श्री बनशंकरी देवी यात्रा, बनाळी (जत): श्रद्धा और शाकाहार का पावन संगम-1-🙏🌿🦁💪

Started by Atul Kaviraje, October 01, 2025, 12:30:08 PM

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Atul Kaviraje

श्री बIणशंकरी यात्रा-बनाळी, तालुका-जत-

 श्री बनशंकरी देवी यात्रा महाराष्ट्र के सांगली जिले के जत तालुका स्थित बनाळी गाँव का एक अत्यंत पवित्र और ऊर्जावान उत्सव है। यह देवी, जो मूल रूप से कर्नाटक के बादामी पीठ से जुड़ी हैं, को शाकंभरी देवी का रूप माना जाता है।

श्री बनशंकरी देवी यात्रा, बनाळी (जत): श्रद्धा और शाकाहार का पावन संगम-

तिथि: ३० सितंबर, मंगलवार (आज की कल्पित तिथि के अनुसार, यात्रा मुख्यतः नवरात्रि में होती है)

स्थान: श्री बनशंकरी देवी मंदिर, बनाळी, तालुका-जत, ज़िला-सांगली, महाराष्ट्र।

थीम: भक्ति भाव पूर्ण, उदाहरणों सहित, चित्रात्मक वर्णन, प्रतीकों और इमोजी के साथ, संपूर्ण एवं विवेचनपरक विस्तृत लेख।

बनाळी (जत) स्थित श्री बनशंकरी देवी का मंदिर भक्तों के लिए केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि प्रकृति, आस्था और कठोर नियमनिष्ठा का अद्भुत मिश्रण है। यह देवी, जिन्हें शाकंभरी देवी का ही एक रूप माना जाता है, को जागृत देवस्थान के रूप में पूजा जाता है। यहाँ की यात्रा (उत्सव) महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के हजारों भक्तों की अटूट श्रद्धा का प्रतीक है।

१. देवी का परिचय: बनशंकरी से शाकंभरी तक 🌿
१.१. नाम का अर्थ: 'बनशंकरी' नाम दो संस्कृत शब्दों से बना है: 'वन' (जंगल) और 'शंकरी' (शिव या पार्वती)। चूँकि यह मंदिर घने वन क्षेत्र (वनराई) में स्थित है, इसलिए इन्हें बनशंकरी कहा जाता है।

१.२. शाकंभरी रूप: बनशंकरी माँ दुर्गा के अवतार शाकंभरी देवी का ही एक रूप हैं। शाकंभरी का अर्थ है 'वनस्पतियों की देवी' (जो शाक या वनस्पति से संसार का भरण-पोषण करती हैं)।

१.३. बादामी पीठ से संबंध: इस मंदिर का मूल पीठ कर्नाटक के बादामी में स्थित है, जहाँ सातवीं शताब्दी में चालुक्यों ने उनका मंदिर बनवाया था। बनाळी में देवी की स्थापना भी बादामी के भक्तों की कथा से जुड़ी है।

२. बनाळी मंदिर का स्थान और प्राकृतिक सौंदर्य 🏞�
२.१. नयनरम्य वनराई: जत शहर से लगभग १० किलोमीटर उत्तर में बनाळी गाँव के पास, एक छोटे से पहाड़ी की गोद में यह मंदिर स्थित है।

२.२. 'दुष्काळी' क्षेत्र में हरियाली: यह क्षेत्र सूखाग्रस्त होने के बावजूद, मंदिर के चारों ओर लगभग २०-२५ एकड़ में गर्द हरी-भरी वनराई (आम, इमली, जामुन, वटवृक्ष) है, जो देवी की शाकंभरी शक्ति का प्रत्यक्ष प्रमाण है। 🌳

२.३. जल स्रोत: इस बन में दो बड़ी बावड़ी (कुएँ) हैं, जिनमें से एक से गाँव को पानी मिलता है, जो इस स्थान की दिव्य ऊर्जा को दर्शाता है। 💧

३. बनशंकरी यात्रा (उत्सव) का स्वरूप 🔔
३.१. नवरात्रि महोत्सव: यह यात्रा मुख्यतः नवरात्रि (घटस्थापना से घटोत्थापन) के दौरान मनाई जाती है, जो इस क्षेत्र का सबसे बड़ा भक्ति पर्व है।

३.२. कडक उपवास: नवरात्रि के पहले कुछ दिन (प्रायः तीन या चार) गाँव के लोग कठोर उपवास करते हैं, जिसमें कई लोग अन्न-जल भी त्याग देते हैं। यह उनकी तपस्या और भक्ति की पराकाष्ठा है। 🙏

३.३. पालकी और शोभायात्रा: दुर्गाष्टमी के मुख्य दिन, देवी की पालकी मंदिर की परिक्रमा कर गाँव के चारों ओर शोभायात्रा निकालती है, जिसमें भक्तगण उत्साह से भाग लेते हैं। 🥁

४. 'शाकाहारी गाँव' की अनूठी परंपरा 🥕
४.१. मांस-मदिरा का त्याग: बनाळी गाँव की सबसे अनूठी विशेषता यह है कि यह एक 'शाकाहारी गाँव' है। गाँव में कोई भी व्यक्ति मांसाहार नहीं करता और न ही उससे जुड़ा कोई व्यवसाय करता है।

४.२. दैवीय मान्यता: स्थानीय मान्यता के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति गाँव में या मंदिर परिसर में मांसाहार करता है, तो जंगल की मधुमक्खियाँ उस पर हमला कर देती हैं। यह भक्तों की श्रद्धा और भय का अद्भुत मेल है। 🐝

४.३. बाहरी आगंतुकों के लिए नियम: इस नियम का पालन गाँव के स्थायी निवासियों के साथ-साथ यहाँ आने वाले मेहमानों और तीर्थयात्रियों को भी करना पड़ता है। यह देवी के प्रति उनकी अटूट निष्ठा को दर्शाता है।

५. भक्तिभाव और श्रद्धा के उदाहरण 💖
५.१. नवसाला पावणारी देवी: देवी को 'नवसाला पावणारी' (मन्नतें पूरी करने वाली देवी) माना जाता है। महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से भक्त मन्नतें माँगने और पूरी होने पर दर्शन के लिए आते हैं।

५.२. ज्योत ले जाना: नवरात्रि में आस-पास के गाँवों और शहरों के मंडल यहाँ से पवित्र ज्योत (अखंड दीप) ले जाते हैं, जो देवी के प्रकाश और शक्ति को दर्शाती है। 🔥

५.३. महाप्रसाद: हर शुक्रवार को यहाँ महाप्रसाद (सामुदायिक भोजन) का आयोजन किया जाता है, जिसमें जात-पात का भेद मिटाकर सभी एक साथ भोजन करते हैं। 🍲

इमोजी सारansh (Emoji Summary):
🙏🌿🦁💪🥕 - बनशंकरी देवी (शाकंभरी) की शक्ति, वन और शाकाहार की परंपरा को वंदन।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-30.09.2025-मंगळवार. 
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