'वीणावादिनी का आह्वान' (Hindi Poem: 'The Invocation of the Veenavadin')-🎶 📖 🦢

Started by Atul Kaviraje, September 29, 2025, 08:30:48 PM

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Atul Kaviraje

सरस्वती आवाहन-

हिंदी कविता: 'वीणावादिनी का आह्वान' (Hindi Poem: 'The Invocation of the Veenavadin')-

यह कविता एक सुंदर, अर्थपूर्ण, सीधीसादी सरल तुकबंदी के साथ माँ सरस्वती का आह्वान करती है।

चरण १ (Stanza 1)
श्वेत कमल पर हो आसन तेरा, वीणा की धुन गूंजे हर फेरा।
ज्ञान ज्योति का कर दो सवेरा, दूर करो माँ अज्ञान अँधेरा॥
अर्थ: माँ सरस्वती, आपका आसन श्वेत कमल पर हो, और आपकी वीणा की मधुर ध्वनि हर जगह गूंजे। आप ज्ञान की रौशनी फैलाकर हमारे अज्ञान के अंधकार को दूर कर दें।
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चरण २ (Stanza 2)
हंस वाहिनी तुम हो जगदम्बा, वाणी में हो अमृत की गंधा।
कंठ में आकर करो निवासा, पूर्ण हो हर पढ़ने की आशा॥
अर्थ: आप हंस पर सवार होने वाली, जगत की माता हैं, आपकी वाणी में अमृत की सुगंध हो। मेरे कंठ में निवास करें, ताकि मेरी पढ़ने-लिखने की हर आशा पूरी हो।
| प्रतीक |
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चरण ३ (Stanza 3)
पुस्तक धारिणी, कलम की शक्ति, तुझमें ही है मेरी भक्ति।
बुद्धि-विवेक का दो तुम दान, हो जाए मेरा जीवन महान॥
अर्थ: आप पुस्तक और कलम धारण करने वाली हैं, आप में ही मेरी सच्ची श्रद्धा है। मुझे बुद्धि और विवेक का दान दें, ताकि मेरा जीवन महान और सार्थक बन सके।
| प्रतीक |
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चरण ४ (Stanza 4)
राग-द्वेष सब मिट जाएँ मन से, सत्य प्रकाशित हो हर क्षण से।
सदाचार का मार्ग दिखा दो, सद्कर्मों से नाता करा दो॥
अर्थ: मेरे मन से राग (लगाव) और द्वेष (नफरत) समाप्त हो जाएं, और हर पल सत्य की रौशनी दिखाई दे। मुझे अच्छे आचरण का रास्ता दिखाएं और अच्छे कर्मों से मेरा जुड़ाव करा दें।
| प्रतीक |
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चरण ५ (Stanza 5)
शब्दों में हो मधुरता न्यारी, भावों से भरी बात हमारी।
कला और कौशल का दो वरदान, सरस्वती माँ करो कल्याण॥
अर्थ: मेरी बोली में अनोखी मिठास हो, और मेरी बातें सच्चे भावों से भरी हों। कला और दक्षता (कौशल) का मुझे आशीर्वाद दें, माँ सरस्वती मेरा भला करें।
| प्रतीक |
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चरण ६ (Stanza 6)
जड़ता दूर हो, चित्त हो एकाग्र, जीवन बने एक सुंदर काव्य।
ध्यान तुम्हारा सुबह-शाम रहे, तेरा ही बस प्यारा नाम रहे॥
अर्थ: मेरी सुस्ती (जड़ता) दूर हो जाए, और मेरा मन एकाग्र हो। मेरा जीवन एक सुंदर कविता जैसा बन जाए। सुबह-शाम बस आपका ही ध्यान रहे और आपका ही प्यारा नाम मेरी ज़ुबान पर हो।
| प्रतीक |
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चरण ७ (Stanza 7)
विद्या की तुम हो अधिष्ठात्री, तुम ही हो सबकी भाग्य विधात्री।
शीश झुका कर करूं वंदना, पूर्ण करो माँ यह प्रार्थना॥
अर्थ: आप विद्या की देवी हैं, और आप ही सभी के भाग्य को रचने वाली हैं। मैं सिर झुकाकर आपको प्रणाम करता हूँ, माँ मेरी यह प्रार्थना पूरी करें।
| प्रतीक |
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EMOJI सारंंश (कविता)
🎶 📖 🦢 🙏 💖 ✨

--अतुल परब
--दिनांक-29.09.2025-सोमवार. 
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