श्री श्री लाहिड़ी महाशय जयंती: क्रियायोग के पुनरुद्धारक का आविर्भाव-🙏🏡🧘‍♂️📖

Started by Atul Kaviraje, October 01, 2025, 10:54:58 AM

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Atul Kaviraje

श्री लाहिरी महाशय जयंती-

श्री श्री लाहिड़ी महाशय जयंती: क्रियायोग के पुनरुद्धारक का आविर्भाव-

हिंदी कविता - 'गृहस्थ योगी का संदेश'-

१. प्रथम चरण
आज तीस सितंबर, गुरु जयंती आई है।
लाहिड़ी महाशय की महिमा, जग में छाई है।
महावतार बाबाजी से, क्रियायोग की दीक्षा पाई है।
गृहस्थ राह में मुक्ति की, आपने राह दिखाई है।

अर्थ: आज तीस सितंबर है, गुरु की जयंती आई है। लाहिड़ी महाशय की महिमा पूरे संसार में फैली हुई है। उन्होंने महावतार बाबाजी से क्रियायोग की दीक्षा प्राप्त की है। आपने गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी मुक्ति का मार्ग दिखाया है।
इमोजी: 📅🙏✨

२. द्वितीय चरण
काशी में रहते, कर्म को पूजा माना।
सांसारिक करते हुए, ईश्वर को पहचाना।
प्राणायाम से प्राणों को, ऊर्जावान जाना।
'बनत, बनत, बन जाए' का, अद्भुत संदेश ठाना।

अर्थ: आप काशी में रहते हुए भी कर्म को पूजा मानते थे। सांसारिक कार्य करते हुए भी आपने ईश्वर को पहचान लिया। प्राणायाम के द्वारा प्राणों को ऊर्जावान बनाया। 'करते रहो, करते रहो, यह सिद्ध हो जाएगा' का अद्भुत संदेश आपने स्थापित किया।
इमोजी: 🏡🧘�♂️💡

३. तृतीय चरण
हिमालय की कंदरा से, योग को मुक्त किया।
राजयोग का यह रहस्य, सब तक संयुक्त किया।
शरीर को मंदिर जानकर, ईश्वर को व्यक्त किया।
हर मानव के हृदय में, आत्मा को सत्य किया।

अर्थ: आपने हिमालय की गुफाओं से योग को बाहर निकाला। राजयोग के इस रहस्य को आपने सभी लोगों तक पहुँचाया। शरीर को मंदिर मानकर आपने उसमें ईश्वर को प्रकट किया। आपने हर मनुष्य के हृदय में आत्मा की सच्चाई को स्थापित किया।
इमोजी: ⛰️🔑💖

४. चतुर्थ चरण
गीता की व्याख्या दी आपने, ज्ञान का दीप जलाया।
कर्म करो पर फल की आस, मन से दूर भगाया।
हर पल साधना में रहना, यही धर्म बतलाया।
आपके वचनों से हमने, सच्चा प्रेम पाया।

अर्थ: आपने गीता की व्याख्या की और ज्ञान का दीपक जलाया। कर्म करने को कहा पर फल की आशा को मन से दूर भगाने की शिक्षा दी। हर पल साधना में लगे रहना ही सच्चा धर्म है, यह आपने बताया। आपके वचनों से हमने सच्चा प्रेम प्राप्त किया।
इमोजी: 📖🕯�🕊�

५. पंचम चरण
यौगिक शक्ति थी अद्भुत, पर थे विनम्र अपार।
हर जाति हर धर्म को, दिया ज्ञान का अधिकार।
शिष्य आपके हुए महान, योगानन्द का आभार।
पश्चिम तक गूँजा नाम, मिटा हर अंधकार।

अर्थ: आपकी यौगिक शक्तियाँ अद्भुत थीं, पर आप अत्यंत विनम्र थे। आपने हर जाति और हर धर्म के लोगों को ज्ञान का अधिकार दिया। आपके शिष्य महान हुए, विशेषकर योगानंदजी, जिनका हम आभार मानते हैं। आपका नाम पश्चिम तक पहुँचा और हर अंधकार मिट गया।
इमोजी: 🌹🤝🌍

६. षष्ठम चरण
देह कारागार से छूटो, यह मंत्र सिखाया।
अपनी श्वास को पहचानो, यही ईश्वर बतलाया।
ध्यान की शक्ति से जिसने, मन को शांत बनाया।
उसने ही परम-सत्य को, अपने भीतर पाया।

अर्थ: आपने यह मंत्र सिखाया कि शरीर की कैद से बाहर निकलो। अपनी श्वास को पहचानो, यही ईश्वर की पहचान है। ध्यान की शक्ति से जिसने अपने मन को शांत किया, उसने ही परम सत्य को अपने भीतर पा लिया।
इमोजी: ⛓️💨🧘�♀️

७. सप्तम चरण
गुरुवर तेरी जयंती पर, नमन हमारा स्वीकार हो।
क्रियायोग का यह मार्ग, हर घर का अधिकार हो।
विनम्रता और ज्ञान का, हर मन में संचार हो।
लाहिड़ी महाशय की कृपा से, जीवन का उद्धार हो।

अर्थ: हे गुरुवर, आपकी जयंती पर हमारा नमस्कार स्वीकार हो। क्रियायोग का यह मार्ग हर घर का अधिकार बने। विनम्रता और ज्ञान का संचार हर मन में हो। लाहिड़ी महाशय की कृपा से हमारे जीवन का उद्धार हो।
इमोजी: 🙌🎉💖

दीर्घ हिंदी कविता- सारansh (Summary):
कविता का संक्षिप्त अर्थ: यह कविता श्री श्री लाहिड़ी महाशय की जयंती पर आधारित है। इसमें उनके गृहस्थ योगी के रूप में जीवन, महावतार बाबाजी से क्रियायोग की दीक्षा, और गृहस्थों के लिए मुक्ति का मार्ग खोलने के उनके कार्य का वर्णन है। कविता उनके संदेश 'बनत, बनत, बन जाए' और उनकी गीता की व्याख्या को उजागर करती है। उनकी विनम्रता और सार्वभौमिक शिक्षा पर जोर दिया गया है, जिसने उनकी परंपरा को परमहंस योगानंद के माध्यम से वैश्विक स्तर पर फैलाया। भक्त उनसे ज्ञान और उद्धार का आशीर्वाद मांगते हैं।

इमोजी सारansh (Emoji Summary):
🙏🏡🧘�♂️📖🌍 - क्रियायोग, विनम्रता और वैश्विक ज्ञान का संगम।

--अतुल परब
--दिनांक-30.09.2025-मंगळवार. 
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