श्री गुरुदेव दत्त एवं समर्पण दर्शन का अध्ययन- गुरुदेव दत्त: समर्पण की कविता-📜

Started by Atul Kaviraje, September 19, 2025, 05:28:38 PM

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Atul Kaviraje

श्री गुरुदेव दत्त एवं समर्पण दर्शन का अध्ययन-

गुरुदेव दत्त: समर्पण की कविता-

(१)
गुरुदेव दत्त की महिमा है न्यारी,
त्रिदेव का रूप है ये संन्यासी।
शरण में तेरी आया हूँ,
जीवन की नैया दे दी सारी।

अर्थ: यह चरण बताता है कि गुरुदेव दत्त की महिमा अनोखी है, जो त्रिदेव का रूप हैं। भक्त कहता है कि मैं आपकी शरण में आया हूँ और अपने जीवन की नैया आपको सौंप रहा हूँ।

(२)
अहंकार का बोझ है मन पर भारी,
बुद्धि भी मेरी थक गई है सारी।
तेरे दर पर झुका दिया सिर,
कर दो कृपा, प्रभु अवतारी।

अर्थ: इस चरण में भक्त कहता है कि मेरे मन पर अहंकार का बोझ है और मेरी बुद्धि ने भी हार मान ली है। मैं आपके चरणों में सिर झुका रहा हूँ, हे अवतारी प्रभु, मुझ पर कृपा करें।

(३)
कर्म का फल अब ना चाहूँ,
जो भी मिले, बस स्वीकार करूँ।
जो तेरी इच्छा है, वही हो,
इस भाव से ही अब मैं जीऊँ।

अर्थ: यह चरण समर्पण के भाव को दर्शाता है, जहाँ भक्त कहता है कि उसे अपने कर्मों के फल की इच्छा नहीं है और वह केवल गुरु की इच्छा के अनुसार ही जीना चाहता है।

(४)
विश्वास ही मेरा आधार है,
तू ही मेरी हर आस है।
डर नहीं है अब किसी बात का,
जब तक तू मेरे पास है।

अर्थ: इस चरण में भक्त अपने अटूट विश्वास को व्यक्त करता है। वह कहता है कि मेरा विश्वास ही मेरा आधार है और जब तक गुरु मेरे साथ हैं, तब तक मुझे किसी बात का डर नहीं है।

(५)
तू ही राह दिखाए, तू ही मंजिल,
तू ही सागर, तू ही साहिल।
जीवन के हर मोड़ पर तू है,
तू ही मेरा गुरु, तू ही कातिल।

अर्थ: यह चरण बताता है कि भक्त के लिए गुरु ही सब कुछ हैं। गुरु ही मार्ग हैं, गुरु ही मंजिल हैं, और गुरु ही जीवन के हर मोड़ पर मौजूद हैं।

(६)
समर्पण से मिलती है शांति,
मिट जाती है सारी भ्रांति।
कर्म भी तब पूजा बन जाता है,
जब मिलती है गुरु की क्रांति।

अर्थ: इस चरण में बताया गया है कि समर्पण से मन को शांति मिलती है और सभी भ्रम दूर हो जाते हैं। जब गुरु की कृपा मिलती है, तो कर्म भी पूजा के समान हो जाता है।

(७)
ये ही है सच्चा जीवन,
जो तुझ पर किया है अर्पण।
सारे दुखों का हो जाए विसर्जन,
जब गुरु के चरणों में हो समर्पण।

अर्थ: यह अंतिम चरण बताता है कि सच्चा जीवन वही है जो गुरु को समर्पित है। जब गुरु के चरणों में पूर्ण समर्पण होता है, तो सारे दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं।

इमोजी सारांश
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--अतुल परब
--दिनांक-18.09.2025-गुरुवार.
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