे।

(३)
जगा था तब मराठवाड़ा का स्वाभिमान,
आंदोलन में दिया था सबने अपना योगदान।
हर गाँव, हर गली से उठी थी आवाज,
भारत में विलय ही था सबका सम्मान।

अर्थ: यह चरण मराठवाड़ा के लोगों के जन आंदोलन और भारत में विलय की उनकी इच्छा को दर्शाता है।

(४)
सरदार पटेल की थी वो हुँकार,
किया था उन्होंने निर्णायक वार।
ऑपरेशन पोलो की थी वो तैयारी,
जिसने दी थी मुक्ति की सौगात।

अर्थ: इस चरण में सरदार वल्लभभाई पटेल की दूरदर्शिता और ऑपरेशन पोलो की तैयारी का उल्लेख है, जिसने मराठवाड़ा को स्वतंत्रता दिलाई।

(५)
शहीदों की वो गाथा है अमर,
जिनके लहू से पावन हुई ये डगर।
माटी का कर्ज चुकाया उन्होंने,
आजादी को बनाया था घर।

अर्थ: यह चरण उन शहीदों को समर्पित है, जिन्होंने अपने प्राणों का बलिदान देकर मराठवाड़ा को मुक्त कराया।

(६)
संघर्ष की ये कहानी,
पीढ़ी दर पीढ़ी है सुनानी।
इतिहास के पन्नों में ये लिखी है,
आजादी की एक अमिट निशानी।

अर्थ: यह चरण बताता है कि मराठवाड़ा के मुक्ति संग्राम की कहानी पीढ़ी-दर-पीढ़ी सुनाई जानी चाहिए, क्योंकि यह आजादी की एक अमिट निशानी है।

(७)
मराठवाड़ा की धरती गाए,
आजादी का जय घोष लगाए।
हर दिल में बसे शहीदों की याद,
जय हिंद, जय भारत गाए।

अर्थ: यह आखिरी चरण मराठवाड़ा की धरती पर आजादी का जयघोष करता है और शहीदों को याद करते हुए जय हिंद, जय भारत का नारा लगाता है।

इमोजी सारांश
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--अतुल परब
--दिनांक-17.09.2025-बुधवार.
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