पाशांकुशा एकादशी : हिंदी कविता-🙏 💖 🔗 🐘 🌿 🕯️ 🍚 🎁 😇 🕊️

Started by Atul Kaviraje, October 04, 2025, 02:31:21 PM

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Atul Kaviraje

पाशांकुशा एकादशी -

पाशांकुशा एकादशी : हिंदी कविता-

1. प्रथम चरण
आज है तिथि ग्यारहवीं, पावन शुक्ल पक्ष।
विष्णु नाम का जाप हो, हो जाए पाप-नष्ट।।
आश्विन मास सुहावना, मन में भक्ति-भाव।
पाशांकुशा का व्रत करें, मिट जाए भव-नाव।।

(हिंदी अर्थ): यह ग्यारहवीं तिथि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की है। इस दिन भगवान विष्णु के नाम का जाप करने से पाप नष्ट हो जाते हैं। यह पाशांकुशा एकादशी का व्रत करने से संसार रूपी नाव को पार किया जा सकता है।

2. द्वितीय चरण
मोह-माया का पाश जो, बांधे इस संसार।
उस पर अंकुश धर्म का, करता है उद्धार।।
केतुमान की कथा सुनो, जिसने ली यह राह।
अंतिम बेला में मिला, मोक्ष का विमल चाह।।

(हिंदी अर्थ): संसार में जो मोह-माया के बंधन हैं, उन पर धर्म का नियंत्रण ही हमारा उद्धार करता है। केतुमान नामक शिकारी की कथा इसका उदाहरण है, जिसने इस व्रत के माध्यम से अंत में मोक्ष की निर्मल इच्छा प्राप्त की।

3. तृतीय चरण
तुलसी दल और फूल से, करें पद्मनाभ को पूज।
घृत का दीपक जलाएँ, मन में प्रेम-अनुज।।
रात भर करें जागरण, नाम कीर्तन महान।
गाएँ हरी के गुण सदा, हो जीवन का कल्याण।।

(हिंदी अर्थ): हमें तुलसी के पत्ते और फूलों से भगवान पद्मनाभ (विष्णु) की पूजा करनी चाहिए। घी का दीपक जलाकर मन में प्रेम का भाव रखना चाहिए। रात भर नाम-कीर्तन करके जीवन का कल्याण करना चाहिए।

4. चतुर्थ चरण
दान-धर्म का पर्व है, अन्न-जल का दान।
भूखे को भोजन कराएँ, यह है सर्वश्रेष्ठ गान।।
निर्धन की सेवा करें, मन में हो न अभिमान।
तीरथ का फल प्राप्त हो, गाएँ विष्णु की शान।।

(हिंदी अर्थ): यह दिन दान-पुण्य का है, विशेषकर अन्न और जल का दान सबसे उत्तम है। बिना किसी अभिमान के गरीबों की सेवा करें। इससे सभी तीर्थयात्राओं का फल मिलता है।

5. पंचम चरण
व्रत में रहे संयम सदा, वाणी होवे शांत।
किसी जीव को न सताएँ, रहे मन निर्भ्रांत।।
क्रोध, लोभ को त्याग कर, करें आत्म-विचार।
शुद्ध हृदय से ही मिले, ईश्वर का शुभ-प्यार।।

(हिंदी अर्थ): व्रत में हमेशा संयम रखना चाहिए और अपनी वाणी को शांत रखना चाहिए। किसी भी प्राणी को कष्ट न पहुँचाएँ, मन भ्रमरहित रहना चाहिए। क्रोध और लोभ को त्याग कर आत्म-चिंतन करें, तभी ईश्वर का सच्चा प्रेम मिलता है।

6. षष्ठ चरण
पाप हमारे कटते हैं, जैसे घास का ढेर।
पारण करें द्वादशी को, न हो तनिक भी देर।।
ब्राह्मण-भोजन कराकर, तोड़ें व्रत की लड़ी।
प्रभु के चरणों में मन, रहे सदा ही खड़ी।।

(हिंदी अर्थ): इस व्रत से हमारे पाप घास के ढेर की तरह कट जाते हैं। द्वादशी को सही समय पर व्रत खोलना चाहिए। ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद ही व्रत की शृंखला तोड़ें। हमारा मन हमेशा प्रभु के चरणों में लगा रहे।

7. सप्तम चरण
पाशांकुशा की महिमा, है अपरंपार।
हरि के नाम के रंग में, रंग जा संसार।।
प्रेम और सद्भाव का, हो जग में विस्तार।
यह व्रत मुक्ति दे सभी को, बस यही है सार।।

(हिंदी अर्थ): पाशांकुशा एकादशी की महिमा अनंत है। भगवान विष्णु के नाम के रंग में सारा संसार रंग जाए। प्रेम और सद्भाव का विस्तार हो। यह व्रत सभी को मुक्ति दे, यही इसका मूल अर्थ है।

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--अतुल परब
--दिनांक-03.10.2025-शुक्रवार.
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