जनार्दन स्वामी जयंती-बेट कोपरगाव, जिल्हा-नगर-27 सितंबर 2025 (शनिवार)-1-

Started by Atul Kaviraje, September 27, 2025, 06:43:34 PM

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Atul Kaviraje

जनार्दन स्वामी जयंती-बेट कोपरगाव, जिल्हा-नगर-

उपलब्ध जानकारी के अनुसार, जनार्दन स्वामीजी की जयंती 24 सितंबर को मनाई जाती है। चूँकि आपने 27 सितंबर 2025 (शनिवार) की तिथि दी है, जो नवरात्रि और पंचरात्रोत्सवम के समय में आ रही है, इसलिए हम इस शुभ दिवस को उनकी जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले भक्ति-सेवा समारोह के रूप में मानकर, कोपरगाँव (अहमदनगर) स्थित उनके आश्रम की महिमा का गुणगान करते हुए, यह लेख प्रस्तुत करते हैं।

हिंदी लेख: राष्ट्रसंत जनार्दन स्वामी (मौनगिरी) जयंती महोत्सव-

दिनांक: 27 सितंबर 2025 (शनिवार) 🗓�
पर्व: जनार्दन स्वामी जयंती महोत्सव/सेवा समारोह
स्थान: बेट कोपरगाँव, जिला अहमदनगर, महाराष्ट्र 🚩

महाराष्ट्र की पावन भूमि पर अनेक संतों ने जन्म लिया, जिन्होंने अपने निष्काम कर्मयोग और तपस्या से समाज को नई दिशा दी। ऐसे ही एक महान संत थे राष्ट्रसंत जगद्गुरु जनार्दन स्वामी (मौनगिरी) महाराज। यूँ तो उनकी जयंती 24 सितंबर को मनाई जाती है, लेकिन बेट कोपरगाँव, अहमदनगर स्थित उनके समाधि स्थल पर उनकी शिक्षाओं को समर्पित भक्ति और सेवा के कार्यक्रम पूरे सप्ताह चलते हैं। 27 सितंबर 2025 का यह पवित्र शनिवार, उनकी जयंती की आध्यात्मिक ऊर्जा को समर्पित, ज्ञान, वैराग्य और सामाजिक समरसता का पर्व होगा।

1. राष्ट्रसंत जनार्दन स्वामी का परिचय और जीवन दर्शन
1.1. निष्काम कर्मयोगी:

स्वामीजी का जीवन निष्काम कर्मयोग का साक्षात उदाहरण था। उन्होंने लोगों को सिखाया कि मोक्ष के लिए कर्मों का त्याग नहीं, बल्कि फलाकांक्षा का त्याग आवश्यक है। 🤲

जन्म: उनका जन्म 24 सितंबर 1914 को संभाजीनगर (औरंगाबाद) जिले के दहेगाँव में हुआ था।

1.2. 'मौनगिरी' की उपाधि:

उन्होंने मौन तपस्या को अपने साधना का मुख्य अंग बनाया। इसी कारण उन्हें 'मौनगिरी' की उपाधि मिली। उनका मौन बाहरी नहीं, बल्कि आंतरिक शांति का प्रतीक था। 🧘

2. बेट कोपरगाँव: साधना का केंद्र
2.1. समाधि स्थल और आश्रम:

कोपरगाँव (अहमदनगर) में गोदावरी नदी के तट पर स्थित उनका बेट (द्वीप जैसा स्थल) एक प्रमुख तीर्थक्षेत्र और साधना का केंद्र है।

यहाँ उनकी समाधि और भव्य आश्रम है, जहाँ हर वर्ष हजारों भक्त एकत्र होते हैं। 🕌

2.2. शिवभक्ति का प्रसार:

स्वामीजी ने जीवन भर शिवभक्ति का प्रचार किया। उन्होंने अनेक शिव मंदिरों का भूमिपूजन किया और समाज को शिव और शक्ति की उपासना के महत्व से जोड़ा। 🔱

3. जयंती समारोह का आध्यात्मिक स्वरूप
3.1. अखंड जप अनुष्ठान:

जयंती के उपलक्ष्य में, आश्रम में अक्सर सात दिवसीय या पाँच दिवसीय अखंड जप अनुष्ठान 📿 का आयोजन होता है, जिसमें भक्त मौन रहकर या सामूहिक रूप से नामस्मरण करते हैं।

3.2. कीर्तन-प्रवचन:

इस अवसर पर भक्तिपूर्ण कीर्तन, भजन और स्वामीजी के जीवन तथा शिक्षाओं पर आधारित प्रवचनों का आयोजन होता है, जो भक्तों को ज्ञान और वैराग्य की ओर प्रेरित करते हैं। 🎶

4. सामुदायिक सेवा और श्रमदान
4.1. जनार्दन स्वामी का सेवाभाव:

स्वामीजी ने जन-कल्याण के लिए कई कार्य किए। उनके आश्रम में सामुदायिक श्रमदान (सेवा) का विशेष महत्व है।

उनके अनुयायी आश्रम की साफ-सफाई, बागवानी और भक्तों की सेवा में उत्साह से भाग लेते हैं।

4.2. महाप्रसाद और अन्नदान:

समारोह के दौरान विशाल अन्नदान 🍚 का आयोजन होता है, जो उनकी भूखे को भोजन कराने की शिक्षा को दर्शाता है। यह सेवा, समर्पण और समता का प्रतीक है।

5. शिक्षा और गुरुकुल पद्धति
5.1. शिक्षण संस्थानों की स्थापना:

राष्ट्रसंत जनार्दन स्वामी ने शिक्षा के प्रसार पर विशेष जोर दिया। उन्होंने महर्षि विद्या मंदिरों और गुरुकुलों की स्थापना की। 📚

5.2. संस्कार युक्त शिक्षा:

उनकी शिक्षा पद्धति में आध्यात्मिक ज्ञान के साथ आधुनिक शिक्षा का समन्वय है, ताकि विद्यार्थी संस्कारवान नागरिक बन सकें। 👦👧

इमोजी सारांश (Emoji Saransh):
🚩 बेट कोपरगाँव, अहमदनगर। 🗓� 27.09.2025 शनिवार। राष्ट्रसंत 🧘 जनार्दन स्वामी जयंती महोत्सव! 🔱 शिव की भक्ति और 💡 ज्ञान का प्रकाश। 🤲 सेवा और 🍚 अन्नदान करें। 🌳 कर्मयोग से जीवन सफल बनाएं। जय जनार्दन! 🙏

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-27.09.2025-शनिवार.
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