ज्ञान और शक्ति की देवी को समर्पण-शक्ति और ज्ञान की ज्योत- 📝🎼✨🔱🔱🙏💖🕯️💡📚

Started by Atul Kaviraje, October 02, 2025, 11:10:43 AM

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Atul Kaviraje

ज्ञान और शक्ति की देवी को समर्पण (सरस्वती/देवी को त्याग)-

हिंदी कविता: शक्ति और ज्ञान की ज्योत-

📝🎼✨🔱

चरण 1: (देवी का आह्वान)
जगत जननी तू शक्ति रूप है, ज्ञानदायिनी माँ सरस्वती।
आओ हृदय में, करो कृपा तुम, हो जीवन की नई संगती।
तेरी भक्ति में मन ये डूबे, मिट जाए सब मन की भ्रांति,
लेकर नाम तुम्हारा देवी, मिले हमें परम शांति।

अर्थ: हे माँ दुर्गा और सरस्वती, आप शक्ति और ज्ञान का रूप हैं। मेरे हृदय में आओ और अपनी कृपा बरसाओ। आपकी भक्ति में डूबकर मन के सभी भ्रम दूर हों और मुझे परम शांति मिले।

सिंबल: 🔱🙏💖

चरण 2: (अंधकार का त्याग)
अज्ञान का जो घना अँधेरा, उसे हमें है आज मिटाना।
मोह-माया के बंधन तोड़कर, सत्य मार्ग पर शीश झुकाना।
बुद्धि प्रकाश से जगमग कर दो, हर कोने से दूर हो काली,
यही प्रथम बलिदान हमारा, मिले ज्ञान की हमें दिवाली।

अर्थ: हमें अज्ञानता के घने अँधेरे को मिटाना है। मोह-माया के बंधनों को तोड़कर सत्य के मार्ग पर चलना है। हे माँ, अपनी बुद्धि के प्रकाश से जीवन को जगमगा दो। हमारा पहला त्याग अज्ञान का त्याग है, ताकि ज्ञान की रोशनी मिले।

सिंबल: 🕯�💡📚

चरण 3: (अहंकार का दहन)
अहंकार का सर्प विषैला, फुफकारें न मन के भीतर।
विनय भाव से शीश झुकाए, रहें हमेशा तेरे ही दर।
मैं पन का सब बोझ उतारें, तेरे चरणों में करें विसर्जन,
यही बड़ा है त्याग हमारा, हो जाए तेरा हरदम भजन।

अर्थ: अहंकार रूपी विषैला सर्प हमारे मन में न रहे। हम विनम्रता से आपके सामने शीश झुकाएं। 'मैं' और 'मेरा' के बोझ को आपके चरणों में त्याग दें। यही हमारा सबसे बड़ा त्याग है कि हम हमेशा आपका भजन करते रहें।

सिंबल: 🐍❌🔥

चरण 4: (दुरितों का शमन)
काम, क्रोध और लोभ को माँ, मन से करना दूर ज़रूरी।
जीवन यात्रा में ये बाधा, करतीं सारी खुशियाँ अधूरी।
ये दुरितों का नाश जो होगा, तभी मिलेगा सच्चा सुख तो,
पापों का बलिदान करें हम, तेरे नाम पर अपना मुख धो।

अर्थ: हे माँ, काम, क्रोध और लोभ को मन से दूर करना आवश्यक है, क्योंकि ये हमारे जीवन की खुशियों को अधूरा करते हैं। जब इन बुराइयों का नाश होगा, तभी सच्चा सुख मिलेगा। हम अपने पापों का त्याग करते हैं और आपका नाम लेते हैं।

सिंबल: 😈➡️😇

चरण 5: (समर्पण की शक्ति)
वीणापाणि दो ज्ञान की धारा, शक्तिदायिनी दो बल निर्भय।
भय और संशय दूर भगाओ, हो जीवन में हरदम ही जय।
तेरा होकर जियें हम मैया, तुझमें ही हो हर कर्म का अंत,
यही भावना का है अर्पण, जीवन होवे तेरा ही संत।

अर्थ: हे वीणापाणि (सरस्वती), हमें ज्ञान की धारा दो, और हे शक्तिदायिनी, हमें निडर बल दो। हमारे भय और संदेह दूर हों और हमें हमेशा जीत मिले। हे माँ, हम आपके होकर जिएं और हमारे हर कर्म का अंत आप ही में हो। यही हमारी भावना का समर्पण है।

सिंबल: 🎶🗡�💖

चरण 6: (सेवा का संकल्प)
जो भी हमने ज्ञान कमाया, उसे जगत के हित में लगाएँगे।
तेरी दी हुई शक्ति मैया, दुर्बलों की सेवा में लाएँगे।
निस्वार्थ भाव से सेवा करना, यही धर्म है मानव जीवन का,
यही चढ़ावा सबसे उत्तम, सुखद होवे हर पल मन का।

अर्थ: हमने जो भी ज्ञान प्राप्त किया है, उसे हम संसार के कल्याण में लगाएंगे। आपकी दी हुई शक्ति का उपयोग हम कमजोर लोगों की सेवा में करेंगे। निस्वार्थ सेवा ही मानव जीवन का सबसे बड़ा धर्म है। यही सबसे उत्तम भेंट है, जो हमारे मन को सुखद करेगी।

सिंबल: 🤝🌍💖

चरण 7: (पूर्णता और आशीष)
हे माँ दुर्गे, हे माँ शारदे, तेरी जय हो, तेरी जयकार।
तेरे चरणों में सब कुछ अर्पित, हो जाए जीवन साकार।
बलिदान हमने किया स्वयं का, स्वीकारो तुम यह भेंट हमारी,
कल्याण करो, आशीष दो माँ, यही है विनती हमारी।

अर्थ: हे माँ दुर्गा, हे माँ सरस्वती, आपकी जय हो! हमने अपना सब कुछ आपके चरणों में समर्पित कर दिया है, ताकि हमारा जीवन सफल हो जाए। हमने अपने 'स्वयं' का त्याग किया है, कृपया हमारी यह भेंट स्वीकार करें। हमारा कल्याण करें और हमें आशीर्वाद दें, यही हमारी प्रार्थना है।

सिंबल: 👑🌟✨

--अतुल परब
--दिनांक-01.10.2025-बुधवार. 
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