पंचरात्रोत्सवम शुरू-27 सितंबर 2025-1-

Started by Atul Kaviraje, September 27, 2025, 06:42:18 PM

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Atul Kaviraje

पंचरात्रोत्सवम शुरू-

एक विशिष्ट धार्मिक पर्व - पंचरात्रोत्सवम पर केंद्रित है। पंचरात्रोत्सवम एक वैष्णव परंपरा है, जो आमतौर पर पाँच रातों या पाँच दिनों तक चलती है और किसी प्रमुख मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना के साथ मनाई जाती है। यह उत्सव भक्ति, ज्ञान और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

चूंकि 27 सितंबर 2025 को शारदीय नवरात्रि भी चल रही होगी (नवरात्रि का 5वाँ दिन - स्कंदमाता पूजा), और पंचांग के अनुसार यह आश्विन शुक्ल पंचमी तिथि होगी, इसलिए यह दिन आध्यात्मिक साधना के लिए अत्यंत शुभ है। हम इस तिथि के महत्व को ध्यान में रखते हुए पंचरात्रोत्सवम के आरंभ पर भक्तिपूर्ण लेख प्रस्तुत करते हैं।

हिंदी लेख: पंचरात्रोत्सवम का शुभारंभ - भक्ति, ज्ञान और वैष्णव साधना-

दिनांक: 27 सितंबर 2025 (शनिवार) 🗓�
पर्व: पंचरात्रोत्सवम का शुभारंभ 🎉
विशेष: आश्विन शुक्ल पंचमी (नवरात्रि का 5वाँ दिन - स्कंदमाता)

27 सितंबर 2025 का पावन दिवस, जब आश्विन शुक्ल पंचमी तिथि है और शारदीय नवरात्रि का पाँचवाँ दिन है, अनेक वैष्णव मंदिरों में पंचरात्रोत्सवम के शुभारंभ का साक्षी बनेगा। पंचरात्र आगमों पर आधारित यह उत्सव पाँच दिनों (या पाँच रातों) तक चलता है और यह भगवान विष्णु ॐ के विभिन्न स्वरूपों की आराधना का महासमर्पण है। 'पंचरात्र' का शाब्दिक अर्थ है 'पाँच रातें'—जो अनिरुद्ध, प्रद्युम्न, संकर्षण, वासुदेव और नारायण—इन पाँच स्वरूपों की उपासना का प्रतीक है। यह उत्सव हमें ज्ञान, वैराग्य और समर्पण के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

1. पंचरात्रोत्सवम: अर्थ और सिद्धांत
1.1. शाब्दिक अर्थ और दिव्यता:

पंच (पाँच) + रात्र (रात/समय): यह पाँच मूलभूत सिद्धांतों—सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह और अस्तेय—को पाँच रातों में सीखने की आध्यात्मिक प्रक्रिया है।

यह उत्सव हमें अज्ञान की पाँच रातों (मोह, मद, मत्सर, अहंकार, काम) से बाहर निकलकर दिव्य प्रकाश की ओर जाने का अवसर देता है। ✨

1.2. आगमों का महत्व:

पंचरात्र आगम वैष्णव संप्रदाय के मुख्य आधारों में से एक हैं, जो वैखानस आगम के साथ-साथ पूजा, उत्सव और मंदिर निर्माण के नियम बताते हैं।

इन पाँच दिनों की उपासना से मोक्ष की प्राप्ति होती है, ऐसा विश्वास है। 💫

2. 27 सितंबर (पंचमी) का आध्यात्मिक संगम
2.1. नवरात्रि का पाँचवाँ दिन:

इस दिन माँ स्कंदमाता 🐯 की पूजा होती है, जो शक्ति और मातृत्व की प्रतीक हैं।

वैष्णव उत्सव का आरंभ और शक्ति की पूजा का मिलन यह दर्शाता है कि भक्ति और शक्ति एक-दूसरे के पूरक हैं।

2.2. शुभ मुहूर्त और ग्रह स्थिति:

पंचांग के अनुसार, यह दिन शुभता और सकारात्मक ऊर्जा से भरा है।

पंचमी तिथि पर किसी भी शुभ कार्य या व्रत का आरंभ करना विशेष फलदायी माना जाता है। 🗓�

3. पंचरात्र में प्रमुख अनुष्ठान
3.1. यज्ञ और होम:

उत्सव के दौरान यज्ञ और होम का विशेष आयोजन होता है, जिसमें विष्णु सहस्त्रनाम और अन्य वैदिक मंत्रों से आहुतियाँ दी जाती हैं। 🔥

3.2. अभिषेक और शृंगार:

पाँचों दिन भगवान की मूर्तियों का पञ्चामृत अभिषेक 🥛 किया जाता है और उन्हें विभिन्न प्रकार के वस्त्रों और आभूषणों से सजाया जाता है।

यह भक्तों को दिव्य सौंदर्य के दर्शन कराता है। 👑

4. वैष्णव दर्शन और भक्ति का सार
4.1. समर्पण का भाव:

पंचरात्रोत्सवम भगवान को सर्वस्व समर्पित करने की भावना को पुष्ट करता है।

भक्त इन दिनों सात्विक जीवन जीते हैं और साधना में लीन रहते हैं। 🙏

4.2. आचार्य परम्परा:

उत्सव के दौरान श्रीवैष्णव आचार्यों के प्रवचन और उपदेश होते हैं, जो भक्तों को भगवद्-भक्ति के गूढ़ रहस्यों से अवगत कराते हैं। 📚

5. सामाजिक समरसता और महाप्रसाद
5.1. सामुदायिक सेवा:

यह पर्व भक्तों को सेवा और सहयोग का अवसर देता है, विशेष रूप से मंदिर की व्यवस्था और भक्तों के लिए महाप्रसाद की व्यवस्था में। 🤲

5.2. अन्नदान:

पाँचों दिन भक्तों के लिए सामुदायिक भोजन (अन्नदान) की व्यवस्था होती है, जो भेदभाव रहित प्रेम और समता के संदेश को फैलाता है। 🍚

इमोजी सारांश (Emoji Saransh):🎉 27.09.2025 🗓� पंचरात्रोत्सवम शुरू! ॐ नमो नारायणाय! 5️⃣ रातों की ये यात्रा है ✨ ज्ञान और ❤️ भक्ति की। 🪔 जलाओ दीप, 🤲 करो सेवा। 👑 भगवान विष्णु का आशीर्वाद हो! 🙏

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-27.09.2025-शनिवार.
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