घटस्थापना: भक्ति और श्रद्धा का पर्व-🙏🕉️🏺🥥🌿✨🎁💖

Started by Atul Kaviraje, September 24, 2025, 02:39:44 PM

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Atul Kaviraje

घटस्थापना-

घटस्थापना: भक्ति और श्रद्धा का पर्व-

घटस्थापना नवरात्रि के नौ दिवसीय पर्व का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। यह शक्ति की देवी मां दुर्गा का आह्वान करने और उन्हें अपने घर में विराजमान करने का प्रतीक है। इस दिन, भक्तगण पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा-अर्चना करते हैं ताकि वे देवी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

१. घटस्थापना का महत्व
घटस्थापना, जिसे कलश स्थापना भी कहते हैं, नवरात्रि के पहले दिन की जाती है। यह एक पवित्र प्रक्रिया है जो मां दुर्गा के स्वागत का प्रतीक है। मान्यता है कि इस कलश में सभी देवी-देवताओं का वास होता है, जो पूजा को सफल बनाता है। यह त्योहार की शुरुआत का प्रतीक है और यह दर्शाता है कि भक्त देवी की कृपा पाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। 🙏🕉�

(अ) आध्यात्मिक महत्व: यह भक्तों को आध्यात्मिक रूप से शुद्ध करता है और मन को एकाग्र करने में मदद करता है।

(ब) धार्मिक महत्व: यह अनुष्ठान वैदिक परंपराओं के अनुसार किया जाता है और इसमें सभी देवी-देवताओं का आह्वान होता है।

२. घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष के अनुसार, घटस्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में ही की जानी चाहिए। यह माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में की गई पूजा अधिक फलदायी होती है और इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं। पंचांग के अनुसार, शुभ समय का चयन किया जाता है, जो हर साल बदलता है।

(अ) मुहूर्त का महत्व: शुभ समय पर स्थापना करने से पूजा का पूरा लाभ मिलता है।

(ब) २०25 का मुहूर्त: इस साल घटस्थापना का मुहूर्त 22 सितंबर 2025 को है।

३. आवश्यक सामग्री
घटस्थापना के लिए कुछ विशेष सामग्रियों की आवश्यकता होती है:

कलश: मिट्टी या तांबे का कलश 🏺

सप्त धान्य: सात प्रकार के अनाज (जौ, गेहूं, चावल, तिल, मूंग, चना, मक्का)।

पवित्र मिट्टी: गंगा या किसी पवित्र नदी के किनारे की मिट्टी।

जल: गंगाजल या शुद्ध जल।

अन्य सामग्री: नारियल, सुपारी, पंचपल्लव (आम के ५ पत्ते), मौली, सिक्के, रोली, अक्षत (चावल)।

४. घटस्थापना की विधि
घटस्थापना एक विस्तृत अनुष्ठान है, जिसे विधिपूर्वक करना चाहिए:

चरण १: सबसे पहले पूजा स्थल को साफ करें।

चरण २: मिट्टी का एक बड़ा पात्र लें और उसमें सप्त धान्य फैलाएं।

चरण ३: उस पात्र के बीच में मिट्टी या तांबे का कलश रखें।

चरण ४: कलश में जल, गंगाजल, सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें।

चरण ५: कलश के मुख पर पंचपल्लव रखें और उसके ऊपर नारियल को लाल कपड़े या मौली से लपेटकर रखें।

चरण ६: कलश को सप्त धान्य से भरे पात्र पर स्थापित करें।

चरण ७: अंत में, "ओम दुं दुर्गायै नमः" मंत्र का जाप करें और देवी का आह्वान करें।

५. घटस्थापना में प्रतीक और अर्थ
इस अनुष्ठान में प्रयोग होने वाली हर वस्तु का गहरा अर्थ है।

कलश: यह ब्रह्मांड का प्रतीक है, जिसमें सभी देवी-देवताओं का वास होता है।

नारियल: नारियल को ब्रह्मांड का और नारियल पर बंधे मौली को जीवन का प्रतीक माना जाता है।

पंचपल्लव: ये पंच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश) का प्रतिनिधित्व करते हैं।

सप्त धान्य: ये नवग्रहों और अन्न की देवी अन्नपूर्णा का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो घर में समृद्धि लाते हैं।

६. कलश के प्रकार और उनका महत्व
घटस्थापना के लिए विभिन्न प्रकार के कलश का उपयोग होता है, जिनमें से मिट्टी का कलश सबसे उत्तम माना जाता है।

मिट्टी का कलश: यह प्रकृति और पृथ्वी मां का प्रतीक है, जो जीवन को पोषण देती है। 🌿

तांबे का कलश: यह पवित्र और शुभ धातु माना जाता है, जो सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। ✨

७. घटस्थापना के दौरान मंत्र और जाप
इस दौरान मंत्र जाप का विशेष महत्व है।

दुर्गा मंत्र: "ॐ दुं दुर्गायै नमः"

गणेश मंत्र: "ॐ गं गणपतये नमः"

अन्य मंत्र: देवी के विभिन्न स्वरूपों के मंत्रों का जाप किया जाता है, जिससे पूजा पूर्ण होती है।

८. घटस्थापना के बाद की पूजा
घटस्थापना के बाद, नौ दिनों तक दीपक जलाकर देवी की पूजा की जाती है।

दीपक: यह ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक है।

आरती: देवी की स्तुति में आरती की जाती है।

९. घटस्थापना और सामाजिक महत्व
यह त्योहार केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक है।

(अ) पारिवारिक बंधन: यह परिवारों को एक साथ लाता है।

(ब) सामुदायिक भावना: यह समाज में भाईचारे को बढ़ावा देता है।

१०. घटस्थापना का समापन
नवरात्रि के नौ दिन बाद, कलश विसर्जन किया जाता है।

(अ) विसर्जन: कलश को सम्मानपूर्वक किसी नदी या तालाब में विसर्जित किया जाता है।

(ब) प्रसाद वितरण: भक्तों में प्रसाद बांटा जाता है, जिससे खुशी और समृद्धि का प्रसार होता है। 🎁

Emoji सारांश: 🙏🕉�🏺🥥🌿✨🎁💖

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-22.09.2025-सोमवार.
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