ऊर्जा: कार्य करने की क्षमता- ऊर्जा की कविता-

Started by Atul Kaviraje, September 29, 2025, 09:53:58 PM

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Atul Kaviraje

ऊर्जा: कार्य करने की क्षमता-

ऊर्जा की कविता (A Poem on Energy)-

पहला चरण:
✨ जीवन का है आधार, ऊर्जा का ये संसार, ✨
✨ हर क्षण, हर पल, इसका है व्यापार। ✨
✨ हवा चले, पानी बहता, आग भी है जलती, ✨
✨ ऊर्जा के बिन तो, प्रकृति भी ना चलती। ✨

अर्थ: यह कविता बताती है कि ऊर्जा हमारे जीवन का आधार है और इसके बिना प्रकृति में कोई भी क्रिया संभव नहीं है।

दूसरा चरण:
⚡️ कभी ये बिजली बनके, बल्बों को चमकाए, ⚡️
⚡️ कभी सूरज बनके, दुनिया को गरमाए। ⚡️
⚡️ पंखा चले, गाड़ी दौड़े, मशीनें हैं चलती, ⚡️
⚡️ ऊर्जा की शक्ति से, सब क्रिया है चलती। ⚡️

अर्थ: ऊर्जा विभिन्न रूपों में दिखती है, जैसे बिजली और सूर्य का प्रकाश। यह हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली सभी मशीनों को चलाती है।

तीसरा चरण:
🍎 भोजन में जो है छुपी, रासायनिक ऊर्जा, 🍎
🍎 काम करने की क्षमता, देती है ये ऊर्जा। 🍎
🍎 हम खाते हैं, पीते हैं, और चलते हैं, दौड़ते, 🍎
🍎 यही ऊर्जा हमें, हर काम करने को है प्रेरित करती। 🍎

अर्थ: हमारे भोजन में रासायनिक ऊर्जा होती है जो हमें काम करने की शक्ति देती है।

चौथा चरण:
💨 हवा में है गतिज, नदी में है प्रवाह, 💨
💨 पत्थरों में छिपी हुई, स्थितिज है ये ऊर्जा। 💨
💨 परमाणु में है शक्ति, जिसका है ये भंडार, 💨
💨 इस ऊर्जा का तो, है असीमित विस्तार। 💨

अर्थ: कविता ऊर्जा के विभिन्न रूपों जैसे गतिज और स्थितिज ऊर्जा को बताती है।

पांचवां चरण:
💡 बिजली से ही तो, शहर है जगमगाता, 💡
💡 बिना इसके, हर घर, है अंधियारा ही पाता। 💡
💡 विज्ञान ने ऊर्जा का, उपयोग करना सिखाया, 💡
💡 हर एक काम को, सरल है बनाया। 💡

अर्थ: बिजली के रूप में ऊर्जा ने शहरों को रोशन किया है और विज्ञान ने इसके उपयोग से हमारे जीवन को आसान बनाया है।

छठा चरण:
♻️ कोयला, पेट्रोल, का उपयोग है कम करो, ♻️
♻️ सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा को है तुम अपनाओ। ♻️
♻️ प्रदूषण को है घटाओ, धरती को है बचाओ, ♻️
♻️ नवीकरणीय ऊर्जा से, भविष्य को है उज्ज्वल बनाओ। ♻️

अर्थ: यह चरण नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपनाने और पर्यावरण को बचाने का संदेश देता है।

सातवां चरण:
🌍 ऊर्जा ही तो है, सृष्टि का आधार, 🌍
🌍 ऊर्जा ही तो है, विज्ञान का चमत्कार। 🌍
🌍 इसके बिना, ना कोई जीवन, ना कोई गति, 🌍
🌍 ऊर्जा ही तो है, जीवन की उन्नति। 🌍

अर्थ: कविता का अंतिम चरण इस बात पर जोर देता है कि ऊर्जा ही जीवन और विज्ञान का आधार है।

--अतुल परब
--दिनांक-29.09.2025-सोमवार. 
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