उपवास पारणे - व्रत समाप्ति का आध्यात्मिक महत्व-पारणे की आस- 📝🔔💖🍎☀️🧘‍♀️🙏🍇

Started by Atul Kaviraje, October 02, 2025, 11:11:44 AM

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Atul Kaviraje

उपवास पारणे - व्रत समाप्ति का आध्यात्मिक महत्व-

हिंदी कविता: पारणे की आस-

📝🔔💖🍎

चरण 1: (उपवास की समाप्ति)
दिवस भर की साधना पूरी, अब तो घड़ी पारणे की आई।
मन में शांति, तन में निर्मलता, प्रभु की कृपा हमने पाई।
संकल्प हमारा हुआ है सफल, पूर्ण हुआ यह कठिन विधान,
हे ईश्वर! स्वीकारो तुम अब, हमारा यह छोटा सा ध्यान।

अर्थ: दिन भर की तपस्या पूरी हुई है, अब व्रत खोलने का समय आ गया है। मन में शांति और शरीर में शुद्धता है, यह सब प्रभु की कृपा से मिला है। हमारा संकल्प सफल हुआ है, यह कठिन अनुष्ठान पूरा हुआ है। हे ईश्वर, अब हमारी यह थोड़ी सी तपस्या स्वीकार करें।

सिंबल: ☀️🧘�♀️🙏

चरण 2: (आभार और प्रार्थना)
फल-फूलों का भोग लगाया, चरणों में अब शीश नवाया।
जो भी किया, सब तेरे हित में, ऐसा ही भाव हृदय में समाया।
व्रत पूरा करने की शक्ति दी, तेरा ही है सब उपकार,
हर क्षण तेरा स्मरण रहे माँ, यही करें हम अब मनुहार।

अर्थ: हमने फल-फूल का भोग लगाया है और आपके चरणों में सिर झुकाया है। हमने जो कुछ भी किया, वह सब आपके लिए ही था, यह भावना हमारे हृदय में है। व्रत पूरा करने की शक्ति आपने ही दी, यह आपका ही उपकार है। हे माँ, हम आपसे यही प्रार्थना करते हैं कि हमें हर पल आपका स्मरण रहे।

सिंबल: 🍇🍎💖

चरण 3: (दान और प्रसाद)
पहले कन्या, फिर भूखों को, अन्न-वस्त्र का दान करेंगे।
प्रसाद स्वरूप फिर हम मैया, भोजन धीरे से ग्रहण करेंगे।
तेरा प्रसाद समझ कर खाएँ, न हो इसमें कोई अहंकार,
दान से ही होती है पूर्ण, व्रत की महिमा अपरम्पार।

अर्थ: पहले हम कन्याओं को, और फिर भूखे लोगों को, अन्न और वस्त्र का दान करेंगे। उसके बाद, हे माँ, हम प्रसाद मानकर धीरे-धीरे भोजन ग्रहण करेंगे। इस भोजन को आपका प्रसाद समझकर खाएँगे, इसमें कोई अहंकार नहीं होगा। दान से ही व्रत की अपार महिमा पूर्ण होती है।

सिंबल: 👧🎁🍽�

चरण 4: (सात्विक आहार)
खीर और फल, जल है मीठा, हल्का-फुल्का हो आहार।
प्याज, लहसुन का नाम न लेना, न कोई तामसिक व्यवहार।
सात्विक भोजन दे शक्ति नई, शुद्ध रहे यह तन और मन,
व्रत का सार रहे कायम ही, होवे शुद्ध हमारा जीवन।

अर्थ: खीर और फल, तथा मीठा पानी - हमारा भोजन हल्का-फुल्का होगा। प्याज, लहसुन या किसी भी तामसिक भोजन का सेवन नहीं करेंगे। सात्विक भोजन हमें नई शक्ति दे, और हमारा तन-मन शुद्ध रहे। व्रत का मूल भाव हमेशा कायम रहे, और हमारा जीवन शुद्ध हो।

सिंबल: 🍚🥛🚫🧅

चरण 5: (शारीरिक संयम)
धीरे-धीरे भोजन लेना है, पेट को कोई कष्ट न होवे।
संयम का यह अंतिम चरण है, कोई नियम भंग न होवे।
व्रत ने जो दी शुद्धि हमको, उसे बनाए रखना है अब,
पारणे की विधि से ही मैया, फल मिलता है पूर्ण सब।

अर्थ: हमें धीरे-धीरे भोजन करना है, ताकि पेट को कोई तकलीफ न हो। यह संयम का अंतिम चरण है, और कोई नियम टूटना नहीं चाहिए। व्रत ने हमें जो शुद्धता दी है, उसे अब बनाए रखना है। हे माँ, पारणे की सही विधि से ही पूरा फल मिलता है।

सिंबल: ⏳🥄😌

चरण 6: (आगामी संकल्प)
इस ऊर्जा से अब मैया हम, अच्छे कर्मों में ध्यान लगाएँगे।
ज्ञान और भक्ति की राह पर, जीवन सफल बनाएँगे।
हर एकादशी और पूर्णिमा को, व्रत का पाठ दोहराएँगे,
तेरी कृपा की छाया में ही, हर पल सुख से बिताएँगे।

अर्थ: हे माँ, इस नई ऊर्जा के साथ अब हम अच्छे कर्मों पर ध्यान केंद्रित करेंगे। ज्ञान और भक्ति के मार्ग पर चलकर जीवन को सफल बनाएंगे। हर एकादशी और पूर्णिमा को हम व्रत के इस पाठ को दोहराएंगे। आपकी कृपा की छाया में ही हम हर पल सुख से बिताएंगे।

सिंबल: ✨📚🛣�

चरण 7: (पूर्णता और आशीष)
व्रत का फल दो, शक्ति दो माँ, हम रहें सदा तेरे ही दास।
भूख मिटाकर, प्यास बुझाकर, मन में रहे तेरा ही वास।
पारणे की यह विधि संपूर्ण, स्वीकारो तुम यह भेंट हमारी,
कल्याण करो, आशीष दो माँ, यही है विनती हमारी।

अर्थ: हे माँ, हमें व्रत का फल और शक्ति दो, हम हमेशा आपके सेवक बने रहें। हमारी भूख-प्यास शांत करके, हमारे मन में आपका ही वास रहे। व्रत खोलने की यह विधि पूर्ण हुई, हमारी यह भेंट स्वीकार करें। हमारा कल्याण करें और हमें आशीर्वाद दें, यही हमारी प्रार्थना है।

सिंबल: 👑🌟💖

--अतुल परब
--दिनांक-01.10.2025-बुधवार. 
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