श्रीविठोबा एवं महाराष्ट्र भक्त संप्रदाय:- हिंदी कविता: विठोबा की वारी-

Started by Atul Kaviraje, October 02, 2025, 11:04:00 AM

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Atul Kaviraje

श्रीविठोबा एवं महाराष्ट्र भक्त संप्रदाय:-

हिंदी कविता: विठोबा की वारी (भक्ति छंद)-

चरण 1: विटेवरी उभा विठ्ठल (ईंट पर खड़े विट्ठल)
विटेवरी उभा तू, हाथ रखे कमर पर,
पुंडलिक की सेवा का, मान रखा थाई पर।
पंढरीनाथ नाम तेरा, पांडुरंग की काया,
तुझमें ही बसी है, महाराष्ट्र की माया।
अर्थ: हे विट्ठल, तुम ईंट पर खड़े हो और हाथ कमर पर रखे हैं, तुमने भक्त पुंडलिक की सेवा-भावना का सम्मान किया था। तुम्हारा नाम पंढरीनाथ और काया पांडुरंग की है। महाराष्ट्र की आत्मा और उसका जादू तुममें ही समाया है। 👑

चरण 2: वारी का दृश्य
जब आषाढ़ी आती, पग पंढरपुर बढ़ते,
ज्ञानोबा के, तुका के, जयकारे हैं गढ़ते।
पालकी और झंडा, लेकर वारकरी चले,
हर जाति का भेद मिटा, सब प्रेम से मिले।
अर्थ: जब आषाढ़ी एकादशी आती है, तब भक्तों के कदम पंढरपुर की ओर बढ़ते हैं। संत ज्ञानेश्वर और संत तुकाराम के जयकारे गूँजते हैं। पालकी और भगवा ध्वज लेकर वारकरी पैदल चलते हैं। जाति का हर भेद मिटाकर सब प्रेम से मिलते हैं। 🚩

चरण 3: अभंगों का अमृत
नामदेव ने गाया, चोखा ने अर्जी दी,
जनाबाई ने भजनों में, तेरी सेवा जी ली।
एकनाथ की वाणी में, हरिपाठ का सार,
तेरी भक्ति के पथ पर, मिटा सारा भार।
अर्थ: संत नामदेव ने तुम्हारा गुणगान किया, संत चोखामेला ने तुम्हें अपनी प्रार्थनाएँ दीं। संत जनाबाई ने अपने भजनों से तुम्हारी सेवा की। संत एकनाथ की वाणी में हरिपाठ का सार है। तुम्हारी भक्ति के मार्ग पर जीवन का सारा बोझ मिट जाता है। 📖

चरण 4: चंद्रभागा का जल
चंद्रभागा तट पर, होता नाम-संकीर्तन,
मृदंग की थाप पर, नाचता है हर जन।
न कोई है धनी यहाँ, न कोई निर्धन,
तेरा नाम जपता, हर माउली का मन।
अर्थ: भीमा नदी के चंद्रभागा तट पर नाम-संकीर्तन होता है। ढोल की थाप पर हर व्यक्ति नाचता है। यहाँ न कोई अमीर है और न कोई गरीब। हर माता (माउली) का मन तुम्हारा नाम जपता है। 🎶

चरण 5: भक्ति का सरल भाव
सरल है तेरी भक्ति, न कोई आडम्बर,
संसार में रहकर भी, तू करता दिगम्बर।
कर्तव्य निभाते हुए, जो तुझे ध्याता है,
वो मोक्ष के द्वार को, सहज ही पाता है।
अर्थ: तुम्हारी भक्ति बहुत सरल है, इसमें कोई दिखावा नहीं है। संसार में रहते हुए भी तुम वैरागी (दिगम्बर) बनाते हो। जो व्यक्ति अपने सांसारिक कर्तव्यों को पूरा करते हुए तुम्हें याद करता है, वह मोक्ष के द्वार को आसानी से प्राप्त कर लेता है। 🏡

चरण 6: पुकार पर दौड़ना
अनाथों का नाथ तू, दीनों का सहारा,
तेरी एक पुकार पर, तू दौड़ा आता है।
सदा भक्तवत्सल, तेरा यह वीर रूप,
अटल, अविचल खड़ा, तू सबका अनूप।
अर्थ: तुम अनाथों के स्वामी और गरीबों के आश्रय हो। तुम्हारी एक पुकार पर तुम तुरंत सहायता के लिए दौड़कर आते हो। भक्त से प्रेम करने वाला तुम्हारा यह वीर रूप, अटल, अविचल और सबसे निराला है। 🙏

चरण 7: अंतिम दर्शन
हे विठ्ठल! मन में, यही है अभिलाषा,
तेरे चरणों में हो, जीवन की निराशा।
जब साँस हो अंतिम, मुख पर तेरा नाम हो,
पंढरी की वारी में, मेरा परम धाम हो।
अर्थ: हे विट्ठल! मेरे मन में यही इच्छा है कि मेरे जीवन की हर निराशा तुम्हारे चरणों में समाप्त हो जाए। जब अंतिम साँस हो, तब मुख पर तुम्हारा ही नाम हो, और पंढरपुर की वारी ही मेरा अंतिम और सर्वोत्तम लक्ष्य हो। ✨

--अतुल परब
--दिनांक-01.10.2025-बुधवार.
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