नवरात्र उत्सव समाप्ति -गोवा में शक्ति का विसर्जन- 📝🏖️🔱🥥9️⃣🎶🙏🌊🌱🏡🔥💃🥥

Started by Atul Kaviraje, October 02, 2025, 11:17:22 AM

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Atul Kaviraje

नवरात्र उत्सव समाप्ति - सालगाँव-अडवलपाल, गोवा की शक्ति भक्ति-

हिंदी कविता: गोवा में शक्ति का विसर्जन-

📝🏖�🔱🥥

चरण 1: (समापन की घड़ी)
गोवा की माटी हुई पावन, नवरात्रों का पर्व हुआ पूर्ण।
सालगाँव और अडवलपाल में, गूँजी भक्ति की मधुर धुन।
नौ दिन की पूजा-साधना से, मन को मिली है निर्मल शांति,
अब उत्थापन की है वेला, दूर हो जाए हर एक भ्रांति।

अर्थ: गोवा की धरती पवित्र हो गई है, नवरात्रि का पर्व पूरा हुआ है। सालगाँव और अडवलपाल में भक्ति की मधुर धुन गूंजी है। नौ दिन की पूजा और साधना से मन को पवित्र शांति मिली है। अब विसर्जन का समय है, हर एक भ्रम दूर हो जाए।

सिंबल: 9️⃣🎶🙏

चरण 2: (देवियों को विदाई)
घट विसर्जित, मूर्तियाँ शांत, शक्ति को अब विदा किया।
जवारे लेकर घर को आए, माँ का आशीष ग्रहण किया।
जल छिड़ककर घर-आँगन में, माँगते हैं हम अब वरदान,
अगले साल फिर आना मैया, रखना हम पर अपना ध्यान।

अर्थ: कलश विसर्जित हो गए, मूर्तियाँ शांत हो गईं, अब शक्ति को विदा किया। जवारे लेकर घर आए, और माँ का आशीर्वाद प्राप्त किया। घर-आँगन में जल छिड़ककर अब हम वरदान माँगते हैं। हे माँ, अगले साल फिर आना, हम पर अपना ध्यान रखना।

सिंबल: 🌊🌱🏡

चरण 3: (गोवा की विशेष पूजा)
दिव्याचार की ज्योति जली है, लईराई की पायकी प्यारी।
अग्नि दिव्याची जत्रा न्यारी, अद्भुत गोवा की कला सारी।
गड्यांची जत्रा का यह उत्सव, शक्ति के प्रति प्रेम दिखाए,
कोंकणी मिट्टी की महक में, हर भक्त खुशी से गाए।

अर्थ: दिव्याचार (दीयों) की ज्योति जली है, देवी लईराई की पैदल यात्रा प्यारी है। अग्नि दीयों का उत्सव अनोखा है, गोवा की सारी कला अद्भुत है। गड्यांची जत्रा का यह उत्सव शक्ति के प्रति प्रेम दर्शाता है। कोंकणी मिट्टी की सुगंध में, हर भक्त खुशी से गाता है।

सिंबल: 🔥💃🥥

चरण 4: (कन्याओं का सम्मान)
कन्या रूप में आईं देवी, प्रसाद उन्हें हमने खिलाया।
दक्षिणा देकर शीश नवाया, आशीर्वाद अनमोल पाया।
शिरा, पंचखाद्य का पारण, व्रत का फल मीठा कर दे,
शुद्ध हुई काया और आत्मा, नया उत्साह जीवन में भर दे।

अर्थ: देवी रूप में कन्याएँ आईं, हमने उन्हें प्रसाद खिलाया। दक्षिणा देकर सिर झुकाया, और अनमोल आशीर्वाद पाया। शिरा और पंचखाद्य से व्रत खोला, जिसने व्रत के फल को मीठा कर दिया। हमारा शरीर और आत्मा शुद्ध हो गई, और जीवन में नया उत्साह भर गया।

सिंबल: 👧🍽�✨

चरण 5: (शस्त्र और ज्ञान)
शस्त्र-आयुध की पूजा की थी, ज्ञान की कलम को भी पूजा।
अन्याय से लड़ने का बल हो, मन में न रहे कोई दूजा।
माँ सरस्वती का वरदान मिले, विवेक की धार हो तीखी,
बुराई पर हो जीत हमारी, यही तो शिक्षा है सीखी।

अर्थ: हमने शस्त्रों और उपकरणों की पूजा की थी, और ज्ञान की कलम को भी पूजा। अन्याय से लड़ने का बल हो, और मन में कोई दूसरा भाव न रहे। माँ सरस्वती का आशीर्वाद मिले, और विवेक की धार तीखी हो। बुराई पर हमारी जीत हो, यही हमने इस उत्सव से सीखा है।

सिंबल: ⚔️📚💡

चरण 6: (विजयादशमी का संदेश)
उत्सव खत्म हुआ पर सीख रहेगी, विजयादशमी है साथ खड़ी।
असत्य पर हो सत्य की विजय, हर मुश्किल की टूटे कड़ी।
सीमोल्लंघन का भाव यही है, न हो कोई अब बंधन-द्वार,
निडर होकर आगे बढ़ना है, जीवन होवे सफल-सार।

अर्थ: उत्सव खत्म हो गया पर इसकी सीख हमेशा रहेगी, विजयादशमी हमारे साथ खड़ी है। असत्य पर सत्य की विजय हो, और हर मुश्किल की कड़ी टूट जाए। सीमोल्लंघन (सीमा पार करने) का भाव यही है कि अब कोई बंधन या बाधा न हो। हमें निडर होकर आगे बढ़ना है, ताकि जीवन सफल और सार्थक हो।

सिंबल: 🚩🏹💪

चरण 7: (अंतिम विनती)
हे माँ शक्ति, हे कोंकणी देवी, तेरी जय हो, जय जयकार।
सालगाँव-अडवलपाल को मैया, दे देना सुख का संसार।
कृपा दृष्टि रखना सब भक्तों पर, दूर करना हर एक शोक,
नवरात्र के बाद भी मैया, तेरी भक्ति का हो आलोक।

अर्थ: हे माँ शक्ति, हे कोंकणी देवी, तुम्हारी जय हो! हे माँ, सालगाँव और अडवलपाल को सुख का संसार दे देना। अपनी कृपा दृष्टि सभी भक्तों पर रखना, और हर एक दुख को दूर करना। नवरात्रि के बाद भी, माँ, तुम्हारी भक्ति का प्रकाश फैला रहे।

****सिंबल: 👑🌟💖

--अतुल परब
--दिनांक-01.10.2025-बुधवार. 
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