📍श्री तुळजा भवानी नवरात्र उत्सव प्रारंभ - देव मुंजेश्वर-पोईप, मालवण-1-

Started by Atul Kaviraje, September 24, 2025, 02:52:58 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

श्री तुळजा भवानी नवरात्र उत्सव प्रIरंभ-देव मुंजेश्वर- पोईप, तालुका-मालवण-

📍श्री तुळजा भवानी नवरात्र उत्सव प्रारंभ - देव मुंजेश्वर-पोईप, मालवण-

नवरात्र, हिंदू धर्म का एक ऐसा महापर्व है, जो नौ रातों तक माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और शक्ति की आराधना का प्रतीक है। यह पर्व पूरे भारत में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र, विशेष रूप से मालवण के पोईप गाँव में, यह उत्सव एक अलग ही भक्ति और पारंपरिक रंग में रंग जाता है। यहाँ का श्री तुळजा भवानी मंदिर और उससे जुड़ा नवरात्र उत्सव अपनी अनूठी परंपराओं और भक्ति भाव के लिए जाना जाता है।

1. उत्सव का महत्व और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि 📜

श्री तुळजा भवानी मंदिर, पोईप के देव मुंजेश्वर क्षेत्र में स्थित है, जिसका अपना एक गहरा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। माना जाता है कि यह मंदिर सदियों पुराना है और यहाँ की देवी ने अनेक भक्तों की मनोकामनाएं पूरी की हैं। नवरात्र का पर्व यहाँ माँ तुळजा भवानी की शक्ति और महिमा को समर्पित है, जहाँ श्रद्धालु नौ दिनों तक उपवास, पूजा-अर्चना और विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। यह उत्सव न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यहाँ की स्थानीय संस्कृति और सामुदायिक एकता का भी परिचायक है।

2. मंदिर की वास्तुकला और आध्यात्मिकता 🕌

श्री तुळजा भवानी का मंदिर पारंपरिक कोंकणी शैली में बना है, जिसकी सादगी और शांति भक्तों को अपनी ओर खींचती है। मंदिर के चारों ओर की प्राकृतिक सुंदरता और कोंकण का शांत वातावरण एक आध्यात्मिक माहौल बनाता है।

कलात्मक सजावट ✨: नवरात्र के दौरान मंदिर को फूलों, रंगीन झालरों और पारंपरिक दीयों से भव्य रूप से सजाया जाता है। रात में इसकी जगमगाती रोशनी एक अद्भुत और मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करती है।

शांतिपूर्ण वातावरण 🧘�♀️: मंदिर परिसर का शांत और स्वच्छ वातावरण ध्यान और पूजा के लिए अत्यंत अनुकूल है। यहाँ आने पर मन को असीम शांति और सकारात्मकता का अनुभव होता है।

3. नवरात्र के नौ दिन - माँ के नौ रूप 🙏

नवरात्र में माँ तुळजा भवानी के साथ-साथ माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का विशेष महत्व है। प्रत्येक दिन एक विशेष रूप की पूजा की जाती है, जो शक्ति, ज्ञान और साहस का प्रतीक है।

घटस्थापना 🏺: नवरात्र के पहले दिन घटस्थापना की जाती है, जो इस नौ दिवसीय उत्सव का शुभारंभ है। यह कलश समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है।

अखंड ज्योति 🔥: नौ दिनों तक मंदिर में एक अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है, जो भक्तों की अटूट आस्था और देवी की निरंतर कृपा का प्रतीक है।

4. पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान 🎶

देव मुंजेश्वर-पोईप में नवरात्र के दौरान कई तरह के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।

आरती और भजन 🥁: सुबह और शाम को विशेष आरती और भजनों का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं। इन भजनों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है।

सप्तशती पाठ 📖: देवी महिमा के वर्णन के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाता है, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

हवन-यज्ञ 🔥: अष्टमी और नवमी के दिन हवन-यज्ञ का आयोजन किया जाता है, जिससे वातावरण शुद्ध होता है और भक्तों की आस्था को बल मिलता है।

5. सांस्कृतिक कार्यक्रम और लोकनृत्य 💃🕺

नवरात्र केवल धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह यहाँ की स्थानीय संस्कृति को भी दर्शाता है।

गरबा और डांडिया 👯�♀️: महाराष्ट्र में गरबा और डांडिया का प्रचलन तेजी से बढ़ा है। यहाँ भी युवा और बुजुर्ग पारंपरिक वेशभूषा में इन नृत्यों का आनंद लेते हैं, जो उत्सव में एक नई ऊर्जा भर देता है।

पारंपरिक लोकगीत 🎶: नवरात्र के दौरान स्थानीय लोकगीत और भक्ति गीत गाए जाते हैं, जो उत्सव में चार चाँद लगा देते हैं।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-22.09.2025-सोमवार.
===========================================