विष्णु के 'नारायण' रूप का रहस्यमय अर्थ- हिंदी कविता: नारायण रूप का गुणगान-

Started by Atul Kaviraje, October 02, 2025, 11:03:15 AM

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Atul Kaviraje

विष्णु के 'नारायण' रूप का रहस्यमय अर्थ-

हिंदी कविता: नारायण रूप का गुणगान-

चरण 1: आदि सत्य का स्वरूप
नार और अयन से बना, हे नारायण नाम,
सृष्टि के कण-कण में, तुम्हारा ही धाम।
जब जल ही जल था, न कोई सृष्टि थी,
शेषनाग पर सोये, वो आदिम हस्ती थी।
अर्थ: 'नार' और 'अयन' शब्दों से बना हे नारायण नाम! सृष्टि के हर कण में तुम्हारा ही निवास है। जब केवल जल ही जल था और कोई सृष्टि नहीं थी, तब तुम शेषनाग पर शयन करने वाली आदिम सत्ता थे। 🌊

चरण 2: मन का कमल निवास
नाभि में कमल खिला, ब्रह्मा को दिया ज्ञान,
पालनहार तुम ही हो, जगत् का कल्याण।
चक्र, गदा, शंख और पद्म, हाथों में सोहे,
ज्ञान, शक्ति और समय, सब तुम ही से मोहे।
अर्थ: तुम्हारी नाभि से कमल उत्पन्न हुआ, जिस पर ब्रह्मा को ज्ञान मिला। तुम ही संसार का पालन करने वाले और कल्याणकारी हो। तुम्हारे हाथों में चक्र, गदा, शंख और कमल सुशोभित हैं, जो ज्ञान, शक्ति और समय का प्रतीक हैं। 🌸

चरण 3: भक्ति का परम धाम
जो तुमको पुकारे, वह भवसागर से तर जाए,
तुम्हारे नाम-स्मरण से, हर दुःख हर जाए।
अजामिल का तुमने, सहज में किया उद्धार,
भक्तों के लिए तुम हो, करुणा का भंडार।
अर्थ: जो भक्त तुम्हारा नाम लेता है, वह इस संसार रूपी सागर से पार हो जाता है। तुम्हारे नाम के जाप से हर दुःख दूर हो जाता है। तुमने अजामिल का भी आसानी से उद्धार किया। तुम भक्तों के लिए करुणा के सागर हो। 🙏

चरण 4: लक्ष्मी का साथ
जहाँ धर्म तुम्हारा, वहीं लक्ष्मी का वास,
तुम हो श्रीपति, करते सबका सुखद आभास।
ऐश्वर्य और न्याय का, करते हो संयोग,
तुम्हारी कृपा से, मिटता हर वियोग।
अर्थ: जहाँ तुम्हारा धर्म होता है, वहीं माँ लक्ष्मी का भी निवास होता है। तुम लक्ष्मी के स्वामी हो और सबको सुख की अनुभूति कराते हो। तुम ऐश्वर्य और न्याय का मेल करते हो। 💎

चरण 5: हर जीव का आश्रय
हर नर का तुम ही तो, हो अंतिम ठिकाना,
तुम ही हो चेतना, तुम ही आना-जाना।
अव्यक्त भी तुम ही हो, और साकार भी तुम,
सारा संसार तुममें, तुम में सारा भ्रम।
अर्थ: हर मनुष्य (नर) का अंतिम आश्रय तुम ही हो। तुम ही चेतना हो और तुम ही जन्म-मरण का चक्र हो। तुम अदृश्य (अव्यक्त) भी हो और दिखाई देने वाले (साकार) भी। सारा संसार तुममें है और तुममें ही सारा रहस्य है। 💖

चरण 6: क्षमा और करुणा
हे श्री हरि, तुम पापों को हर लेते हो,
अपने भक्तों को सदा, तुम अभय देते हो।
सत्य के पथ पर, जो भी चलता है प्राणी,
उसकी रक्षा की तुमने, सदियों से ठानी।
अर्थ: हे श्री हरि, तुम सभी पापों को हर लेते हो और अपने भक्तों को हमेशा निर्भयता प्रदान करते हो। जो भी प्राणी सत्य के मार्ग पर चलता है, उसकी रक्षा करने का तुमने सदियों से निश्चय किया है। 🛡�

चरण 7: प्रेम और मोक्ष
नारायण, नारायण, यही जीवन का सार,
इस मंत्र में छुपा है, प्रेम और मोक्ष का द्वार।
जब साँसें रुकें, मन में रहे तुम्हारा ध्यान,
तो जीवन हो सफल, मिले परम निर्वाण।
अर्थ: 'नारायण, नारायण' यही जीवन का सार है। इस मंत्र में प्रेम और मोक्ष का द्वार छिपा हुआ है। जब अंतिम साँस निकले, तब तुम्हारे चरणों में ध्यान रहे, तो जीवन सफल हो जाता है और परम शांति मिलती है। 🌟

--अतुल परब
--दिनांक-01.10.2025-बुधवार.
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