ए. के. गोपाळन (स्वातंत्र्यसेनानी, कम्युनिस्ट नेता)-१ ऑक्टोबर १९०४-1-👨‍🎓➡️🇮🇳➡

Started by Atul Kaviraje, October 02, 2025, 03:11:08 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

ए. के. गोपाळन (स्वातंत्र्यसेनानी, कम्युनिस्ट नेता)   १ ऑक्टोबर १९०४

ए. के. गोपालन: एक जीवन और संघर्ष-

1 अक्टूबर 1904 को केरल के मालाबार जिले में जन्मे, ए.के. गोपालन (AKG) एक प्रसिद्ध भारतीय कम्युनिस्ट नेता और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जीवन किसानों, मजदूरों और वंचितों के अधिकारों के लिए समर्पित था। यह लेख उनके जीवन, राजनीतिक करियर और भारत के राजनीतिक परिदृश्य में उनके योगदान पर एक विस्तृत दृष्टि डालता है।

1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा 🏫
ए.के. गोपालन का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा ने उन्हें समाज में व्याप्त असमानताओं के प्रति जागरूक किया।

जन्म: 1 अक्टूबर 1904, पेरालावा, मालाबार जिला, केरल।

शिक्षा: उन्होंने अपने गृह नगर में ही प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की।

शुरुआती प्रेरणा: महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर उन्होंने अपनी शिक्षा छोड़ दी और स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

आदर्शों का विकास: उन्होंने गरीबी और सामाजिक अन्याय को करीब से देखा, जिसने उनके जीवन की दिशा तय की।

2. स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी 🇮🇳
गांधीजी के आदर्शों से प्रेरित होकर, ए.के. गोपालन ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया।

असहयोग आंदोलन: उन्होंने इस आंदोलन में भाग लिया और ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ प्रदर्शनों का नेतृत्व किया।

सविनय अवज्ञा आंदोलन: इस आंदोलन के दौरान उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया।

पदयात्राएं: उन्होंने लोगों को एकजुट करने और स्वतंत्रता के संदेश को फैलाने के लिए भारत भर में कई पदयात्राएं कीं। "भूख हड़ताल मार्च" और "काला झंडा प्रदर्शन" उनके प्रसिद्ध अभियानों में से एक थे।

जेल जीवन: स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्हें कई साल जेल में बिताने पड़े, जिसने उन्हें और भी मजबूत बनाया।

3. कांग्रेस से कम्युनिस्ट पार्टी की ओर ☭
स्वतंत्रता के बाद, ए.के. गोपालन ने महसूस किया कि कांग्रेस पार्टी गरीबों और मजदूरों के मुद्दों को हल नहीं कर पाएगी।

कम्युनिस्ट पार्टी का प्रभाव: वे सोवियत संघ की समाजवादी विचारधारा से प्रभावित हुए और उन्होंने गरीबों के संघर्ष को समझने के लिए कम्युनिस्ट विचारधारा को अपनाया।

पार्टी का गठन: उन्होंने केरल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बाद में, जब पार्टी विभाजित हुई, तो वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPI(M)) के संस्थापक सदस्य बने।

सिद्धांतिक अंतर: उनका मानना था कि केवल आर्थिक समानता और मजदूरों के सशक्तिकरण से ही समाज में वास्तविक परिवर्तन आ सकता है।

4. संसद में एक आवाज़ 🗣�
ए.के. गोपालन 1952 से 1977 तक लगातार लोकसभा के सदस्य रहे। वे संसद में एक शक्तिशाली और मुखर आवाज़ थे।

लोकसभा में योगदान: वे संसद में विपक्ष के नेता थे और उन्होंने गरीबों और वंचितों के मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाया।

संसदीय बहसें: उन्होंने आर्थिक नीतियों, भूमि सुधारों और मजदूरों के अधिकारों पर कई महत्वपूर्ण बहसें कीं।

विपक्ष के नेता: उनका नेतृत्व और बहस करने की क्षमता अद्वितीय थी, जिसने उन्हें एक सम्मानित नेता बनाया।

5. किसान और मजदूर नेता 👨�🌾
ए.के. गोपालन ने अपना पूरा जीवन किसानों और मजदूरों के संघर्षों को समर्पित कर दिया।

भूमि सुधार: उन्होंने केरल में भूमि सुधारों के लिए कई आंदोलन चलाए, जिससे हजारों भूमिहीन किसानों को लाभ हुआ।

मजदूरों का संगठन: उन्होंने मजदूरों को संगठित किया और उनके लिए बेहतर काम करने की स्थितियों और उचित मजदूरी की मांग की।

किसानों के अधिकार: वे अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष थे और उन्होंने किसानों के अधिकारों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन चलाए।

सारांश (Emoji): 👨�🎓➡️🇮🇳➡️☭➡️✊➡️📚

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-01.10.2025-बुधवार. 
===========================================