श्री अंबिका माता नवरात्र उत्सव, शिरवा, तालुका-खंडाळा, जिल्हा-सातारा-

Started by Atul Kaviraje, September 23, 2025, 09:08:45 PM

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Atul Kaviraje

श्री अंबिका माता नवरात्र उत्सव प्रIरंभ-शिरवा, तालुका-खंडाळ, जिल्हा-सातारा-

श्री अंबिका माता नवरात्र उत्सव, शिरवा, तालुका-खंडाळा, जिल्हा-सातारा-

हिंदी कविता - माँ अंबिका-

१. चरण
नवरात्र का उत्सव आया, माँ अंबिका घर आई,
भक्ति की ज्योत जगाई, हर मन में खुशियां छाई।
शिरवा की पावन धरती, तेरी महिमा गाए,
तेरी कृपा से, हर जीवन में सुख-शांति पाए।

अर्थ: जब नवरात्र का उत्सव आता है, तो माँ अंबिका हमारे घर आती हैं। उनकी कृपा से हमारे मन में भक्ति की ज्योति जलती है और हर तरफ खुशियां छा जाती हैं। शिरवा गांव की पवित्र धरती आपकी महिमा का गुणगान करती है, और आपकी कृपा से हर किसी को जीवन में सुख और शांति मिलती है।
चित्र/प्रतीक: घर 🏡, दीपक 🕯�, हाथ जोड़े हुए 🙏

२. चरण
कमल के आसन पर बैठी, हाथों में त्रिशूल-कमल लिए,
दुष्टों का नाश करती, भक्तों का उद्धार करती।
सिंह पर सवार, तू शक्ति का प्रतीक है,
हर संकट में हमें बचाती, तू ही तो हमारी मीत है।

अर्थ: आप कमल के आसन पर बैठी हैं, आपके हाथों में त्रिशूल और कमल है। आप दुष्टों का नाश करती हैं और भक्तों का उद्धार करती हैं। आप शेर पर सवार होकर शक्ति का प्रतीक बनती हैं और हर संकट में हमें बचाती हैं। आप ही हमारी सच्ची मित्र हैं।
चित्र/प्रतीक: कमल 🌸, त्रिशूल 🔱, शेर 🦁

३. चरण
चुनरी लाल ओढ़े, माथे पर बिंदिया सजाई,
तेरी सूरत प्यारी माँ, मन को हर पल भाती।
तुझसे ही शक्ति मिलती, तुझसे ही विश्वास है,
तू ही है माँ, जो हर पल हमारे पास है।

अर्थ: आपने लाल चुनरी ओढ़ी है और माथे पर बिंदी लगाई है। आपकी प्यारी सूरत हर पल हमारे मन को मोह लेती है। आपसे ही हमें शक्ति और विश्वास मिलता है। हे माँ, आप ही हर पल हमारे साथ रहती हैं।
चित्र/प्रतीक: लाल चुनरी 🔴, बिंदी 🔴, दिल ❤️

४. चरण
ढोल-ताशे गूंजते, गरबा-रास की धुन में,
हर कोई नाचता, तेरी भक्ति के जुनून में।
बच्चों से लेकर बूढ़ों तक, तेरी शरण में आते,
तुझसे ही तो जीवन का, हर सुख हम पाते।

अर्थ: ढोल और ताशे की गूंज में, गरबा और रास की धुन पर, हर कोई आपकी भक्ति के जुनून में नाचता है। बच्चे से लेकर बूढ़े तक सभी आपकी शरण में आते हैं और आपसे ही अपने जीवन का हर सुख प्राप्त करते हैं।
चित्र/प्रतीक: ढोल 🥁, नाचते हुए लोग 👯�♀️

५. चरण
कन्या पूजन करते, तूझको ही पूजते,
देवी का रूप मानकर, उनका आशीष लेते।
कुमकुम-हल्दी लगाते, सुख-सौभाग्य मांगते,
तू ही तो है माँ, जो सब की झोली भरती।

अर्थ: हम कुंवारी कन्याओं का पूजन करके आपकी ही पूजा करते हैं, उन्हें देवी का रूप मानकर उनका आशीर्वाद लेते हैं। सुहागिन महिलाएं एक-दूसरे को कुमकुम-हल्दी लगाती हैं और सुख-सौभाग्य की कामना करती हैं। आप ही सभी की झोली खुशियों से भरती हैं।
चित्र/प्रतीक: लड़की 👧, प्रसाद 🍮, हल्दी-कुमकुम 💫

६. चरण
अष्टमी की रात, जागरण होता तेरा,
भक्ति में डूब जाते, हर भक्त तेरा।
आरती में तेरी, सब मन से गाते,
अंबिका माता की जय, जयकारे लगाते।

अर्थ: अष्टमी की रात हम आपका जागरण करते हैं। आपका हर भक्त भक्ति में डूब जाता है। आरती के समय सभी मन से गाते हैं और "अंबिका माता की जय" के जयकारे लगाते हैं।
चित्र/प्रतीक: जागरण 🌙, आरती 🕯�, हाथ जोड़े 🙏

७. चरण
दसरा आता, विजय का पर्व दिखाता,
अधर्म पर धर्म का, ये जीत बताता।
हे अंबिका माता, तू हमेशा विजयी हो,
तेरे भक्तों पर, सदा कृपा बनाए रखो।

अर्थ: दसरा का पर्व आता है, जो विजय का प्रतीक है। यह हमें बताता है कि हमेशा धर्म की ही जीत होती है। हे अंबिका माता, आप हमेशा विजयी रहें और अपने भक्तों पर अपनी कृपा बनाए रखें।
चित्र/प्रतीक: तीर-कमान 🏹, जीत का प्रतीक 🎉

EMOJI सारांश:

कविता: 📜

प्रेम: ❤️

शक्ति: 💪

ज्ञान: 💡

शांति: 🕊�

विजय: 🏆

कृपा: ✨

--अतुल परब
--दिनांक-22.09.2025-सोमवार.
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