श्री हरणाई देवी यात्रा, भुषणगड (खटाव): भक्ति का शिखर और इतिहास का गौरव-1-🏔️🏰🚩

Started by Atul Kaviraje, October 01, 2025, 12:34:32 PM

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Atul Kaviraje

श्री हरणाई देवी यात्रा-भुषणगड, तालुका-खटाव-

यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल का विषय है। श्री हरणाई देवी का मंदिर, सतारा ज़िले के खटाव तालुका में स्थित भुषणगड किले पर स्थित है। यह महाराष्ट्र में शक्ति उपासना और मराठा इतिहास का एक अनूठा संगम है।

श्री हरणाई देवी यात्रा, भुषणगड (खटाव): भक्ति का शिखर और इतिहास का गौरव-

तिथि: ३० सितंबर, मंगलवार (यह लेख नवरात्रि उत्सव की भावना को समाहित करता है, जो प्रायः सितंबर-अक्टूबर में होता है)

स्थान: श्री हरणाई देवी मंदिर, भुषणगड किला, तालुका-खटाव, ज़िला-सतारा, महाराष्ट्र।

थीम: भक्ति भाव पूर्ण, उदाहरणों सहित, चित्रात्मक वर्णन, प्रतीकों और इमोजी के साथ, संपूर्ण एवं विवेचनपरक विस्तृत एवं प्रादीर्घ लेख।

सतारा जिले के खटाव तालुका में, दूर से ही दृष्टिगोचर होने वाले भुषणगड किले पर, श्री हरणाई देवी का प्राचीन मंदिर भक्तों की अटूट आस्था का केंद्र है। हरणाई देवी को दुर्गा का ही एक जागृत स्वरूप माना जाता है और यह किला कुलकर्णिस जैसे कई मराठा परिवारों की कुलदेवी का निवास स्थान है। यह यात्रा (उत्सव) भक्ति की ऊंचाई को छूने और मराठा इतिहास के गौरव को महसूस करने का एक अनोखा अवसर प्रदान करती है।

१. देवी का परिचय: हरणाई-नवसाला पावणारी 🏔�
१.१. शक्ति स्वरूप: हरणाई देवी, माँ दुर्गा का एक अत्यंत जागृत और दयालु स्वरूप हैं। इन्हें नवसाला पावणारी देवी (मन्नतें पूरी करने वाली देवी) के रूप में पूजा जाता है।

१.२. ऐतिहासिक मान्यता: स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, हरणाई देवी और औंध की यमाई देवी (जो खटाव तालुका में भी पूजी जाती हैं) बहनें हैं, जो मतभेद के कारण अलग-अलग पहाड़ियों पर विराजमान हो गईं।

१.३. अधिष्ठात्री देवी: हरणाई देवी भुषणगड किले की अधिष्ठात्री देवी हैं, और किले पर केवल उन्हीं का मंदिर स्थित है, जो उनके सर्वोच्च महत्व को दर्शाता है।

२. भुषणगड: इतिहास और आध्यात्मिकता का संगम 🏰
२.१. किले का इतिहास: भुषणगड किला मूलतः देवगिरि के राजा सिंघणा द्वारा बनवाया गया माना जाता है, लेकिन छत्रपति शिवाजी महाराज ने इसे १६७६ ई. में जीतकर इसकी पुनर्निर्माण कराया, जिससे इसका महत्व और बढ़ गया।

२.२. 'दुर्ग-देवता' की पूजा: इस किले पर हरणाई देवी का मंदिर होना इस बात का प्रमाण है कि मराठा साम्राज्य में किले की रक्षा के लिए 'दुर्ग-देवता' की पूजा एक अनिवार्य परंपरा थी।

२.३. पर्वतीय सौंदर्य: यह किला आस-पास के मैदानी इलाकों से लगभग ६०० फीट ऊपर है। मंदिर तक पहुँचने के लिए बनाए गए सीढ़ीदार मार्ग भक्तों के लिए एक प्रतीकात्मक तपस्या है।

३. यात्रा का समय और स्वरूप: नवरात्रि उत्सव 🌙
३.१. मुख्य उत्सव: हरणाई देवी की यात्रा का मुख्य समय शारदीय नवरात्रि (घटस्थापना से दुर्गाष्टमी तक) होता है। इस दौरान यहाँ नौ दिनों तक विशेष पूजा-अर्चना चलती है।

३.२. उत्साह और भीड़: महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात जैसे कई राज्यों से भक्त यहाँ दर्शन के लिए आते हैं, जिससे किले पर भक्तों का अलोट मेला लगता है।

३.३. पालकी शोभायात्रा: उत्सव के दौरान देवी की सुसज्जित पालकी को किले के भीतर और नीचे गाँव में घुमाया जाता है, जो भक्तों में अपार उत्साह भर देता है। 🚩

४. भक्ति के विशेष अनुष्ठान और प्रतीक 🙏
४.१. देवी की मूर्ति: मंदिर में हरणाई देवी की लगभग डेढ़ फीट ऊँची मूर्ति है, जिस पर पित्तल का मुखौटा सुशोभित है।

४.२. दीपमाला: मंदिर के सामने एक सुंदर पत्थर की दीपमाला स्थापित है, जिसे यात्रा के दौरान दीयों से सजाया जाता है, जो भक्ति के प्रकाश को दर्शाता है। 🔥

४.३. ओटी भरणे: महिलाएँ अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण करने के लिए देवी को साड़ी, चूड़ियाँ, नारियल और हल्दी-कुमकुम चढ़ाकर ओटी भरती हैं।

५. नवस और आस्था के उदाहरण 💖
५.१. नवस का महत्व: हरणाई देवी को गाँव वाले और आस-पास के क्षेत्र के लोग कष्ट निवारण और इच्छापूर्ति के लिए पूजते हैं।

५.२. उदाहरण (कठिन यात्रा): भक्तगण अक्सर अपने नवस के रूप में कठिन पहाड़ी चढ़ाई को पूरा करके देवी के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। कई लोग पैदल यात्रा करके भी आते हैं। 🚶�♂️

५.३. सिद्धिनाथ का वास: देवी के मंदिर के दाईं ओर सिद्धनाथ की मूर्ति है, जिन्हें कई भक्त देवी का सहायक या द्वारपाल मानते हैं, जिससे भक्तों की आस्था और भी दृढ़ होती है।

इमोजी सारansh (Emoji Summary):
🏔�🏰🚩🙏💖 - भुषणगड पर हरणाई देवी (शक्ति), इतिहास, आस्था और मन्नतें पूरी करने वाली माँ।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-30.09.2025-मंगळवार. 
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