गुरु पुष्यामृत: ज्ञान, समृद्धि और शुभता का महापर्व-🙏💫✨🚀💍🏠🧘‍♂️🎁💰👰❌🩺🗓️

Started by Atul Kaviraje, September 19, 2025, 05:54:05 PM

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Atul Kaviraje

गुरु पुष्यामृत-

गुरु पुष्यामृत: ज्ञान, समृद्धि और शुभता का महापर्व-

ज्योतिष शास्त्र में, कुछ ऐसे शुभ संयोग होते हैं जिनका विशेष महत्व होता है, और उन्हीं में से एक है गुरु पुष्यामृत योग। जब गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र का संयोग होता है, तो इस योग का निर्माण होता है। यह दिन इतना शुभ माना जाता है कि इसे किसी भी नए कार्य की शुरुआत, खरीददारी, या धार्मिक अनुष्ठान के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। 18 सितंबर, 2025, गुरुवार के दिन, यह दुर्लभ और पवित्र योग बन रहा है, जो इसे ज्ञान, भक्ति और समृद्धि के लिए एक विशेष अवसर बनाता है। 🙏

1. गुरु पुष्यामृत का परिचय
गुरु पुष्यामृत, जिसे गुरु पुष्य योग भी कहते हैं, दो शक्तिशाली खगोलीय घटनाओं का संगम है: गुरुवार (बृहस्पतिवार), जो ज्ञान, धर्म और समृद्धि का प्रतीक है, और पुष्य नक्षत्र, जिसे सभी नक्षत्रों का राजा माना जाता है। यह योग अपने आप में एक अमृत है, जो किए गए सभी कार्यों में सफलता और शुभता लाता है। 💫

2. गुरु पुष्यामृत का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष के अनुसार, गुरु (बृहस्पति) को देवताओं का गुरु माना जाता है, जो धन, ज्ञान और सौभाग्य के कारक हैं। पुष्य नक्षत्र का स्वामी शनि है, लेकिन इसका अधिष्ठाता देवता बृहस्पति है। इस संयोग के कारण गुरु और शनि का अद्भुत मिलन होता है, जो स्थिरता और समृद्धि दोनों प्रदान करता है। इस योग में किए गए कार्य दीर्घकाल तक शुभ फल देते हैं। ✨

3. गुरु पुष्यामृत के दिन क्या करें?
यह दिन अत्यंत शुभ होने के कारण, कई कार्यों के लिए विशेष रूप से उपयुक्त है:

नए कार्यों की शुरुआत: व्यवसाय, नौकरी, या किसी भी नए प्रोजेक्ट की शुरुआत इस दिन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। 🚀

शुभ खरीददारी: सोना, चांदी, वाहन, या अचल संपत्ति खरीदना बहुत शुभ माना जाता है, क्योंकि इससे समृद्धि बनी रहती है। 💍🏠

धार्मिक अनुष्ठान: पूजा, हवन, मंत्र जाप और आध्यात्मिक साधना के लिए यह दिन सर्वश्रेष्ठ है। 🧘�♂️

गुरुजनों का सम्मान: अपने गुरुओं और बड़ों का आशीर्वाद लेना और उनका सम्मान करना इस दिन विशेष फलदायी होता है। 🙏

औषधि का सेवन: इस दिन औषधि ग्रहण करने से रोग मुक्ति में मदद मिलती है। 💊

4. गुरु पुष्यामृत का पौराणिक संदर्भ
पुष्य नक्षत्र को "सिद्धि योग" भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं में इसे बहुत पवित्र माना गया है। भगवान राम के जन्म के समय भी पुष्य नक्षत्र का योग था, जो उनके जीवन की शुभता और महानता का प्रतीक है। यह नक्षत्र भगवान विष्णु को भी समर्पित है, जिससे इसकी शुभता और बढ़ जाती है। 📖

5. मंत्र जाप और पूजा का महत्व
गुरु पुष्यामृत के दिन मंत्र जाप और पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। गुरु मंत्र "ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः" का जाप करने से बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है, जिससे ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है। 🕉�

6. गुरु पुष्यामृत और दान का महत्व
इस दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। पीले वस्त्र, हल्दी, चने की दाल, घी, और सोना जैसी चीजों का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह दान बृहस्पति ग्रह को प्रसन्न करता है और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है। 🎁💰

7. वैवाहिक कार्यों से संबंधित नियम
यह ध्यान देने योग्य है कि गुरु पुष्यामृत का योग विवाह के लिए शुभ नहीं माना जाता है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, पुष्य नक्षत्र को 'पुंश्चली' (एक महिला जो अपने पति को छोड़कर चली जाए) माना गया है, इसलिए इसमें विवाह करना शुभ नहीं है। 👰❌

8. 18 सितंबर 2025 का विशेष महत्व
18 सितंबर 2025, गुरुवार के दिन, गुरु पुष्यामृत का संयोग बन रहा है। इस दिन का उपयोग अपनी आध्यात्मिक उन्नति, करियर में सफलता और आर्थिक समृद्धि के लिए किया जा सकता है। यह दिन न सिर्फ एक शुभ मुहूर्त है, बल्कि यह एक अवसर है अपने जीवन को सकारात्मक दिशा देने का। 🗓�

9. स्वास्थ्य और गुरु पुष्यामृत
गुरु पुष्यामृत का संबंध स्वास्थ्य से भी है। इस दिन शुरू किया गया कोई भी उपचार अधिक प्रभावी होता है। अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से बीमार है, तो इस दिन औषधि लेना या इलाज शुरू करना बहुत फायदेमंद हो सकता है। 🩺

10. निष्कर्ष: एक सुनहरा अवसर
गुरु पुष्यामृत योग एक सुनहरा अवसर है जो हमें अपने जीवन में शुभता और समृद्धि लाने की शक्ति देता है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि जीवन में सही समय पर किया गया सही कार्य कितना महत्वपूर्ण होता है। यह ज्ञान, धन, और भक्ति का अद्भुत संगम है, जिसका हर किसी को लाभ उठाना चाहिए। 🌺

संक्षेप, गुरु पुष्यामृत: 🙏💫✨🚀💍🏠🧘�♂️🎁💰👰❌🩺🗓�🌺

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-18.09.2025-गुरुवार.
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