सदगुरु दिगंबरदास महाराज जयंती: धर्मनिष्ठा और लोकसेवा का पावन पर्व-1-🙏😇📿💪🏥✨

Started by Atul Kaviraje, October 01, 2025, 12:26:40 PM

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Atul Kaviraje

दिगंबरदास महाराज जयंती-पुणे-

दिगंबरदास महाराज दत्त संप्रदाय और स्वरूप संप्रदाय की महान परंपरा से जुड़े हुए थे। उनका जीवन धर्मनिष्ठा और लोकसेवा का अद्भुत संगम था।

सदगुरु दिगंबरदास महाराज जयंती: धर्मनिष्ठा और लोकसेवा का पावन पर्व-

तिथि: ३० सितंबर, मंगलवार (आज की कल्पित तिथि के अनुसार, हालांकि वास्तविक जयंती १७ अक्टूबर को होती है)

स्थान: सदगुरु बाबा महाराज सहस्त्रबुद्धे समाधि मंदिर एवं सदगुरु दिगंबरदास महाराज समाधि मंदिर, पुणे।

थीम: भक्ति भाव पूर्ण, उदाहरणों सहित, चित्रात्मक वर्णन, प्रतीकों और इमोजी के साथ, संपूर्ण एवं विवेचनपरक विस्तृत लेख।

सदगुरु दिगंबरदास महाराज (मूल नाम: विट्ठल गणेश जोशी) आधुनिक काल के एक महान संत, क्रियावान सत्पुरुष और दत्त संप्रदाय के प्रख्यात प्रचारक थे। उनका जन्म कोंकण क्षेत्र में हुआ, लेकिन उनकी तपस्या और कार्यक्षेत्र मुख्य रूप से पुणे (शिवाजी नगर) और डेरवण (रत्नागिरी) रहा। उनकी जयंती का उत्सव उनके भक्तों के लिए केवल एक जन्मतिथि नहीं, बल्कि उनके चरित्र, कर्मनिष्ठा और गुरुभक्ति के प्रति समर्पण व्यक्त करने का एक महा-अनुष्ठान है।

१. सदगुरु दिगंबरदास महाराज: परिचय और गुरु परंपरा 😇
१.१. बाल्यकाल और वैराग्य: उनका जन्म १९१२ में कोंकण के पोमेंडी गाँव में हुआ। बचपन से ही उनमें वैराग्य और ईश्वर की खोज की तीव्र भावना थी, जिसके चलते उन्होंने कम उम्र में ही घर छोड़ दिया।

१.२. गुरु दीक्षा: उन्हें पुणे में बीडकर महाराज और बाबा महाराज सहस्त्रबुद्धे का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। बाबा महाराज ने उन्हें स्वरूप संप्रदाय में दीक्षित किया और उन्हें संप्रदाय के प्रचार का आदेश दिया। 📿

१.३. पुणे कर्मभूमि: उन्होंने पुणे में अपने गुरु बाबा महाराज सहस्त्रबुद्धे के समाधि मंदिर का कायाकल्प किया और उसे भक्ति का एक जीवंत केंद्र बनाया।

२. जयंती उत्सव का स्वरूप और महत्व 🙏
२.१. उत्सव का आरंभ: जयंती उत्सव का आरंभ अक्सर अखंड हरिनाम सप्ताह या कीर्तन महोत्सव से होता है।

२.२. पादुका पूजन: इस दिन महाराज की पादुका (खड़ाऊँ) का विशेष पूजन और अभिषेक किया जाता है, जो गुरु के ज्ञान और मार्गदर्शन का प्रतीक है।

२.३. गुरु वंदना: यह दिन गुरु परंपरा के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने और महाराज द्वारा दिए गए शिक्षाओं का चिंतन करने का अवसर होता है।

३. कर्मनिष्ठा और सेवा धर्म का उदाहरण 💪
३.१. दीन-दुःखियों की सेवा: महाराज का मानना था कि दीन-दुःखियों की सेवा ही परमेश्वर की सच्ची पूजा है।

३.२. डेरवण का कार्य: उन्होंने कोंकण के डेरवण नामक स्थान पर एक 'प्रतिसृष्टि' (मिनी-टाउनशिप) का निर्माण किया। यहाँ उन्होंने अस्पताल, पोस्ट ऑफिस, स्कूल और किसानों के लिए सुविधाएं स्थापित कीं। 🏥

३.३. राष्ट्रप्रेम: उनमें राष्ट्रप्रेम और धर्मश्रद्धा की गहरी भावना थी। वे छत्रपति शिवाजी महाराज का अत्यधिक सम्मान करते थे और उनका स्मारक बनाने का भी प्रयास किया। 🇮🇳

४. भक्ति और साहित्यिक योगदान 📖
४.१. श्रीरामहृदय: उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना 'श्रीरामहृदय' है, जो ९४५ श्लोकों का एक महत्वपूर्ण प्रकरण है और संप्रदाय में बहुत लोकप्रिय है।

४.२. अन्य रचनाएँ: उन्होंने सद्गुरु मानसपूजा, मनोबोध और आरतियाँ (बाबा महाराज सहस्त्रबुद्धे की आरती) भी लिखीं।

४.३. मधुर कीर्तन: उन्हें मधुर आवाज में भजन और कीर्तन करने का शौक था, जिससे श्रोतागण भक्ति में तल्लीन हो जाते थे। 🎶

५. महाराज का अद्भुत व्यक्तित्व ✨
५.१. ६४ कलाओं के ज्ञाता: महाराज को चौंसठ कलाओं (संगीत, ज्योतिष, कृषि, वास्तुकला आदि) का ज्ञान था।

५.२. व्यक्तित्व का मिश्रण: उनके व्यक्तित्व को "पत्थर से कठोर, फिर भी फूल से कोमल" (Harder than a stone yet more tender than a flower) कहा जाता था, जो उनके कठोर अनुशासन और असीम दया को दर्शाता है।

५.३. अनुशासन और योजना: उनके उत्कृष्ट अनुशासन, निरंतर सजगता और सूक्ष्म योजना की क्षमता को उनके भक्त आज भी याद करते हैं।

इमोजी सारansh (Emoji Summary):
🙏😇📿💪🏥✨🇮🇳 - सेवा, भक्ति और कर्मनिष्ठा के प्रतीक सदगुरु दिगंबरदास महाराज को वंदन।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-30.09.2025-मंगळवार. 
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