नवरात्र उत्थापन (विसर्जन) -उत्थापन का भाव- 📝🔔💖🚩9️⃣🔚🙏🌱💰🌊👧🍽️🎁

Started by Atul Kaviraje, October 02, 2025, 11:14:03 AM

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Atul Kaviraje

नवरात्र उत्थापन (विसर्जन) - शक्ति की विदाई और आशीर्वाद का संग्रहण-

हिंदी कविता: उत्थापन का भाव-

📝🔔💖🚩

चरण 1: (पर्व की समाप्ति)
नव दिन बीते, व्रत हुआ पूरा, उत्थापन की आई है बेला।
भक्ति भाव से किया वंदन, माँ, अब विदा ले लो तुम अकेला।
घट विसर्जित, चौकी खाली, पर मन में तेरी ज्योत जली,
अगले वर्ष आना तुम जल्दी, यही विनती है आज भली।

अर्थ: नौ दिन बीत गए, व्रत पूरा हुआ, अब विसर्जन का समय आ गया है। हमने भक्ति भाव से प्रणाम किया, माँ, अब तुम अकेले विदा ले लो। कलश विसर्जित हो गया, चौकी खाली है, पर हमारे मन में तुम्हारी ज्योति जल रही है। हमारी यही प्रार्थना है कि तुम अगले वर्ष जल्दी आना।

सिंबल: 9️⃣🔚🙏

चरण 2: (जवारे का सम्मान)
जौ के अंकुर हरे-भरे हैं, धन-धान्य की आशा लाई।
कुछ तो रख लें हम तिजोरी में, कुछ को नदी में दें विदाई।
समृद्धि का यह रूप तुम्हारा, रखना माँ हमको अब याद,
तुम्हारी कृपा से ही होवे, हर संकट पर अब प्रतिवाद।

अर्थ: जौ के अंकुर हरे-भरे हैं, ये धन और समृद्धि की आशा लेकर आए हैं। कुछ हम तिजोरी में रखेंगे, और कुछ को नदी में विसर्जित कर देंगे। यह तुम्हारी समृद्धि का रूप है, माँ, इसे हमें याद रखना। तुम्हारी कृपा से ही अब हम हर संकट का सामना कर पाएंगे।

सिंबल: 🌱💰🌊

चरण 3: (कन्या पूजन)
देवी रूप ये कन्याएँ हैं, जिन्हें हमने भोजन कराया।
भेंट चढ़ाकर आशीर्वाद, शक्ति का हमने उनसे पाया।
इनके हाथों हुआ जो पारण, वो व्रत का अंतिम उपहार,
हर कन्या में रूप तुम्हारा, माँ, यही है सच्चा आधार।

अर्थ: ये कन्याएं देवी का रूप हैं, जिन्हें हमने भोजन कराया। भेंट चढ़ाकर हमने उनसे शक्ति का आशीर्वाद पाया। इनके हाथों से हुआ पारण (व्रत खोलना), यह व्रत का अंतिम उपहार है। हे माँ, हर कन्या में तुम्हारा रूप है, यही सबसे बड़ी सच्चाई है।

सिंबल: 👧🍽�🎁

चरण 4: (कलश का जल)
कलश का जल अब घर में छिड़कें, होवे शुद्धि हर कोने की।
नकारात्मकता दूर हो जाए, मिले शांति हर रोने की।
बचे हुए जल को पौधों को दें, धरती माँ को दें यह भाग,
तेरी ऊर्जा से जीवन महके, होवे मन से हर अनुराग।

अर्थ: अब कलश का जल घर में छिड़केंगे, ताकि हर कोना शुद्ध हो जाए। नकारात्मकता दूर हो जाए और हर आँसू को शांति मिले। बचे हुए जल को हम पौधों को देंगे, धरती माँ को यह हिस्सा देंगे। तुम्हारी ऊर्जा से हमारा जीवन महके और हमारे मन में प्रेम रहे।

सिंबल: 💧🏡🌿

चरण 5: (हवन और क्षमा याचना)
हवन कुंड में अग्नि जली है, अर्पित करें अब मंत्र सारे।
भूल हुई हो तो माफ कर दो, हम बालक हैं तेरे प्यारे।
करुणा-प्रेम से देखो मैया, ज्ञान और शक्ति का दान दो,
अगले वर्ष की तैयारी में, उत्साह भरा यह प्राण दो।

अर्थ: हवन कुंड में अग्नि जल रही है, अब हम सारे मंत्र समर्पित करते हैं। हे माँ, अगर कोई भूल हुई हो तो माफ कर दो, हम तुम्हारे प्यारे बच्चे हैं। करुणा और प्रेम से देखो माँ, हमें ज्ञान और शक्ति का दान दो। अगले वर्ष की तैयारी के लिए हमें उत्साह से भरा यह जीवन दो।

सिंबल: 🔥🙏💖

चरण 6: (कलावा धारण)
कलश पर जो कलावा बांधा, उसे हाथ में धारण कर लें।
तेरी रक्षा की डोर है मैया, हर भय को हम हरण कर लें।
यह धागा है शक्ति का बंधन, जो हमको तुमसे जोड़ेगा,
जीवन पथ पर साहस देना, कोई भी बंधन न तोड़ेगा।

अर्थ: कलश पर जो कलावा बाँधा गया था, उसे हम अब हाथ में पहन लें। हे माँ, यह तुम्हारी रक्षा की डोरी है, जिससे हम हर डर को दूर कर लेंगे। यह धागा शक्ति का बंधन है, जो हमें तुमसे जोड़ेगा। जीवन के रास्ते पर हमें साहस देना, ताकि कोई बंधन न टूटे।

सिंबल: 🧵🛡�💪

चरण 7: (विदाई और विजय)
माँ दुर्गे तुम चली हो अब तो, दशमी की है विजय निशानी।
बुराई पर हो जीत हमारी, यही कहानी है कल्याणी।
उत्थापन की विधि संपूर्ण, स्वीकारो तुम यह भेंट हमारी,
कल्याण करो, आशीष दो माँ, यही है विनती हमारी।

अर्थ: माँ दुर्गा, तुम अब विदा हो रही हो, दशमी (दशहरा) विजय की निशानी है। हमारी बुराई पर जीत हो, यही कल्याणकारी कहानी है। उत्थापन की विधि पूरी हुई है, हमारी यह भेंट स्वीकार करो। हमारा कल्याण करो, हमें आशीर्वाद दो, यही हमारी प्रार्थना है।

सिंबल: 🚩👑✨

--अतुल परब
--दिनांक-01.10.2025-बुधवार. 
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