जैन धर्म का महान पर्व 'आयंबिल ओळी' का प्रारंभ-'नवपद की ओळी'-🕉️ 🧘 🍚 🔥 🤝 🙏

Started by Atul Kaviraje, September 29, 2025, 08:32:36 PM

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Atul Kaviraje

अIयंबिल ओळी  प्रIरंभ-जैन-

जैन धर्म का महान पर्व 'आयंबिल ओळी' का प्रारंभ-

हिंदी कविता: 'नवपद की ओळी' (Hindi Poem: 'The Oli of Navpad')-

यह कविता सरल तुकबंदी के साथ आयंबिल ओळी की भक्ति और भावना को व्यक्त करती है।

चरण १ (Stanza 1)
आश्विन की आई शुभ ओळी, मन में जागी तप की टोळी।
नवपद की भक्ति में खोना, कर्मों के बंधन को धोना॥
अर्थ: आश्विन मास की शुभ 'ओळी' (आयंबिल पर्व) आ गई है, मन में तपस्या करने का समूह जाग गया है। अब नवपद की भक्ति में खो जाना है, और कर्मों के बंधनों को धो डालना है।
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चरण २ (Stanza 2)
नौ दिन का यह संयम प्यारा, इंद्रिय पर हो विजय हमारा।
रसना इंद्रिय का हो त्याग, मन में जागे सच्चा वैराग॥
अर्थ: यह नौ दिनों का प्यारा संयम है, जिससे हमारी इंद्रियों पर विजय प्राप्त हो। स्वाद (रसना) इंद्रिय का त्याग हो, और मन में सच्चा वैराग्य उत्पन्न हो।
| प्रतीक |
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चरण ३ (Stanza 3)
घी, तेल, दूध, दही को त्यागा, शाक और गुड़ को दूर भगाया।
सादा भोजन, गरम जल साथ, शुद्ध आत्मा माँगे प्रभु का साथ॥
अर्थ: हमने घी, तेल, दूध, दही को छोड़ दिया है, और हरी सब्जी व गुड़ को भी दूर कर दिया है। सादा भोजन और गरम पानी लेते हुए, शुद्ध आत्मा प्रभु के साथ की प्रार्थना कर रही है।
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चरण ४ (Stanza 4)
नवकार मंत्र का जाप करें, हर पल प्रभु का ध्यान धरें।
अरहंत, सिद्ध, आचार्य महान, श्रद्धा से उनको करें प्रणाम॥
अर्थ: हम नवकार महामंत्र का जाप करते हैं, और हर पल प्रभु का ध्यान करते हैं। अरहंत, सिद्ध और महान आचार्यों को हम श्रद्धा से प्रणाम करते हैं।
| प्रतीक |
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चरण ५ (Stanza 5)
क्षमा भाव से मन को भरें, सबको अपना मित्र करें।
द्वेष, क्रोध को दूर हटाएँ, आत्म-शुद्धि का दीप जलाएँ॥
अर्थ: हम क्षमा के भाव से अपने मन को भर लें, और सबको अपना दोस्त मानें। द्वेष और क्रोध को दूर हटाकर, आत्मा की शुद्धि का दीपक जलाएँ।
| प्रतीक |
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चरण ६ (Stanza 6)
ज्ञान, दर्शन, चारित्र को पा कर, तप से कर्मों को जलाकर।
जीवित रहे बस धर्म की आस, प्रभु के चरणों में हो मेरा वास॥
अर्थ: ज्ञान, दर्शन और चारित्र को प्राप्त करके, तपस्या से कर्मों को जलाकर (नष्ट करके)। जीवन में केवल धर्म की आशा जीवित रहे, और मेरा निवास प्रभु के चरणों में हो।
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चरण ७ (Stanza 7)
पवित्र ओळी का यह त्योहार, लाए जीवन में सुख अपार।
तपस्वी जन को नमन हमारा, पारणा हो शुभ, जय जयकारा॥
अर्थ: पवित्र आयंबिल ओळी का यह त्योहार हमारे जीवन में बहुत सारा सुख लाए। सभी तपस्या करने वालों को हमारा प्रणाम है, उनका पारणा (तप पूर्ण करना) शुभ हो, और हर तरफ जय-जयकार हो।
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EMOJI सारंंश (कविता)
🕉� 🧘 🍚 🔥 🤝 🙏

--अतुल परब
--दिनांक-29.09.2025-सोमवार. 
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