काळम्मादेवी जागर-कळम्मावाडी, तालुका-वाळवा-1-🔱🥁🌙🔥🙏

Started by Atul Kaviraje, October 01, 2025, 12:33:12 PM

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Atul Kaviraje

काळम्मादेवी जागर-कळम्मावाडी, तालुका-वाळवा-

हालाँकि 'काळम्मादेवी जागर - कळम्मावाडी, तालुका-वाळवा, सांगली' के बारे में विशिष्ट ऐतिहासिक विवरण कम उपलब्ध हैं (अधिक जानकारी कोल्हापुर जिले के कलम्मावाड़ी बांध के निकट स्थित देवी के संदर्भ में मिलती है), फिर भी 'काळम्मादेवी' (जो अक्सर काली या अंबा/यल्लम्मा देवी का स्थानीय रूप होती हैं) के 'जागर' (रात्रि जागरण) की परंपरा महाराष्ट्र की लोक-भक्ति का एक अभिन्न अंग है।

यह लेख सांगली जिले के वाळवा तालुका के कळम्मावाडी में मनाए जाने वाले इस जागर उत्सव की भक्तिपूर्ण और सांस्कृतिक भावना को उजागर करता है।

श्री काळम्मादेवी जागर, कळम्मावाडी (वाळवा): शक्ति-उपासना और लोक-भक्ति की रात्रि-

तिथि: ३० सितंबर, मंगलवार (जागर उत्सव प्रायः नवरात्रि, पूर्णिमा या विशेष मंगलवार/शुक्रवार को होते हैं)

स्थान: श्री काळम्मादेवी मंदिर, कळम्मावाडी, तालुका-वाळवा, ज़िला-सांगली, महाराष्ट्र।

थीम: भक्ति भाव पूर्ण, उदाहरणों सहित, चित्रात्मक वर्णन, प्रतीकों और इमोजी के साथ, संपूर्ण एवं विवेचनपरक विस्तृत लेख।

कळम्मावाडी (वाळवा) गाँव में आयोजित होने वाला काळम्मादेवी जागर (जागरण) केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की लोक-संस्कृति, शक्ति-उपासना और अटूट ग्रामीण आस्था का एक जीवंत प्रदर्शन है। काळम्मादेवी माँ कालिका या यल्लम्मा देवी का एक स्थानीय और अत्यंत जागृत स्वरूप हैं, जिनकी आराधना विशेष रूप से रात्रि में 'जागरण' के माध्यम से की जाती है। यह उत्सव गाँव की सामूहिक भक्ति और देवी के प्रति गहरे प्रेम को दर्शाता है।

१. देवी का परिचय: काळम्मादेवी और उनका स्वरूप 🌑
१.१. नाम का अर्थ: 'काळम्मा' नाम का संबंध प्रायः 'काली' या 'कालिका' से होता है, जो देवी दुर्गा का उग्र और शक्तिशाली रूप हैं। 'अम्मा' शब्द मातृ-शक्ति को दर्शाता है।

१.२. शक्ति और न्याय की देवी: काळम्मादेवी को शक्ति, न्याय और संहार की देवी माना जाता है। भक्तों का विश्वास है कि वे सभी बुरी शक्तियों और कष्टों का नाश करती हैं।

१.३. लोक-परंपरा: यह देवी यल्लम्मा और रेणुका माता की व्यापक महाराष्ट्रियन लोक-भक्ति परंपरा से भी जुड़ी हो सकती हैं।

२. जागर का अर्थ और महत्व 🌃
२.१. 'जागर' क्या है?: जागर का अर्थ है 'जागरण' या रात भर जागकर किया गया धार्मिक अनुष्ठान। यह देवी को प्रसन्न करने, उनका आह्वान करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

२.२. रात्रि की उपासना: यह अनुष्ठान विशेष रूप से रात्रि में किया जाता है, क्योंकि देवी के शक्ति स्वरूप की उपासना का यह सबसे उपयुक्त समय माना जाता है।

२.३. सामूहिक भक्ति: यह अनुष्ठान व्यक्तिगत न होकर सामूहिक होता है, जिसमें गाँव के सभी लोग एक साथ मिलकर देवी की स्तुति करते हैं।

३. जागर उत्सव का स्वरूप और आयोजन 🥁
३.१. पारंपरिक वाद्य: जागर की शुरुआत और समापन पारंपरिक वाद्य यंत्रों (ढोल, ताशा, संबळ) की ध्वनि से होती है, जो एक ऊर्जावान और भक्तिमय वातावरण बनाते हैं।

३.२. गोंधळ: जागर का केंद्रीय आकर्षण 'गोंधळ' होता है, जो देवी-देवताओं की स्तुति में गाए जाने वाले गीतों और नृत्यों का एक पारंपरिक मराठी लोक-नाट्य रूप है।

३.३. 'गोंधळी' कलाकार: यह कला प्रदर्शन विशेष रूप से 'गोंधळी' समुदाय के कलाकारों द्वारा किया जाता है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।

४. भक्तिभाव और श्रद्धा के उदाहरण 🙏
४.१. देवी की 'ओटी भरणे': महिलाएं देवी को साड़ी, चूड़ियाँ, हल्दी-कुमकुम और नारियल चढ़ाकर उनकी 'ओटी भरती' हैं, जो मातृ-शक्ति के प्रति सम्मान का प्रतीक है।

४.२. 'अखंड दीप': कई भक्त जागर के दौरान देवी के सामने अखंड दीप प्रज्वलित करते हैं, जो उनकी अटूट आस्था और जीवन में प्रकाश की कामना को दर्शाता है। 🔥

४.३. नवस (मन्नतें): जागर में भाग लेने वाले भक्त अपनी मन्नतें (नवस) पूरी होने के बाद देवी का आभार व्यक्त करते हैं और नए नवस माँगते हैं।

५. दिव्यता और लोक-मान्यताएँ ✨
५.१. दैवीय आह्वान: गोंधळ के चरम पर, कुछ भक्तों पर देवी का संचार (आवेश) आता है, जिसे गाँव वाले देवी की साक्षात् उपस्थिति मानते हैं।

५.२. समस्याओं का निवारण: स्थानीय मान्यता है कि जागर में शामिल होने से दुष्ट शक्तियों का नाश होता है और व्यक्तिगत व सामूहिक समस्याओं का निवारण होता है।

५.३. 'जागृत' देवस्थान: कळम्मावाडी के लोग इस स्थान को एक 'जागृत' (जागता हुआ) देवस्थान मानते हैं, जहाँ देवी की शक्ति हर क्षण मौजूद है।

इमोजी सारansh (Emoji Summary):
🔱🥁🌙🔥🙏 - काळम्मादेवी (शक्ति) का रात्रि जागरण, लोक संगीत और अटूट आस्था।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-30.09.2025-मंगळवार. 
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