महामारी (Pandemic) 😷- महामारी पर कविता ✍️-

Started by Atul Kaviraje, September 22, 2025, 06:59:56 PM

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Atul Kaviraje

महामारी (Pandemic) 😷-

महामारी पर कविता ✍️-

पहला चरण:
एक छोटा सा वायरस, आया कहाँ से,
दुनिया भर में फैल गया, पता नहीं कैसे।
शहर से शहर, देश से देश,
डर का फैला, एक काला सा भेष।
अर्थ: एक छोटा सा वायरस कहाँ से आया, किसी को पता नहीं चला। वह बहुत तेजी से शहरों और देशों में फैल गया और हर जगह डर का माहौल बना दिया।

दूसरा चरण:
बंद हुई दुकानें, सड़कें सूनी हुई,
हर चेहरे पर एक उदासी छाई हुई।
सामाजिक दूरी, नए नियम बने,
अकेले में ही लोग, अपने दिन गिने।
अर्थ: महामारी के कारण दुकानें बंद हो गईं, सड़कें खाली हो गईं और हर कोई उदास हो गया। लोगों को सामाजिक दूरी का पालन करना पड़ा और वे अकेले रहने लगे।

तीसरा चरण:
डॉक्टर और नर्स, थे हमारे सिपाही,
जो हर दिन, जान की बाज़ी लगाते।
अपनी जान पर खेल कर, वो सेवा करते,
दूसरों को जीवन का दान देते।
अर्थ: इस महामारी में डॉक्टर और नर्स हमारे सिपाही बन गए, जो अपनी जान जोखिम में डालकर मरीजों की सेवा करते थे।

चौथा चरण:
अर्थव्यवस्था की गाड़ी धीमी हुई,
कितनों की नौकरी, एक पल में गई।
भूख और गरीबी का था एक नया दौर,
जब हर कोई देख रहा था, एक नया भोर।
अर्थ: महामारी के कारण अर्थव्यवस्था धीमी हो गई और बहुत से लोगों की नौकरियाँ चली गईं। यह भूख और गरीबी का एक नया दौर था, जब सभी एक नए सवेरे की उम्मीद कर रहे थे।

पांचवाँ चरण:
विज्ञान की दौड़, बड़ी तेज़ी से चली,
टीके बनाने की एक नई राह मिली।
हर देश ने मिल कर, यह काम किया,
अंधेरे में आशा का दीप जलाया।
अर्थ: वैज्ञानिक बहुत तेजी से टीके बनाने में जुट गए। सभी देशों ने मिलकर काम किया, जिससे इस महामारी के अंधेरे में आशा की किरण जगी।

छठा चरण:
महामारी ने दिया एक बड़ा सबक,
कि इंसानियत से बड़ा कुछ नहीं अब।
हमें मिल कर रहना है, एक हो कर रहना है,
तभी हम हर मुश्किल को हरा सकते हैं।
अर्थ: इस महामारी ने हमें सिखाया कि इंसानियत ही सबसे बड़ी चीज है। अगर हम सब मिलकर रहेंगे, तो हर मुश्किल का सामना कर सकते हैं।

सातवाँ चरण:
तो सलाम है उन सभी योद्धाओं को,
जिन्होंने इस मुश्किल में साथ दिया।
यह सिर्फ एक रोग नहीं था,
यह मानव की परीक्षा थी।
अर्थ: यह कविता उन सभी लोगों को सलाम करती है जिन्होंने इस मुश्किल समय में मदद की। यह सिर्फ एक बीमारी नहीं थी, बल्कि यह मानवता की एक बड़ी परीक्षा थी।

--अतुल परब
--दिनांक-22.09.2025-सोमवार.
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