श्री रेणुकादेवी नवरात्र उत्सव, माहूर: भक्ति, श्रद्धा और शक्ति का केंद्र-🙏🌺🕉️✨

Started by Atul Kaviraje, September 24, 2025, 02:44:09 PM

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Atul Kaviraje

श्री रेणुकादेवी नवरात्र उत्सव आरंभ-माहूर-

श्री रेणुकादेवी नवरात्र उत्सव, माहूर: भक्ति, श्रद्धा और शक्ति का केंद्र-

श्री रेणुकादेवी नवरात्र उत्सव महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के माहूर में स्थित श्री रेणुकादेवी शक्तिपीठ में मनाया जाने वाला एक अत्यंत पवित्र और भव्य त्योहार है। यह उत्सव विशेष रूप से शारदीय नवरात्रि के दौरान आयोजित होता है, जब लाखों भक्तगण मां रेणुकादेवी के दर्शन के लिए आते हैं। यह शक्तिपीठ भारत के साढ़े तीन शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जिससे इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है। इस वर्ष, यह उत्सव 22 सितंबर, 2025 से शुरू हो रहा है। 🙏🌺

१. श्री रेणुकादेवी मंदिर का इतिहास और महत्व
माहूर का रेणुकादेवी मंदिर एक प्राचीन और पौराणिक स्थल है, जिसका उल्लेख कई धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।

(अ) पौराणिक कथा: मान्यताओं के अनुसार, यह वही स्थान है जहां भगवान परशुराम ने अपनी माता रेणुका के अनुरोध पर अपनी ही माता का सिर धड़ से अलग कर दिया था और फिर उन्हें पुनर्जीवित किया था।

(ब) शक्तिपीठ का महत्व: यह मंदिर देवी सती के दाहिने हाथ के गिरने से बना था, जिससे यह एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ बन गया। 🕉�

२. उत्सव का आरंभ और घटस्थापना
रेणुकादेवी नवरात्र उत्सव का आरंभ घटस्थापना के साथ होता है, जो नवरात्रि के पहले दिन यानी 22 सितंबर, 2025 को है।

(अ) उत्सव का माहौल: घटस्थापना के साथ ही पूरा माहूर क्षेत्र एक भक्तिमय और आध्यात्मिक माहौल में डूब जाता है। मंदिर परिसर को फूलों और रंगीन रोशनी से सजाया जाता है। ✨

(ब) भक्तों का आगमन: महाराष्ट्र के साथ-साथ आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना से भी बड़ी संख्या में भक्त पैदल चलकर देवी के दर्शन के लिए आते हैं।

३. नवरात्रि के नौ दिन और पूजा विधान
उत्सव के नौ दिनों तक मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।

(अ) दैनिक पूजा: हर दिन सुबह और शाम देवी की विशेष आरती की जाती है। इस दौरान देवी को विभिन्न प्रकार के पारंपरिक पकवानों का भोग लगाया जाता है।

(ब) जागरण और भजन: रात में जागरण और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है, जिसमें भक्त पूरी रात देवी का गुणगान करते हैं। 🎶

४. पारंपरिक वेशभूषा और अनुष्ठान
उत्सव के दौरान भक्त पारंपरिक वेशभूषा में होते हैं और कई अनूठे अनुष्ठान करते हैं।

(अ) देवी के दर्शन: भक्त देवी को चुनरी, साड़ी, नारियल और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करते हैं।

(ब) 'पोतराज' का नृत्य: उत्सव में 'पोतराज' (पारंपरिक वेशभूषा में सजे पुरुष) का नृत्य एक विशेष आकर्षण होता है, जो देवी की शक्ति का प्रतीक है। 💃

५. महाप्रसाद और भंडारा
उत्सव के दौरान भक्तों के लिए महाप्रसाद का वितरण एक महत्वपूर्ण परंपरा है।

(अ) भंडारे का आयोजन: मंदिर प्रशासन और स्थानीय लोग मिलकर भक्तों के लिए भोजन की व्यवस्था करते हैं, जिसे भंडारा कहते हैं।

(ब) सेवा भाव: यह भंडारा निस्वार्थ सेवा और आपसी भाईचारे का प्रतीक है। 🍛

६. सांस्कृतिक कार्यक्रम और मेले
रेणुकादेवी उत्सव के दौरान मंदिर परिसर के पास एक बड़ा मेला भी लगता है।

(अ) मनोरंजन: मेले में बच्चों के लिए झूले, खिलौने और खाने-पीने की दुकानें लगी होती हैं, जो उत्सव का माहौल और भी खुशनुमा बना देती हैं। 🎠

(ब) धार्मिक नाटक: कई स्थानों पर देवी रेणुका के जीवन पर आधारित धार्मिक नाटकों का मंचन किया जाता है।

७. नवमी और विजयादशमी
उत्सव का समापन नवमी और विजयादशमी के दिन होता है।

(अ) नवमी: नवमी के दिन देवी की विशेष पूजा और हवन होता है।

(ब) विजयादशमी: विजयादशमी के दिन मां रेणुका की शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें लाखों भक्त शामिल होते हैं। यह शोभायात्रा एक भव्य जुलूस के रूप में निकलती है। 👑

८. सुरक्षा और व्यवस्था
इतनी बड़ी संख्या में भक्तों के आगमन के कारण सुरक्षा और व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

(अ) पुलिस व्यवस्था: पुलिस प्रशासन द्वारा भीड़ को नियंत्रित करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़ी व्यवस्था की जाती है।

(ब) चिकित्सा सेवा: भक्तों की सुविधा के लिए चिकित्सा शिविर और प्राथमिक उपचार केंद्र भी स्थापित किए जाते हैं।

९. श्री रेणुकादेवी उत्सव का सामाजिक महत्व
यह उत्सव केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सद्भाव का प्रतीक है।

(अ) आपसी प्रेम: लोग एक-दूसरे से मिलते हैं, अपनी भक्ति साझा करते हैं और आपसी प्रेम को बढ़ावा देते हैं। 🤝

(ब) सांस्कृतिक विरासत: यह उत्सव महाराष्ट्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करता है।

१०. रेणुकादेवी उत्सव का संदेश
यह उत्सव हमें कई महत्वपूर्ण संदेश देता है।

शक्ति का सम्मान: यह नारी शक्ति और मातृत्व का सम्मान करने का संदेश देता है।

भक्ति और विश्वास: यह हमें सच्ची भक्ति और विश्वास का महत्व सिखाता है।

त्याग और समर्पण: यह हमें त्याग और समर्पण के भाव को जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करता है, जैसा कि देवी रेणुका और भगवान परशुराम ने किया था। 💖

Emoji सारांश: 🙏🌺🕉�✨🎶💃🍛🎠👑🤝💖

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-22.09.2025-सोमवार.
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