रांजणगाव देवी यात्रा - नेवासा: भक्ति, इतिहास और लोक आस्था का संगम 🙏🚩-1-🚩💖🏰

Started by Atul Kaviraje, September 28, 2025, 08:47:19 PM

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Atul Kaviraje

रांजणगाव देवी यात्रा-नेवासा, जिल्हा-नगर-

रांजणगाव देवी यात्रा - नेवासा: भक्ति, इतिहास और लोक आस्था का संगम 🙏🚩-

दिनांक: 28 सितंबर, रविवार

महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में, पावन प्रवरा नदी के तट पर स्थित नेवासा नामक ऐतिहासिक तीर्थक्षेत्र, अपनी धार्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की रांजणगाव देवी यात्रा, जिसे स्थानीय रूप से म्हाळसा देवी यात्रा के नाम से जाना जाता है, भक्ति, लोक आस्था और सदियों पुरानी परंपराओं का एक जीवंत उदाहरण है। यह उत्सव विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान आयोजित होता है, जब पूरा क्षेत्र देवी के जयकारों से गूँज उठता है।

लेख: रांजणगाव देवी यात्रा (नेवासा) – भक्ति भाव और विवेचना
1. तीर्थक्षेत्र और स्थान का परिचय (Introduction to the Pilgrimage Site) 🗺�
1.1. स्थान: नेवासा शहर, अहमदनगर जिले में स्थित एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह स्थान संत ज्ञानेश्वर महाराज द्वारा 'ज्ञानेश्वरी' ग्रंथ की रचना के लिए भी प्रसिद्ध है।

1.2. देवी का स्वरूप: यहाँ की मुख्य देवी म्हाळसा देवी हैं, जिन्हें भगवान खंडोबा (जिन्हें 'जेजुरीचा राजा' भी कहते हैं) की पत्नी और देवी पार्वती का अवतार माना जाता है।

1.3. यात्रा का समय: यह यात्रा मुख्य रूप से नवरात्रि (आश्विन मास) के दौरान, विशेषकर घटस्थापना के बाद, बड़े पैमाने पर आयोजित होती है।

2. म्हाळसा देवी: देवी पार्वती का अवतार (Mhalasa Devi: Incarnation of Goddess Parvati) 💖
2.1. जन्म और संबंध: पौराणिक कथाओं के अनुसार, रांजणगाव देवी (म्हाळसा देवी) का जन्मस्थान नेवासा ही माना जाता है, इसलिए इसे म्हाळसा देवी का माहेर (मायका) कहा जाता है।

2.2. खंडोबा से संबंध: म्हाळसा देवी की खंडोबा से विवाह की कथा प्रचलित है। यह देवी शिव-पार्वती के संयुक्त आशीर्वाद और लोकदेवता की शक्ति का प्रतीक हैं।

2.3. 'खंडोबाची सासुरवाडी': इस कारणवश नेवासा को भक्तगण अत्यंत श्रद्धा से 'खंडोबाची सासुरवाडी' (खंडोबा का ससुराल) भी कहते हैं।

3. मंदिर की संरचना और वास्तुकला (Temple Architecture and Structure) 🏰
3.1. प्राचीनता: रांजणगाव देवी का मंदिर अपनी प्राचीनता और पारंपरिक हेमाडपंथी या मराठा शैली की वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।

3.2. मंदिर परिसर: मंदिर परिसर अत्यंत विशाल और भव्य है। इसमें देवी म्हाळसा के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं की भी प्रतिमाएँ स्थापित हैं।

3.3. देवऋषि नारद मुनि का संबंध: स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, इस तीर्थक्षेत्र ने देवऋषि नारद मुनि के सहवास को अनुभव किया है, और यहाँ उनकी भी पूजा की जाती है।

4. यात्रा का भक्तिमय स्वरूप (Devotional Nature of the Yatra) 🎶
4.1. शक्ति पूजा: नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी की शक्ति रूप में पूजा की जाती है, जिसमें विशेष अलंकरण और आरतियाँ होती हैं।

4.2. लोकगीत और भजन: यात्रा के दौरान भक्तगण पारंपरिक भजन, गोंधळ (देवी का गुणगान करने वाला लोकनृत्य) और लोकगीत गाते हुए आते हैं, जिससे वातावरण भक्तिमय हो जाता है।

4.3. दीपमाला: मंदिर परिसर और आस-पास के क्षेत्र को हजारों दीपों से सजाया जाता है, जिससे अद्भुत दिव्य प्रकाश फैलता है। ✨

5. पारंपरिक विधी और अनुष्ठान (Traditional Rites and Rituals) 🔔
5.1. काकड आरती: ब्रह्ममुहूर्त में देवी की काकड आरती होती है, जिसमें भक्तगण बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।

5.2. महापूजा और नैवेद्य: दिनभर देवी की महापूजा की जाती है और विभिन्न प्रकार के पारंपरिक नैवेद्य (भोग) चढ़ाए जाते हैं।

5.3. भंडारा: यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के लिए बड़े पैमाने पर अन्नदान (भंडारा) आयोजित किया जाता है, जो सामाजिक समरसता को दर्शाता है।

EMOJI सारांश (EMOJI Summary) 🚩💖🏰🎶
रांजणगाव यात्रा: 🚩 (ध्वज) + 🏰 (मंदिर) + 👸 (म्हाळसा देवी) + 💖 (पार्वती/माहेर) + 🎶 (भजन) + 🤝 (लोक-मेला) + 🙏 (भक्ति) = दिव्य तीर्थयात्रा

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-28.09.2025-रविवार.
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