शिर्डी के साईं-- शीर्षक: श्रद्धा-सबूरी की अमृतधारा-🙏🕌🔥🕊️❤️🛺📖⭐

Started by Atul Kaviraje, October 04, 2025, 11:46:25 AM

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Atul Kaviraje

साईबाबा पुण्यतिथी उत्सव-शिर्डी-

साईंबाबा पुण्यतिथी उत्सव - श्रद्धा और सबूरी का महापर्व -

हिंदी कविता - शिर्डी के साईं (Sai of Shirdi)-

शीर्षक: श्रद्धा-सबूरी की अमृतधारा-

चरण   कविता (04 पंक्तियाँ)   हिंदी अर्थ (Short Meaning)

01.   पुण्यतिथी का पावन दिवस, 02 अक्टूबर आया है।   पुण्यतिथी का पवित्र दिन, 02 अक्टूबर आ गया है।
शिर्डी की इस धरती पर, भक्ति का सागर छाया है।   शिर्डी की इस पवित्र भूमि पर, भक्ति का सागर उमड़ आया है।
समाधि में भी जाग रहे, साईं का दरस सुहाया है।   समाधि में होने पर भी जो जाग रहे हैं, उन साईं बाबा का दर्शन बहुत प्रिय है।
विजयादशमी का ये दिन, बाबा ने देह त्यागा है।   विजयादशमी का यह दिन, जब बाबा ने अपना शरीर त्यागा था।

02.   द्वारकामाई की धुनी में, आज भी अग्नि जलती है।   द्वारकामाई मस्जिद की पवित्र अग्नि (धुनी) में, आज भी आग जलती है।
उदी बनके संकट हरती, हर पीड़ा को छलयती है।   धुनी की राख (उदी) प्रसाद बनकर संकटों को हरती है, हर दुःख को दूर करती है।
भिक्षा झोली का वो दृश्य, प्रेम की गाथा कहती है।   भिक्षा झोली का वह कार्यक्रम, बाबा के त्याग और प्रेम की कहानी कहता है।
अखंड पारायण की वाणी, सबको राह दिखाती है।   अखंड रूप से हो रहा पाठ (साईं सत्चरित), सभी को सही रास्ता दिखाता है।

03.   श्रद्धा और सबूरी ही, बाबा का मूल विधान है।   विश्वास (श्रद्धा) और धैर्य (सबूरी) ही, बाबा का मुख्य नियम है।
यही दो मंत्र जीवन के, यही सच्चा कल्याण है।   यही दो मंत्र जीवन के हैं, यही सच्चा कल्याण (मोक्ष) देते हैं।
सबका मालिक एक ही है, उनका ये दिव्य ज्ञान है।   सबका ईश्वर एक ही है, उनका यह दैवीय ज्ञान है।
जात-पात का भेद नहीं, यह मानव धर्म महान है।   (बाबा के लिए) जाति और वर्ग का कोई भेद नहीं, यही सबसे बड़ा मानव धर्म है।

04.   रथ और पालखी सजी है, गांव में यात्रा चलती है।   रथ और पालखी सजी हुई है, गाँव में शोभायात्रा निकलती है।
करोड़ों भक्तों की भीड़ यहाँ, आरती हर पल ढलती है।   करोड़ों भक्तों की भीड़ यहाँ उमड़ी है, आरती हर पल होती रहती है।
सीमोल्लंघन का कार्यक्रम, अहंकार को कुचलती है।   सीमोल्लंघन का कार्यक्रम, अहंकार की भावना को नष्ट करता है।
बाबा की कृपा से हर इच्छा, आज यहाँ पर फलती है।   बाबा की कृपा से हर मनोकामना, आज यहाँ पूरी होती है।

05.   मैं न दूर तुमसे कभी, मेरा ये वचन न भूलना।   'मैं तुमसे कभी दूर नहीं हूँगा', मेरा यह वचन मत भूलना।
समाधि से भी बोलूँगा मैं, ये विश्वास सदा रखना।   'मैं अपनी समाधि से भी बोलूँगा', यह विश्वास हमेशा रखना।
कष्ट तुम्हारा दूर करूँगा, बस मन से मुझे टटोलना।   'तुम्हारी हर पीड़ा दूर करूँगा', बस सच्चे मन से मुझे याद करना।
आओ मेरे द्वारकामाई, दुःख अपना सब खोलना।   'आओ मेरी द्वारकामाई में', और अपने सारे दुःख मुझे बता दो।

06.   गुरुवर मेरे प्यारे साईं, तुम ही जीवन आधार हो।   हे गुरु साईं बाबा, आप ही मेरे जीवन का आधार हैं।
हर पल साथ हमारे तुम, हर कठिनाई से पार हो।   आप हर पल हमारे साथ हैं, आप ही हर कठिनाई से पार लगाते हैं।
सेवा और समर्पण ही, इस उत्सव का सार हो।   सेवा और समर्पण ही, इस त्योहार का मूल मंत्र है।
तुमसे मिलकर ही पाया हमने, सुख-शांति का संचार हो।   आपसे मिलकर ही हमने, सुख और शांति का अनुभव किया है।

07.   शिर्डी का ये कण-कण बोले, साईं ही यहाँ भगवान हैं।   शिर्डी का हर एक कण बोलता है, कि साईं ही यहाँ साक्षात् ईश्वर हैं।
पुण्यतिथी का पर्व मनाओ, दिल में उनका ध्यान है।   पुण्यतिथी का त्योहार मनाओ, अपने हृदय में उनका ध्यान करो।
अमर तुम्हारा नाम रहेगा, जब तक ये आसमान है।   आपका नाम अमर रहेगा, जब तक यह आसमान रहेगा।
जय साईं राम बोलो सब, यही अपना सम्मान है।   सभी 'जय साईं राम' बोलो, यही हमारा सम्मान है।

इमोजी सारांश (Emoji Summary) - हिंदी कविता
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--अतुल परब
--दिनांक-02.10.2025-गुरुवार.
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