नवग्रह और जन्म कुंडली में सूर्य देव का महत्व- 🌻 सूर्य देव पर कविता 🌻-

Started by Atul Kaviraje, September 22, 2025, 07:17:20 PM

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Atul Kaviraje

नवग्रह और जन्म कुंडली में सूर्य देव का महत्व-

🌻 सूर्य देव पर कविता 🌻-

(चरण 1)
भोर हुई, सूरज निकला 🌞, आया दिन का राजा,
तेज से उसके सारा जग, नव प्रकाश से सजा।
अंधकार भागा क्षण में, जैसे कोई छाया,
हर प्राणी के मन में, नव चेतना लाया।
(अर्थ: सुबह हुई, सूरज निकला और दिन का राजा आ गया। उसके तेज से पूरा संसार नए प्रकाश से भर गया। अँधेरा तुरंत भाग गया और हर जीव के मन में नई चेतना जाग गई।)

(चरण 2)
सात घोड़ों के रथ पर, 🏇 वह नित आता,
सुवर्ण वर्ण की आभा से, सब जग चमकाता।
रोग-शोक को दूर भगा, जीवन शक्ति दे जाता,
पिता समान हर प्राणी का, पथ वह दिखलाता।
(अर्थ: सूर्य देव सात घोड़ों के रथ पर रोज़ आते हैं। वह सुनहरे रंग की आभा से पूरे संसार को चमकाते हैं। वह रोग और दुख को दूर करके जीवन शक्ति देते हैं और पिता की तरह हर जीव को सही रास्ता दिखाते हैं।)

(चरण 3)
तेज तुम्हारा है ऐसा, कि कोई ना पाए,
अहंकार और शक्ति का, यह प्रतीक कहलाए।
सिंह राशि के तुम स्वामी, मेष में उच्च कहलाओ,
मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा, तुम ही तो दिलाओ।
(अर्थ: आपकी चमक ऐसी है कि कोई उसका सामना नहीं कर सकता। आप अहंकार और शक्ति के प्रतीक कहलाते हैं। आप सिंह राशि के स्वामी हैं और मेष राशि में उच्च के होते हैं। मान-सम्मान, पद और प्रतिष्ठा आप ही तो दिलवाते हैं।)

(चरण 4)
ज्योतिष का आधार तुम, हर कुंडली के तुम प्राण,
बिना तुम्हारे कैसे होगा, जीवन का गुणगान।
आत्मबल, आत्मविश्वास, तुम ही तो भरते हो,
हर मुश्किल घड़ी में, तुम ही तो साथ देते हो।
(अर्थ: आप ज्योतिष का आधार और हर कुंडली की जान हैं। आपके बिना जीवन की महिमा कैसे होगी? आप ही हमें आत्मबल और आत्मविश्वास देते हैं और हर मुश्किल समय में हमारा साथ देते हैं।)

(चरण 5)
सूर्य नमस्कार है तुमसे, योग साधना का आधार,
छठ पूजा में तुम्हारी, होती है जय-जयकार।
कण-कण में है ऊर्जा तेरी, तेरी महिमा अपरंपार,
सृष्टि के तुम हो पालनहार, हे! सूर्य देव नमः कार।
(अर्थ: सूर्य नमस्कार और योग साधना का आधार आप ही हैं। छठ पूजा में आपकी ही जय-जयकार होती है। हर कण में आपकी ऊर्जा है और आपकी महिमा असीम है। आप ही सृष्टि के पालनहार हैं, हे सूर्य देव आपको नमस्कार है।)

(चरण 6)
कमज़ोर पड़े जब कुंडली में, तब जीवन में निराशा,
अंधकार छाए मन पर, न रहे कोई आशा।
तब अर्घ्य चढ़ाएं तुमको, जल में डाल के रोली,
विनती करें सब तुमसे, भर दो सबकी झोली।
(अर्थ: जब कुंडली में आप कमज़ोर होते हैं, तो जीवन में निराशा आ जाती है। मन पर अँधेरा छा जाता है और कोई आशा नहीं रहती। तब हम आपको जल में रोली डालकर अर्घ्य देते हैं और आपसे विनती करते हैं कि आप सबकी झोली खुशियों से भर दें।)

(चरण 7)
अर्घ्य जल की बूंदों से, हम तुम्हें प्रणाम करें,
जीवन के हर पथ पर, हम तुम्हारा ही ध्यान धरें।
हे आदित्य, भास्कर, दिवाकर 🙏, तुम हो हमारे पिता,
सत्य मार्ग पर ले चलो, यह मेरी तुमसे विनती।
(अर्थ: अर्घ्य के जल की बूंदों से हम आपको प्रणाम करते हैं। जीवन के हर रास्ते पर हम आपका ही ध्यान रखते हैं। हे आदित्य, भास्कर, दिवाकर आप हमारे पिता हैं। मुझे सत्य के मार्ग पर चलाओ, यह मेरी आपसे विनती है।)

--अतुल परब
--दिनांक-21.09.2025-रविवार.
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