संतोषी माँ का वरदान- शीर्षक: संतोष और शांति-💖 🙏 🧘 🍇 🐢 📖 🎁 ✨ 🕊️ 📅

Started by Atul Kaviraje, October 04, 2025, 11:26:41 AM

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Atul Kaviraje

संतोषी माता और उनके व्रतों में भक्तों का 'आध्यात्मिक अनुभव'-

हिंदी कविता - संतोषी माँ का वरदान-

शीर्षक: संतोष और शांति-

चरण   कविता (04 पंक्तियाँ)   हिंदी अर्थ (Short Meaning)

01.   जय संतोषी माता, मन में भरती प्रीत।   जय संतोषी माता, मन में प्रेम भरती है।
शुक्रवार के व्रत की, अद्भुत है ये रीत।   शुक्रवार के व्रत की, यह रीति अद्भुत है।
जीवन में संतोष हो, तभी सच्ची जीत।   जीवन में संतोष हो, तभी सच्ची विजय है।
हर भक्त के हृदय की, जानती तू मीत।   तू हर भक्त के हृदय की बात जानती है।

02.   खट्टी चीज़ें तजकर, शुद्ध करते देह।   खट्टी चीजें छोड़कर, शरीर को शुद्ध करते हैं।
आंतरिक नियंत्रण से, बढ़ता आत्मनेह।   आंतरिक नियंत्रण से, खुद के प्रति प्रेम बढ़ता है।
धैर्य और श्रद्धा का, देती तू ही गेह।   धैर्य और श्रद्धा का, तू ही घर देती है।
परम शांति की ओर, बढ़ता जीवन येह।   परम शांति की ओर, यह जीवन बढ़ता है।

03.   व्रत कथा सुनाती, मिलता हमको ज्ञान।   व्रत कथा सुनने से, हमें ज्ञान मिलता है।
परोपकार की राह पर, बढ़ता है सम्मान।   परोपकार के मार्ग पर, सम्मान बढ़ता है।
नारी शक्ति का माँ, तू ही तो है ध्यान।   माँ, तू ही तो नारी शक्ति का केंद्र है।
जीवन को सफल कर, देती तू वरदान।   जीवन को सफल करके, तू वरदान देती है।

04.   सोला शुक्रवार का, अटल जो हो संकल्प।   सोलह शुक्रवार का, जो दृढ़ संकल्प हो।
भक्ति और तपस्या, न होवे कोई कल्प।   भक्ति और तपस्या, में कोई विकल्प न हो।
चित्त रहे शांत माँ, मिटे हर विकल्प।   माँ, मन शांत रहे, हर दुविधा मिटे।
आत्म-शुद्धि से होवे, आध्यात्मिक कल्प।   आत्म-शुद्धि से हो, आध्यात्मिक युग का निर्माण।

05.   सात्विक होये भोजन, शुद्ध हो हर विचार।   भोजन सात्विक हो, हर विचार शुद्ध हो।
गुड़-चने का भोग लगे, शुद्ध हो संचार।   गुड़-चने का भोग लगे, हर बात शुद्ध हो।
सामूहिक चेतना का, होवे अब विस्तार।   सामूहिक चेतना का, अब विस्तार हो।
हर प्राणी के मन में, प्रेम का संचार।   हर प्राणी के मन में, प्रेम का संचार हो।

06.   मनोकामना जब भी, माँ होती है पूरी।   जब भी मनोकामना, माँ पूरी होती है।
विश्वास की ये ज्योति, होती है न दूरी।   विश्वास की यह ज्योति, दूर नहीं होती है।
आध्यात्मिक प्रमाण से, दूर हो मजबूरी।   आध्यात्मिक प्रमाण से, मजबूरी दूर हो।
जीवन की हर राह, लगती तब जरूरी।   जीवन की हर राह, तब जरूरी लगती है।

07.   जय जय संतोषी माँ, सुख-शांति की देवी।   जय जय संतोषी माँ, सुख-शांति की देवी।
आशीर्वाद से तेरे, मोक्ष को हो लेवी।   तेरे आशीर्वाद से, मोक्ष प्राप्त हो।
तू ही मेरी रक्षक माँ, तू ही मेरी नेवी।   तू ही मेरी रक्षक माँ, तू ही मेरी पथप्रदर्शक।
आंतरिक संतोष दे, जो कभी न जावी।   ऐसा आंतरिक संतोष दे, जो कभी खत्म न हो।

इमोजी सारांश (Emoji Summary) - हिंदी कविता
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--अतुल परब
--दिनांक-03.10.2025-शुक्रवार.
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