संहारकर्ता के रूप में भगवान शिव: हिंदी कविता: "महाकाल का तांडव"-

Started by Atul Kaviraje, September 23, 2025, 07:09:34 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

संहारकर्ता के रूप में भगवान शिव:

हिंदी कविता: "महाकाल का तांडव"-

1. प्रथम चरण

डमरू की गूँज जब गूँजती है, 🎶

सृष्टि की हर साँस रुक जाती है।

महाकाल जब आँखें खोलें, 👀

काल स्वयं आकर झुक जाता है।

अर्थ: जब भगवान शिव अपने डमरू को बजाते हैं, तो पूरा ब्रह्मांड उनकी शक्ति को महसूस करता है। जब वे अपनी तीसरी आँख खोलते हैं, तो स्वयं समय भी उनके सामने झुक जाता है।

2. द्वितीय चरण

माथे पर चंद्र, गले में विष, 🌙

श्मशान में वास, ये कैसा है भेष?

भस्मी रमाकर देह पर अपने,

हर मोह से हैं वो दूर, निःशेष।

अर्थ: माथे पर चंद्रमा और गले में विष धारण कर, श्मशान में निवास करना उनका वैराग्य दर्शाता है। वे भस्म लगाकर हर मोह-माया से परे हैं।

3. तृतीय चरण

तांडव का जब नृत्य हो शुरू, 🕺

पर्वत हिलें, धरती काँप जाए।

दुष्टों का तब होता है अंत,

सत्य की राह फिर से जग जाए।

अर्थ: जब शिव तांडव करते हैं, तो उनकी ऊर्जा से पहाड़ और धरती भी काँप जाते हैं। यह नृत्य बुराई का अंत कर, सच्चाई और न्याय का रास्ता दिखाता है।

4. चतुर्थ चरण

त्रिशूल उनका न्याय का प्रतीक, 🔱

हर अन्याय का वो करते विनाश।

संहार की है जो अग्नि ज्वाला, 🔥

वो जलाती है हर एक पाप का वास।

अर्थ: उनका त्रिशूल न्याय का प्रतीक है। यह हर अन्याय का नाश करता है। संहार की अग्नि बुराई और पापों को जलाकर खत्म कर देती है।

5. पंचम चरण

विष को पिया, बन गए नीलकंठ, 💙

औरों के लिए सहा हर एक दुख।

भक्तों को देते हैं वो वरदान,

मिटा देते हैं हर एक उनका दुख।

अर्थ: समुद्र मंथन का विष पीकर वे नीलकंठ कहलाए। उन्होंने दूसरों के दुख को अपने ऊपर लिया। वे अपने भक्तों के हर दुख को दूर कर देते हैं।

6. षष्ठम चरण

शिव हैं विनाश, शिव हैं सृजन, ✨

चक्र ये उनका, चलता है निरंतर।

ज्ञान की ज्योति जब वो जलाएँ,

अज्ञान का तम मिट जाए सत्वर।

अर्थ: शिव ही विनाश हैं और वही सृजन। यह चक्र हमेशा चलता रहता है। जब वे ज्ञान की ज्योति जलाते हैं, तो अज्ञानता का अंधेरा तुरंत खत्म हो जाता है।

7. सप्तम चरण

हे महादेव, करूँ तेरी भक्ति, 🙏

मेरे मन के पापों को करो नष्ट।

आपके चरण में हो मेरा वास,

जीवन से मिले मुझको मुक्ति।

अर्थ: हे महादेव, मैं आपकी भक्ति करता हूँ। मेरे मन की बुराइयों को खत्म करो। मेरी इच्छा है कि मैं आपके चरणों में रहूँ और जीवन के इस चक्र से मुक्ति पाऊँ।

--अतुल परब
--दिनांक-22.09.2025-सोमवार.
===========================================