ज्ञान का आह्वान- शीर्षक: सरस्वती का प्रकाश-🕊️ 📚 💡 🧠 🎤 🤝 👩‍🎓 ✨ 🙏

Started by Atul Kaviraje, October 04, 2025, 11:23:27 AM

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Atul Kaviraje

देवी सरस्वती और समाज में सामाजिक जागरूकता: ज्ञान का प्रकाश और विवेक का जागरण-

हिंदी कविता - ज्ञान का आह्वान-

शीर्षक: सरस्वती का प्रकाश-

चरण   कविता (04 पंक्तियाँ)   हिंदी अर्थ (Short Meaning)

01.   वीणावादिनी माता, तेरा रूप सुहाना।   हे वीणा बजाने वाली माता, तेरा रूप बहुत सुंदर है।
श्वेत कमल पर बैठी, ज्ञान का खजाना।   सफेद कमल पर बैठी तू, ज्ञान का भंडार है।
बुद्धि और विवेक दे, जागे यह जमाना।   बुद्धि और विवेक दे, यह संसार जागरूक हो।
सरस्वती माँ मेरी, तू ही लोक ठिकाना।   मेरी माँ सरस्वती, तू ही सारे संसार का आश्रय है।

02.   अज्ञान का तिमिर हटे, ज्ञान का प्रकाश हो।   अज्ञानता का अंधेरा दूर हो, ज्ञान का प्रकाश हो।
प्रश्न करे समाज हर, तर्कों का वास हो।   समाज हर बात पर प्रश्न करे, तर्कों का निवास हो।
रूढ़िवाद की जंजीर, क्षण भर में नाश हो।   रूढ़िवाद की जंजीर, एक पल में टूट जाए।
जागरूक हो हर व्यक्ति, मन में विश्वास हो।   हर व्यक्ति जागरूक हो, मन में विश्वास हो।

03.   वाणी में हो शक्ति, न भय कोई घेरे।   वाणी में शक्ति हो, कोई डर न घेरे।
सत्य कहने का साहस, जीवन को फेरे।   सच कहने का साहस जीवन को बदल दे।
कला और साहित्य से, दूर हों अँधेरे।   कला और साहित्य से, अंधेरे दूर हों।
ज्ञान बाँटकर ही माँ, होवे बड़े सवेरे।   ज्ञान बाँटकर ही माँ, जल्दी ही अच्छा समय आए।

04.   समता और न्याय की, हर मन में हो प्यास।   समानता और न्याय की, हर मन में इच्छा हो।
भेदभाव की दीवारें, न रहें आस-पास।   भेदभाव की दीवारें, पास न रहें।
आत्मनिर्भरता बढ़े, छूटे परावलंबन पास।   आत्मनिर्भरता बढ़े, दूसरों पर निर्भरता छूटे।
सत्यनिष्ठा की ज्योति, होवे हरदम खास।   ईमानदारी की ज्योति, हमेशा खास हो।

05.   आत्मशुद्धि का मार्ग, तू ही हमें दिखाती।   आत्मशुद्धि का मार्ग, तू ही हमें दिखाती है।
नैतिकता के मूल्यों को, हर पल सिखाती।   नैतिकता के मूल्यों को, हर पल सिखाती है।
महिला शिक्षा से ही, उन्नति है आती।   महिला शिक्षा से ही, प्रगति आती है।
जागरूक समाज की, तू ही है थाती।   जागरूक समाज की, तू ही है धरोहर।

06.   वैज्ञानिक सोच जगे, दूर हो भ्रांतियाँ।   वैज्ञानिक सोच जगे, भ्रम दूर हों।
संस्कृति और विरासत, बनी रहें क्रांतियाँ।   संस्कृति और विरासत, में क्रांतियाँ बनी रहें।
विश्व नागरिक बनने की, होवे नई शाँतियाँ।   विश्व नागरिक बनने की, नई शांति हो।
मानव सेवा में लीन, होवें सब जातियाँ।   मानव सेवा में लीन, होवें सभी जातियाँ।

07.   जय सरस्वती माता, वरदान तेरा पाकर।   जय सरस्वती माता, तेरा वरदान पाकर।
चेतना का दीप जला, समाज जगाकर।   चेतना का दीपक जला, समाज को जगाकर।
अज्ञान का बोझ हटा, हृदय को हल्का कर।   अज्ञानता का बोझ हटा, हृदय को हल्का कर।
सद्भाव और शांति से, जीवन को भर कर।   सद्भाव और शांति से, जीवन को भरकर।

इमोजी सारांश (Emoji Summary) - हिंदी कविता
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--अतुल परब
--दिनांक-03.10.2025-शुक्रवार.
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