समाज में सूर्य देव की भूमिका और उनका प्रभाव- हिंदी कविता: "तेजस्वी सूर्य देव"-

Started by Atul Kaviraje, September 28, 2025, 08:11:01 PM

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Atul Kaviraje

समाज में सूर्य देव की भूमिका और उनका प्रभाव-

हिंदी कविता: "तेजस्वी सूर्य देव"-

चरण (Stanza)   हिंदी कविता (Hindi Poem)   प्रत्येक चरण का हिंदी अर्थ (Short Meaning)

१   तेजस्वी सूर्य, प्रथम नमन,   हे तेजस्वी सूर्य देव, हम आपको सर्वप्रथम नमन करते हैं,
जीवन के तुम हो आधार।   आप ही सम्पूर्ण जीवन का आधार स्तंभ हैं।
रोज़ सवेरे दर्शन दो,   आप प्रतिदिन सुबह हमें दर्शन देते हैं,
अंधेरा और अज्ञान हर लो।   और (भौतिक व मानसिक) अँधेरे और अज्ञान को दूर करते हैं।

२   किरणें तुम्हारी अमृत धार,   आपकी प्रकाश किरणें अमृत की वर्षा के समान हैं,
रोगों का करतीं संहार।   जो शरीर के सभी रोगों का नाश करती हैं।
विटामिन 'डी' का तुम प्रसाद,   आप विटामिन 'डी' का वरदान देते हैं,
देते हो स्वास्थ्य और साद।   और हमें उत्तम स्वास्थ्य व शांति प्रदान करते हैं।
३   अनुशासन का पाठ सिखाओ,   आप प्रतिदिन समय पर उदय होकर हमें अनुशासन का पाठ सिखाते हैं,
नियम से तुम आते-जाओ।   निश्चित नियम से आपका आना-जाना चलता रहता है।
काल-चक्र को तुम ही चलाओ,   समय के चक्र (दिन, माह, वर्ष) को आप ही संचालित करते हैं,
व्यवस्था जग में तुम लाओ।   और सम्पूर्ण जगत में सुव्यवस्था स्थापित करते हैं।

४   कृषि का आधार तुम्हारा,   खेती-बाड़ी का मूल आधार आपकी ऊर्जा ही है,
फसलों का करते किनारा।   आप ही फसलों को पकने (किनारा देने) में मदद करते हैं।
जल चक्र भी तुमसे चले,   वर्षा के लिए आवश्यक जल चक्र भी आपकी गर्मी से ही चलता है,
हरित धरा तुम ही रचो।   और आप ही इस धरती को हरा-भरा बनाते हैं।

५   गायत्री मंत्र तुम्हारा नाम,   सबसे पवित्र गायत्री मंत्र में आपका ही नाम लिया जाता है,
बुद्धि दो प्रभु, यही काम।   हे प्रभु, हमें उत्तम बुद्धि दीजिए, यही हमारी प्रार्थना है।
ज्ञान-अग्नि को तुम सुलगाओ,   आप ज्ञान की अग्नि को प्रज्वलित करते हैं,
विवेक की राह दिखलाओ।   और हमें सही-गलत का विवेक करने का रास्ता दिखाते हैं।

६   छठ पूजा में तुम्हें पूजें,   छठ जैसे महान पर्वों में लोग आपकी ही पूजा करते हैं,
सामाजिक बंधन न टूटें।   जिससे समाज में एकता और बंधन कभी न टूटें।
सौर ऊर्जा का वरदान दो,   आप हमें सौर ऊर्जा का अक्षय वरदान प्रदान करते हैं,
प्रकृति का संरक्षण करो।   जिससे हम प्रकृति का बचाव कर सकें।

७   निस्वार्थ सेवा तुम्हारी सीख,   आपकी निःस्वार्थ सेवा ही हमारी सबसे बड़ी शिक्षा है,
कर्म तुम्हारा सदा ठीक।   क्योंकि आपका कार्य (उदय और अस्त) हमेशा सही होता है।
अर्घ्य दें, आभार जताएँ,   हम आपको जल अर्पण करते हैं और अपना आभार व्यक्त करते हैं,
जीवन सफल आज बनाएँ।   और आपका आशीर्वाद पाकर अपने जीवन को सफल बनाते हैं।

--अतुल परब
--दिनांक-28.09.2025-रविवार.
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