सप्तश्रृंगीदेवी नवरात्रोत्सव, सप्तश्रृंग गढ़: भक्ति और श्रद्धा का महापर्व-🙏🌺

Started by Atul Kaviraje, September 24, 2025, 02:46:20 PM

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Atul Kaviraje

सप्तश्रृंगीदेवी नवरात्रोत्सव, सप्तश्रृंग गढ़: भक्ति और श्रद्धा का महापर्व-

सप्तश्रृंगीदेवी नवरात्रोत्सव, यह महाराष्ट्र के नाशिक जिले के सप्तश्रृंग गढ़ पर मनाया जाने वाला एक अत्यंत पवित्र और भव्य उत्सव है। यह स्थान देवी सप्तश्रृंगी का निवास स्थान माना जाता है। सप्तश्रृंगी का अर्थ है 'सात शिखरों वाली देवी'। यह मंदिर भारत के साढ़े तीन शक्तिपीठों में से एक है, जिससे इसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। यह उत्सव विशेष रूप से शारदीय नवरात्री के दौरान आयोजित किया जाता है। नौ दिनों तक चलने वाला यह समारोह पारंपरिक उत्साह, भक्ति और सांस्कृतिक विरासत का एक अद्भुत संगम है। इस वर्ष, यह उत्सव 22 सितंबर, 2025 से शुरू हो रहा है। 🙏🌺

1. सप्तश्रृंगीदेवी मंदिर का इतिहास और महत्व
सप्तश्रृंग गढ़ पर स्थित यह मंदिर एक प्राचीन और पौराणिक स्थल है।

पौराणिक कथा: मान्यता के अनुसार, जब महिषासुर ने देवी-देवताओं को परेशान किया, तब सभी देवी-देवताओं की शक्तियों ने मिलकर देवी सप्तश्रृंगी का अवतार लिया। इस देवी ने महिषासुर का वध किया।

शक्तिपीठ का महत्व: यह मंदिर देवी सती के कंधे के गिरने से बना था, जिससे यह एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ बन गया। 🕉�

2. उत्सव का आरंभ और वातावरण
सप्तश्रृंगीदेवी नवरात्रोत्सव का आरंभ घटस्थापना से होता है, जो नवरात्री के पहले दिन यानी 22 सितंबर, 2025 को है।

उत्सव का वातावरण: घटस्थापना के साथ ही पूरे सप्तश्रृंग गढ़ और आसपास के गाँवों में भक्तिमय और उत्साह का वातावरण फैल जाता है। मंदिर को फूलों, दीयों और रोशनी से सजाया जाता है। ✨

भक्तों का आगमन: महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों से और पड़ोसी राज्यों से भी भक्त देवी के दर्शन के लिए आते हैं।

3. नवरात्रि के नौ दिन और पूजा विधि
उत्सव के नौ दिनों में मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक विधि-विधान होते हैं।

दैनिक पूजा: रोज़ाना सुबह और शाम को देवी की विशेष आरती की जाती है। भक्त देवी को साड़ी, फूल और नैवेद्य (भोग) अर्पित करते हैं।

जागरण और भजन: रात में भजन-कीर्तन और जागरण आयोजित किया जाता है, जिसमें भक्त पूरी रात देवी का जयघोष करते हैं। 🎶

4. पारंपरिक विधि और उत्सव
उत्सव के दौरान पारंपरिक विधि और उत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं।

देवी के दर्शन: भक्त देवी के दर्शन के लिए गढ़ पर चढ़ते हैं, जिसमें कई सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं।

'गरबा और डांडिया': नवरात्री के दौरान गरबा और डांडिया का आयोजन किया जाता है, जिसमें युवा और बुजुर्ग दोनों उत्साह के साथ भाग लेते हैं। 💃

5. महाप्रसाद और भंडारा
उत्सव के दौरान भक्तों के लिए महाप्रसाद का वितरण करना एक महत्वपूर्ण परंपरा है।

भंडारे का आयोजन: मंदिर प्रशासन और स्थानीय लोग मिलकर रोज़ भक्तों के लिए भोजन की व्यवस्था करते हैं, जिसे भंडारा कहते हैं।

सेवा भाव: यह भंडारा निस्वार्थ सेवा और अपनेपन का प्रतीक है। 🍛

6. सांस्कृतिक कार्यक्रम और मेला
सप्तश्रृंगीदेवी उत्सव के दौरान मंदिर परिसर में एक बड़ा मेला भी लगता है।

मनोरंजन: मेले में बच्चों के लिए झूले, खिलौने और खाने-पीने के स्टॉल होते हैं, जो उत्सव के माहौल को और भी खुशनुमा बनाते हैं। 🎠

धार्मिक कार्यक्रम: कई जगहों पर देवी के जीवन पर आधारित धार्मिक कार्यक्रम और नाटक प्रस्तुत किए जाते हैं।

7. नवमी और विजयादशमी
नवरात्रि का समापन नवमी और दसवें दिन विजयादशमी से होता है।

कन्या पूजन: नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है, जिसमें छोटी लड़कियों को देवी का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है।

दशहरा: विजयादशमी के दिन रावण दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। 🏹

8. सुरक्षा और व्यवस्था
इतनी बड़ी संख्या में भक्तों के आगमन के कारण सुरक्षा और व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

भीड़ नियंत्रण: भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस और स्वयंसेवक विशेष उपाय करते हैं।

स्वच्छता: उत्सव के दौरान स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

9. सप्तश्रृंगीदेवी नवरात्रोत्सव का सामाजिक महत्व
यह उत्सव केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सद्भावना का भी प्रतीक है।

भाईचारा: यह उत्सव सभी धर्मों और समुदायों के लोगों को एक साथ लाता है।

अपनापन: लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं और अपनेपन और सद्भावना को बढ़ावा देते हैं। 🤝

10. सप्तश्रृंगीदेवी उत्सव का संदेश
यह उत्सव हमें कई महत्वपूर्ण संदेश देता है।

भक्ति और विश्वास: यह हमें सच्ची भक्ति और विश्वास का महत्व सिखाता है।

शक्ति का सम्मान: यह नारी शक्ति का सम्मान करने का संदेश देता है, क्योंकि देवी शक्ति का रूप हैं।

एकता: यह उत्सव हमें एक साथ रहकर कोई भी कार्य करने की प्रेरणा देता है। 💖

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-22.09.2025-सोमवार.
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