रबी उल-आख़िर -बी उल-आख़िर की रहमत-📝🌙✨🤲🌙🕌💖🌟👑🤲📿🤲🕊️📖💡🕋

Started by Atul Kaviraje, October 02, 2025, 11:16:20 AM

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Atul Kaviraje

रबी उल-आख़िर - आध्यात्मिक निरंतरता और स्मरण का महीना-

हिंदी कविता: रबी उल-आख़िर की रहमत-

📝🌙✨🤲

चरण 1: (महीने का आगमन)
रबी उल-आख़िर माह आया है, रहमतों का पैगाम लाया है।
पहले महीने की बरकत को, इस माह में फिर दोहराया है।
पैगंबर की सुन्नतों का पालन, करना है अब हरदम ही,
इबादत की लौ जलती रहे दिल में, न बुझने पाएगी कभी।

अर्थ: रबी उल-आख़िर का महीना आया है, यह अल्लाह की कृपा का संदेश लाया है। पिछले महीने की बरकत को इस महीने में फिर से दोहराया गया है। पैगंबर की परंपराओं का पालन हमें अब हमेशा करना है। इबादत की लौ दिल में जलती रहे, वह कभी बुझ नहीं पाएगी।

सिंबल: 🌙🕌💖

चरण 2: (याद ग़ौस-ए-आज़म की)
ग्यारहवीं शरीफ़ की है रौनक, ग़ौस-ए-आज़म का है स्मरण।
पीर-ए-पीरां के नाम पर सदक़ा, होता है आज दान-अर्पण।
ज्ञान और तप के वो मालिक, दी उन्होंने दीन को नई राह,
उनके नक्शे कदम पर चलकर, पाएँगे हम अल्लाह की चाह।

अर्थ: यह ग्यारहवीं शरीफ़ की रौनक है, हज़रत ग़ौस-ए-आज़म को याद करने का दिन है। पीरों के पीर के नाम पर आज दान (सदक़ा) दिया जाता है। ज्ञान और तपस्या के वे मालिक थे, उन्होंने धर्म (दीन) को नई दिशा दी। उनके दिखाए रास्ते पर चलकर हम अल्लाह की इच्छा को प्राप्त करेंगे।

सिंबल: 🌟👑🤲

चरण 3: (ज़िक्र और अज़कार)
दिल की धड़कन में हो अल्लाह, ज़ुबाँ पर उसका ही हो नाम।
सुबह-शाम हो ज़िक्र की महफ़िल, सफल हो जाए हर काम।
तस्बीह की दाने गिनते रहें, माँगते रहें बस ख़ुदा से दुआ,
रूह को मिले सुकून इसी से, दूर हो जाए हर इक हवा।

अर्थ: दिल की धड़कन में अल्लाह हो, और ज़ुबान पर उसका ही नाम हो। सुबह-शाम ज़िक्र (स्मरण) की सभा हो, जिससे हर काम सफल हो जाए। हम तस्बीह (माला) के दाने गिनते रहें, और केवल खुदा से ही दुआ माँगते रहें। इसी से आत्मा को शांति मिलेगी, और हर बुराई दूर हो जाएगी।

सिंबल: 📿🤲🕊�

चरण 4: (ज्ञान का महत्व)
क़ुरान-ए-पाक का हो अध्ययन, हदीस में ढूँढें हम रास्ता।
इल्म (ज्ञान) की दौलत जो मिल जाए, दिल से मिटे हर फ़ासला।
अंधेरे को दूर भगाकर, इल्म की रौशनी फैलाएँ,
सही राह पर चलकर ही हम, जन्नत का दरवाज़ा पाएँ।

अर्थ: हम पवित्र कुरान का अध्ययन करें, और हदीस (पैगंबर के कथन) में सही रास्ता खोजें। अगर ज्ञान की दौलत मिल जाए, तो दिल से हर दूरी मिट जाएगी। अंधेरे को दूर भगाकर, हम ज्ञान की रोशनी फैलाएँ। सही रास्ते पर चलकर ही हम स्वर्ग (जन्नत) का दरवाज़ा पा सकते हैं।

सिंबल: 📖💡🕋

चरण 5: (दान और भलाई)
भूखे को रोटी, प्यासे को पानी, दें हम दिल से हर एक बार।
ज़रूरतमंद की मदद करें सब, होवे न कोई भी तकरार।
सदक़ा है दरिया पार करने को, हर मुश्किल को जो टालेगा,
अल्लाह की मर्ज़ी वही पाएगा, जो राह-ए-ख़ैर पर चलेगा।

अर्थ: भूखे को रोटी, प्यासे को पानी, हम हर बार दिल से दें। सभी जरूरतमंदों की मदद करें, कोई झगड़ा न हो। दान (सदक़ा) एक नदी को पार करने जैसा है, जो हर मुश्किल को टाल देगा। जो भलाई के रास्ते पर चलेगा, उसे ही अल्लाह की रज़ा (इच्छा) मिलेगी।

सिंबल: 🤝💖🍲

चरण 6: (धैर्य और आभार)
दुख-सुख में रखें सब्र (धैर्य) हम, हर हाल में करें शुक्र (आभार)।
जिंदगी है एक इम्तिहान, डरना नहीं है इससे यार।
जो मिला है, वो अल्लाह का है, ये दिल में हरदम ही जानो,
इम्तिहान में कामयाब हो माँगे, रब की रहमत को पहचानो।

अर्थ: दुख-सुख में हम धैर्य रखें, और हर हाल में आभार व्यक्त करें। जिंदगी एक परीक्षा है, इससे डरना नहीं है, दोस्त। जो कुछ मिला है, वह अल्लाह का है, यह दिल में हमेशा जानो। हम परीक्षा में कामयाब होने की दुआ माँगें, और रब की कृपा को पहचानें।

सिंबल: 🧘😊⏳

चरण 7: (पूर्णता और विनती)
रबी उल-आख़िर के महीने में, भक्ति हमारी अटल रहे।
हर गुनाह से माफ़ी मिले हमको, नेक रास्ते पर हम चलें।
या अल्लाह! यह इबादत हमारी, क़बूल कर तू आज की रात,
कल्याण कर, रहमत बरसा दे, यही है अब आख़िरी बात।

अर्थ: रबी उल-आख़िर के महीने में, हमारी भक्ति अटल रहे। हमें हर पाप से माफ़ी मिले, और हम अच्छे रास्ते पर चलें। हे अल्लाह! हमारी यह इबादत आज रात क़बूल कर ले। हमारा कल्याण कर, कृपा बरसा दे, यही हमारी अंतिम प्रार्थना है।

सिंबल: 🕋🤲✨

--अतुल परब
--दिनांक-01.10.2025-बुधवार. 
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