एकादशी श्राद्ध: पितरों के मोक्ष का अनुपम साधन- 17 सितंबर 2025, बुधवार-🙏🌙✨📜🪷

Started by Atul Kaviraje, September 18, 2025, 05:18:42 PM

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Atul Kaviraje

एकादशी श्राद्ध-

एकादशी श्राद्ध: पितरों के मोक्ष का अनुपम साधन-

17 सितंबर 2025, बुधवार

🙏 1. एकादशी श्राद्ध का परिचय और तिथि 🌙
हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है, और इस दौरान पितरों को श्रद्धांजलि देने के लिए श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। एकादशी श्राद्ध उन पूर्वजों के लिए किया जाता है, जिनकी मृत्यु एकादशी तिथि को हुई हो। 17 सितंबर 2025, बुधवार को यह विशेष श्राद्ध कर्म किया जाएगा। यह एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होने के कारण इस श्राद्ध का महत्व और भी बढ़ जाता है।

2. महत्व और धार्मिक आधार ✨
श्राद्ध का मुख्य उद्देश्य पितरों को तृप्त करना और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करना है। एकादशी तिथि पर श्राद्ध करने से पितरों को सीधे बैकुंठ धाम में स्थान मिलता है, क्योंकि यह दिन स्वयं भगवान विष्णु का है। इस दिन श्राद्ध कर्म करने से पितरों को प्रेत योनि के कष्टों से मुक्ति मिलती है।

3. कौन करे एकादशी श्राद्ध? 📜
यह श्राद्ध उन लोगों द्वारा किया जाता है जिनके किसी भी पूर्वज (माता, पिता, दादा, दादी, नाना, नानी, या अन्य संबंधी) का निधन एकादशी तिथि पर हुआ हो। यदि किसी को अपने पूर्वज की मृत्यु की तिथि याद न हो, तो वे सर्वपितृ अमावस्या के दिन भी श्राद्ध कर सकते हैं, लेकिन एकादशी तिथि पर श्राद्ध करना विशेष फलदायी माना जाता है।

4. पूजा विधि और अनुष्ठान 🪷

तर्पण: श्राद्ध के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। कुश, जल, तिल और फूल से पितरों का तर्पण करें।

पिंडदान: आटे, जौ और तिल से पिंड बनाकर पूर्वजों को अर्पित करें।

भोजन: ब्राह्मणों को भोजन कराएं। यह माना जाता है कि ब्राह्मणों को भोजन कराने से वह भोजन सीधे पितरों तक पहुँचता है।

दान: अपनी क्षमता के अनुसार अन्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान करें।

5. एकादशी और श्राद्ध का संगम 💧
यह श्राद्ध इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पितृपक्ष के श्राद्ध और एकादशी व्रत के पुण्य को मिलाता है। एकादशी का दिन व्रत का होता है, इसलिए इस दिन निराहार रहकर पितरों के लिए प्रार्थना करने का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा भी करें, क्योंकि वही पितरों के उद्धारकर्ता माने जाते हैं।

6. पौराणिक कथा (उदाहरण सहित) 📖
गरुड़ पुराण जैसे कई ग्रंथों में श्राद्ध की महत्ता का उल्लेख है। एक कथा के अनुसार, एक बार यमराज ने गरुड़ को बताया कि श्राद्ध कर्म से पितरों को मोक्ष मिलता है। जब कोई पुत्र एकादशी के दिन श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करता है, तो भगवान विष्णु स्वयं उसके पितरों को अपने धाम में स्थान देते हैं। यह कर्म पितृदोष को दूर करने का एक अचूक उपाय है।

7. पितृदोष और निवारण 🧘�♀️
जिन व्यक्तियों की कुंडली में पितृदोष होता है, उन्हें जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एकादशी श्राद्ध करने से इस दोष से मुक्ति मिल सकती है। यह कर्म न केवल पितरों को शांति देता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में भी सुख-समृद्धि लाता है।

8. श्राद्ध के फल और लाभ ✅

पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है।

परिवार में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

रोग और कष्टों से मुक्ति मिलती है।

पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सफलता मिलती है।

9. आध्यात्मिक संदेश 💖
एकादशी श्राद्ध हमें सिखाता है कि हमारे पूर्वज हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। यह कर्म केवल एक धार्मिक कर्तव्य नहीं, बल्कि यह कृतज्ञता और प्रेम का एक प्रतीक है। यह हमें हमारे इतिहास, हमारी जड़ों और हमारे परिवार की निरंतरता से जोड़ता है।

10. उपसंहार 🕊�
एकादशी श्राद्ध एक ऐसा पवित्र कर्म है जो हमें हमारे पितरों के प्रति सम्मान और प्रेम प्रकट करने का अवसर देता है। यह कर्म न केवल पितरों को मोक्ष प्रदान करता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में भी सुख और शांति का संचार करता है। यह श्राद्ध सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाना चाहिए।

इमोजी सारांश
🙏🌙✨📜🪷💧🌾🧘�♀️💖✅

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-17.09.2025-बुधवार.
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