श्री बनशंकरी देवी यात्रा, बनाळी (जत): श्रद्धा और शाकाहार का पावन संगम-🙏🌿💪🦁💖

Started by Atul Kaviraje, October 01, 2025, 10:55:42 AM

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Atul Kaviraje

श्री बIणशंकरी यात्रा-बनाळी, तालुका-जत-

श्री बनशंकरी देवी यात्रा, बनाळी (जत): श्रद्धा और शाकाहार का पावन संगम-

हिंदी कविता - 'बनशंकरी की महिमा'-

यह कविता एक सुंदर, अर्थपूर्ण, सीधीसादी सरल तुकबंदी के साथ, सात चरणों और प्रत्येक चरण में चार पंक्तियों के साथ प्रस्तुत है।

१. प्रथम चरण
बनाळी ग्राम, जत तालुका, भक्ति का यह धाम है।
बनशंकरी माता का, पावन पुण्य नाम है।
नवरात्रि की पावन वेला, पूजा आठों याम है।
कर्नाटक, महाराष्ट्र से, सबको प्रणाम है।

अर्थ: बनाळी गाँव, जत तालुका में, यह भक्ति का पवित्र स्थान है। बनशंकरी माता का नाम बहुत पवित्र और पुण्यकारी है। नवरात्रि के इस पवित्र समय में, आठों पहर माता की पूजा होती है। कर्नाटक और महाराष्ट्र से आए सभी भक्तों को प्रणाम है।
इमोजी: 🏡🙏🚩

२. द्वितीय चरण
शाकंभरी माँ का रूप, वन में किया निवास है।
दुष्काल की धरती पर भी, हरियाली का वास है।
आँचल में फल-फूल दिए, सबका मिटा अनायास है।
बावड़ी के शीतल जल में, सबकी बुझे प्यास है।

अर्थ: आप शाकंभरी माँ का रूप हैं, आपने वन में निवास किया है। सूखाग्रस्त धरती पर भी आपके कारण हरियाली छाई रहती है। आपने अपने आँचल में फल-फूल दिए, जिससे सबका दुःख आसानी से मिट गया। बावड़ी के ठंडे जल से सबकी प्यास बुझती है।
इमोजी: 🌿🌳💧

३. तृतीय चरण
शाकाहार का गाँव यह, नियम यहाँ का खास है।
अहिंसा का संदेश देती, देवी का आवास है।
जो भूला यह रीति कभी, उस पर भ्रमर का त्रास है।
पावन यह परंपरा माँ, हर भक्त की आस है।

अर्थ: यह गाँव शाकाहार का पालन करता है, यहाँ का नियम विशेष है। यह देवी का निवास अहिंसा का संदेश देता है। जो इस परंपरा को भूलता है, उस पर मधुमक्खियों का भय (कष्ट) आता है। यह पवित्र परंपरा हर भक्त की आशा है।
इमोजी: 🥕🐝🚫

४. चतुर्थ चरण
सिंह पर आरूढ़ हुई माँ, तेज भरा है मूर्ति में।
लाल चुनरिया, पीला श्रृंगार, दिखती दिव्य स्फूर्ति में।
हर रोग हर संकट को माँ, दूर करे मूर्ति में।
भक्तों का जीवन सुखमय, हो जाये पूर्ति में।

अर्थ: माँ सिंह पर सवार हैं, उनकी मूर्ति में तेज भरा है। लाल चुनरी और पीला श्रृंगार में, वे दिव्य स्फूर्ति से भरी दिखती हैं। माँ अपनी मूर्ति में हर रोग और हर संकट को दूर करती हैं। भक्तों का जीवन सुखमय हो, उनकी हर इच्छा पूरी हो।
इमोजी: 🦁🔴🟡

५. पंचम चरण
कुश्ती का होता दंगल, यात्रा का यह रंग है।
शक्ति और भक्ति का माँ, पावन यह प्रसंग है।
जय-जयकार से गूँजता, सारा यह अंग है।
नवस पूर्ण करती देवी, सब रहते संग है।

अर्थ: यहाँ कुश्ती का दंगल होता है, जो यात्रा का एक रंग है। माँ की शक्ति और भक्ति का यह पवित्र अवसर है। जय-जयकार से यह सारा स्थान गूंज उठता है। देवी मन्नतें पूरी करती हैं और सब एकजुट होकर रहते हैं।
इमोजी: 💪🥁🤝

६. षष्ठम चरण
तेरा ज्ञान है गहरा माँ, तेरी करुणा अपार है।
आंध्र, महाराष्ट्र, कर्नाटक, करते जयकार है।
तू ही कुलदेवी हमारी, तू ही आधार है।
तेरे आशीर्वाद से ही, जीवन का सार है।

अर्थ: माँ, आपका ज्ञान गहरा है, और आपकी करुणा अपरिमित है। आंध्र, महाराष्ट्र और कर्नाटक के भक्त आपका जयजयकार करते हैं। आप ही हमारी कुलदेवी हैं, आप ही आधार हैं। आपके आशीर्वाद से ही जीवन का सार है।
इमोजी: 💡💖🌍

७. सप्तम चरण
बनशंकरी माता की, वंदना बारंबार हो।
भक्ति और सेवा से माँ, जीवन का उद्धार हो।
बनाळी की यह यात्रा, हर वर्ष सुखकार हो।
तेरी कृपा की छाया में, सबका बेड़ा पार हो।

अर्थ: बनशंकरी माता की वंदना बार-बार हो। भक्ति और सेवा से हमारे जीवन का उद्धार हो। बनाळी की यह यात्रा हर साल सुखदायक हो। आपकी कृपा की छाया में, सबका जीवन सफल हो।
इमोजी: 🙌🎉🚩

दीर्घ हिंदी कविता- सारansh (Summary):
कविता का संक्षिप्त अर्थ: यह कविता जत तालुका के बनाळी गाँव की श्री बनशंकरी देवी यात्रा को समर्पित है। इसमें देवी के शाकंभरी स्वरूप (वनस्पति की देवी), सूखाग्रस्त क्षेत्र में हरियाली बनाए रखने की उनकी शक्ति और शाकाहार के कठोर नियम का वर्णन है। कविता में नवरात्रि में होने वाले कठोर उपवास, कुश्ती दंगल और तीन राज्यों (महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र) के भक्तों की आस्था का उल्लेख है। भक्त माँ से तेज, करुणा और आशीर्वाद की कामना करते हैं।

इमोजी सारansh (Emoji Summary):
🙏🌿💪🦁💖 - शाकंभरी माँ की भक्ति, शक्ति और शाकाहारी परंपरा।

--अतुल परब
--दिनांक-30.09.2025-मंगळवार. 
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