'धम्म' की नई राह- शीर्षक: ज्ञान का चक्र चला-🏯 💡 🧘 📜 📚 🔥 🕊️ 🤝

Started by Atul Kaviraje, October 04, 2025, 11:51:02 AM

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Atul Kaviraje

धम्मचक्र प्रवर्तन दिन: मानवता, समानता और ज्ञान का मार्ग-

☸️ 🐘 🤝 ज्ञान का चक्र, समता का प्रतीक 📖🙏

हिंदी कविता - 'धम्म' की नई राह-

शीर्षक: ज्ञान का चक्र चला-

चरण   कविता (04 पंक्तियाँ)   हिंदी अर्थ (Short Meaning)

01.   नागपुर की पावन भूमि पर, ज्ञान का चक्र चला।   नागपुर की पवित्र धरती पर, ज्ञान (धम्म) का चक्र घूम उठा।
अंधेरों के बंधन टूटे, नया सवेरा मिला।   अज्ञान और असमानता के बंधन टूटे, और एक नई सुबह आई।
बाबासाहेब ने राह दिखाई, हर मन को ये गिला (शपथ) मिला।   बाबासाहेब ने रास्ता दिखाया, और हर व्यक्ति को यह शपथ मिली।
मानवता के मार्ग पे चलकर, दुःख का मूल हिला।   मानवता के मार्ग पर चलने से, दुखों का आधार डगमगा गया।

02.   बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि।   मैं बुद्ध की शरण में जाता हूँ, मैं धम्म की शरण में जाता हूँ।
संघं शरणं गच्छामि, यही मुक्ति का नामी।   मैं संघ (समुदाय) की शरण में जाता हूँ, यही मुक्ति का प्रसिद्ध नाम है।
प्रज्ञा, शील और करुणा, जीवन का ये धामी।   ज्ञान, सदाचार और दया, जीवन के ये तीन आधार हैं।
तर्क और समता की वाणी, है ये जग की स्वामी।   तर्क और समानता की बात, इस संसार की सबसे महत्वपूर्ण बात है।

03.   अशोक की दशमी फिर आई, इतिहास ने ली करवट।   सम्राट अशोक की विजयादशमी फिर आई, जिससे इतिहास ने मोड़ लिया।
दीक्षाभूमि आज पुकारे, छोड़ो मन की नफ़रत।   दीक्षाभूमि आज हमें बुला रही है, कि मन से घृणा को छोड़ दो।
बाईस प्रतिज्ञा की शक्ति, जीवन में हो ज़बरदस्त।   बाईस प्रतिज्ञाओं की शक्ति, जीवन में बहुत प्रभावी होनी चाहिए।
अष्टांगिक मार्ग पर चलके, मिट जाए हर दिक्कत।   आर्य अष्टांगिक मार्ग पर चलने से, हर समस्या दूर हो सकती है।

04.   शिक्षा को जिसने अपनाया, उसने दहाड़ा ज्ञान से।   जिसने शिक्षा को अपनाया, उसने ज्ञान के बल पर गर्जना की।
स्वाभिमान की लौ जलाई, दूर हुआ अपमान से।   स्वाभिमान की ज्योति जलाई, जिससे अपमान दूर हो गया।
अधिकारों की बात सिखाई, हर व्यक्ति सम्मान से।   अधिकारों की जानकारी दी, ताकि हर व्यक्ति सम्मान से जिए।
अंधविश्वास का जाल कटा, जीना है अब मान से।   अंधविश्वास का बंधन टूटा, अब हमें सम्मान से जीना है।

05.   साँच (सत्य) की राह है कठिन, पर मंजिल है आसान।   सत्य का रास्ता कठिन है, पर उसका परिणाम (मंज़िल) आसान है।
चार आर्य सत्यों को समझो, दुःख का करो निदान।   बुद्ध के चार आर्य सत्यों को समझो, और दुखों का समाधान करो।
भेदभाव की दीवार गिरा दो, एक हो सब इंसान।   भेदभाव की दीवार को गिरा दो, सभी मनुष्य एक हो जाएँ।
बुद्ध के धम्म का परचम, लहराए ये जहान।   भगवान बुद्ध के धर्म का झंडा, इस पूरी दुनिया में लहराए।

06.   करुणा और मैत्री का भाव, जीवन में हो गहरा।   दया और मित्रता की भावना, जीवन में गहरी होनी चाहिए।
मानव-मानव एक बराबर, मिट जाए हर पहरा।   सभी मनुष्य एक समान हैं, सभी तरह की बंदिशें खत्म हो जाएँ।
समता का जो बीज बोया, उसका फल हो सुनहरा।   समानता का जो बीज बोया गया है, उसका फल बहुत अच्छा हो।
ज्ञान-सूर्य के तेज से, दूर हो हर अँधेरा।   ज्ञान-सूर्य के प्रकाश से, जीवन का हर अंधकार दूर हो जाए।

07.   वंदना करें बुद्ध की, वंदना करें धम्म की।   हम भगवान बुद्ध को नमन करें, हम धर्म को नमन करें।
वंदना करें संघ की, वंदना इस कर्म की।   हम समुदाय (संघ) को नमन करें, हम इस नेक कार्य को नमन करें।
न्याय मिले हर जीव को, यही है इच्छा धर्म की।   हर प्राणी को न्याय मिले, यही धर्म की सच्ची इच्छा है।
जय भीम! जय बुद्ध! जय हो, इस धम्मचक्र प्रवर्तन की।   डॉ. अंबेडकर की जय! बुद्ध की जय! इस धम्मचक्र प्रवर्तन की जय हो!

इमोजी सारांश (Emoji Summary) - हिंदी कविता
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--अतुल परब
--दिनांक-02.10.2025-गुरुवार.
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