श्री भवानीदेवी निद्राकाल समाप्ती: एक अद्भुत आध्यात्मिक जागरण 🙏✨-🙏✨🕉️🔱🔔❤️

Started by Atul Kaviraje, September 22, 2025, 07:58:44 PM

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Atul Kaviraje

श्री भवानीदेवी निद्राकाल समाप्ती-तुळजापूर-

श्री भवानीदेवी निद्राकाल समाप्ती: एक अद्भुत आध्यात्मिक जागरण 🙏✨-

श्री भवानीदेवी: एक कविता-

तुळजापूर की धरती पर,
आज खुशी छाई है।
माँ भवानी निद्रा से जागी,
नवरात्रि आई है।

मंदिर की घंटियाँ बजीं,
भक्तों का मन हर्षाया।
माँ का पालखी उत्सव,
सबको आनंद भाया।

नव दिनों की यह पूजा,
शक्ति का है आह्वान।
माँ भवानी की कृपा से,
जीवन में मिले सम्मान।

आलस्य का त्याग करो,
माँ ने है संदेश दिया।
नई ऊर्जा और उमंग से,
जीवन को तुमने जिया।

शिवाजी महाराज की तुम,
थीं परम आराध्या देवी।
तुम्हारी कृपा से उन्होंने,
स्वराज की ज्योति जलाई।

तुम ही हो माँ कुलस्वामिनी,
तुम ही हो माँ जगदंबे।
तुम्हारी शरण में हम,
पाएँ जीवन की शक्ति।

हम सब तुझको नमन करें,
भक्ति का यह पर्व मनाएँ।
आशीर्वाद तुम्हारा पाकर,
जीवन को सफल बनाएँ।

अर्थ:

पहला चरण: तुळजापूर की धरती पर आज खुशी छाई है, क्योंकि माँ भवानी अपनी निद्रा से जागकर नवरात्रि का आरंभ कर रही हैं।

दूसरा चरण: मंदिर में घंटियाँ बज रही हैं, भक्तों का मन खुश है। माँ का पालखी उत्सव देखकर सभी को आनंद मिल रहा है।

तीसरा चरण: नवरात्रि के नौ दिनों की यह पूजा शक्ति का आह्वान है। माँ भवानी की कृपा से हमें जीवन में सम्मान मिलता है।

चौथा चरण: माँ ने हमें संदेश दिया है कि आलस्य का त्याग करो और नई ऊर्जा और उत्साह से जीवन जियो।

पांचवां चरण: शिवाजी महाराज आपकी परम भक्त थे। आपकी कृपा से ही उन्होंने स्वराज की स्थापना की।

छठा चरण: आप ही हमारी कुलस्वामिनी और जगदंबा हो। आपकी शरण में आकर ही हमें जीवन की शक्ति मिलती है।

सातवाँ चरण: हम सब आपको नमन करते हैं और भक्ति का यह पर्व मनाते हैं। आपका आशीर्वाद पाकर हम अपने जीवन को सफल बनाते हैं।

इमोजी सारांश: 🙏✨🕉�🔱🔔❤️

--अतुल परब
--दिनांक-21.09.2025-रविवार.
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