पंचरात्रोत्सवम का शुभारंभ - "पंचरात्र की पुकार"-

Started by Atul Kaviraje, September 27, 2025, 06:23:56 PM

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Atul Kaviraje

पंचरात्रोत्सवम शुरू-

पंचरात्रोत्सवम का शुभारंभ - भक्ति, ज्ञान और वैष्णव साधना-

हिंदी कविता: "पंचरात्र की पुकार"-

चरण (Stanza)   हिंदी कविता (Hindi Poem)   प्रत्येक चरण का हिंदी अर्थ (Short Meaning)

१   आज सताइस सितंबर की घड़ी है,   आज २७ सितंबर का पावन समय है,
पंचरात्र की झाँकी खड़ी है।   पंचरात्र उत्सव की भव्य तैयारी हो गई है।
आश्विन की पंचमी तिथि आई,   आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि आई है,
वैष्णव साधना की राह दिखाई।   और इसने वैष्णव भक्ति के मार्ग का दर्शन कराया है।

२   पाँच रातों का यह दिव्य विधान,   पाँच रातों का यह उत्सव ईश्वर का महान विधान है,
विष्णु के पाँच स्वरूपों का ध्यान।   जिसमें भगवान विष्णु के पाँच दिव्य स्वरूपों का स्मरण किया जाता है।
वासुदेव, संकर्षण, प्रद्युम्न, अनिरुद्ध,   वासुदेव, संकर्षण, प्रद्युम्न और अनिरुद्ध—इन चार नामों के साथ,
पाँचवें नारायण हैं शुद्ध।   पाँचवें स्वरूप शुद्ध नारायण हैं।

३   ज्ञान का दीपक हर रात जले,   अज्ञान के अंधकार को मिटाने के लिए हर रात ज्ञान का दीपक जलेगा,
अहंकार की पाँच गांठें गलें।   जिससे हमारे अंदर के अहंकार की पाँचों गांठें (विकार) नष्ट हो जाएँगी।
सत्य, अहिंसा का हो संचार,   जीवन में सत्य और अहिंसा (अहिंसा) का प्रसार हो,
जीवन हो जाए निर्मल, साकार।   और हमारा जीवन शुद्ध होकर सफल बन जाए।

४   मंदिरों में गूँजे हरि का नाम,   सभी मंदिरों में भगवान विष्णु का नाम गूँज रहा है,
भक्ति में डूबे सुबह-ओ-शाम।   भक्त सुबह और शाम भक्ति में लीन हैं।
यज्ञ, होम, अभिषेक की धारा,   यज्ञ, हवन और अभिषेक की पवित्र धारा बह रही है,
दूर करे भक्तों का कष्ट सारा।   जो भक्तों के सारे कष्टों को दूर कर देती है।

५   सेवा, समर्पण, यही है पुकार,   सेवा और समर्पण—यही इस उत्सव का मुख्य संदेश है,
महाप्रसाद से मिटे हर दरार।   सामुदायिक भोजन (महाप्रसाद) से समाज की हर खाई (भेदभाव) मिट जाए।
हर प्राणी में देखो नारायण,   हर जीव में भगवान नारायण को देखो,
यही है भक्ति का सच्चा आयन।   यही सच्ची भक्ति का मार्ग है।

६   पांच दिन का यह पावन मेल,   पाँच दिनों का यह पवित्र समागम,
भक्ति से खेले जीवन का खेल।   हमें भक्ति के साथ जीवन जीना सिखाता है।
नित नए संकल्प को धारो,   रोजाना नए सकारात्मक संकल्पों को धारण करो,
जीवन की नैया को पार उतारो।   और अपने जीवन की नौका को भवसागर से पार लगाओ।

७   स्कंदमाता भी देती हैं आशीष,   नवरात्रि के पाँचवें दिन माँ स्कंदमाता भी आशीर्वाद देती हैं,
शक्ति और ज्ञान से भरे हर शीश।   ताकि हर मस्तिष्क शक्ति और ज्ञान से भर जाए।
जय नारायण! बोलो सब साथ,   सभी एक साथ 'जय नारायण' का जयघोष करें,
हम पर रहे प्रभु का वरद-हाथ।   और हम पर हमेशा प्रभु का आशीर्वाद बना रहे।

--अतुल परब
--दिनांक-27.09.2025-शनिवार.
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