धावीर महापालखी-रोहा, जिल्हा-रायगड- श्री धावीर महापालखी:-👑 ⚔️ 🚓 🚶‍♂️ 🥁 🤝 💐

Started by Atul Kaviraje, October 04, 2025, 03:59:43 PM

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Atul Kaviraje

धावीर महापालखी-रोहा, जिल्हा-रायगड-

श्री धावीर महापालखी: हिंदी कविता-

1. प्रथम चरण
रोहा शहर का गौरव, धावीर महाराज नाम।
दशहरे के बाद शुरू, यह पालखी का धाम।।
भोर भई जब तीन को, शुक्रवार का दिन।
गूँजा जयकारा जोश से, हर भक्त का मन।।

(हिंदी अर्थ): रोहा शहर का गौरव श्री धावीर महाराज हैं। दशहरे के बाद यह पालखी उत्सव शुरू होता है। 03 तारीख को शुक्रवार की भोर होते ही, हर भक्त के मन में जोश से जयकार गूंज उठता है।

2. द्वितीय चरण
सबसे पहले सलामी, देती पुलिस की शान।
बंदूकों का मान-गान, यह शौर्य का विधान।।
ब्रिटिश काल से चली, यह अद्भुत सी रीत।
धावीर राजा रक्षक हैं, करते सबकी जीत।।

(हिंदी अर्थ): सबसे पहले पुलिस दल सम्मान के साथ सलामी देता है। बंदूकों का यह मान-गान शौर्य की परंपरा है। यह अद्भुत परंपरा ब्रिटिश काल से चली आ रही है। धावीर महाराज रक्षक हैं और सबकी जीत करते हैं।

3. तृतीय चरण
नंगे पाँव युवा चले, श्रद्धा की डगर।
उन्तीस घंटों का यह, कठिन सा सफर।।
गली-गली में पालखी, घर-घर को दे प्यार।
बन्धु भेट की रीति है, समरसता का सार।।

(हिंदी अर्थ): युवा लोग श्रद्धा से नंगे पाँव चलते हैं। यह लगभग 29 घंटों का कठिन सफर होता है। पालखी हर गली में जाकर घर-घर को प्यार देती है। भाई से भेंट करने की यह रीति सामाजिक सद्भाव का सार है।

4. चतुर्थ चरण
ढोल-ताशा की थाप पर, कोंकण का संगीत।
संबाळ की धुनें बजें, हर श्रद्धा का मीत।।
रांगोली सजी आँगन में, फूलों की है हार।
भक्तों की आँखों में बस, भक्ति का संचार।।

(हिंदी अर्थ): ढोल-ताशा की थाप पर कोंकण का संगीत बजता है। संबाळ की धुनें हर श्रद्धा के साथी के रूप में बजती हैं। आँगन में रांगोली सजी है, और फूलों के हार हैं। भक्तों की आँखों में बस भक्ति का संचार दिखाई देता है।

5. पंचम चरण
धाकसूत महाराज से, जब होती है भेंट।
प्रेम की धारा बहती, कट जाते सब रेट।।
गोंधळी आते दूर से, देते खंडोबा गान।
धर्म-कर्म की गाथा, होवे जिसका मान।।

(हिंदी अर्थ): जब धाकसूत महाराज से भेंट होती है, तो प्रेम की धारा बहती है और सब मनमुटाव कट जाते हैं। खंडोबा के गोंधळी दूर से आकर उनका गान गाते हैं। यह धर्म और कर्म की गाथा है, जिसका सम्मान होना चाहिए।

6. षष्ठ चरण
पालखी जब लौटती, थमता यह आनंद।
लेकर जाती रोग-शोक, मिटाती हर फंद।।
धावीर जी की कृपा से, हो गाँव का कल्याण।
सुख-समृद्धि भर जाए, पुण्य का हो ज्ञान।।

(हिंदी अर्थ): जब पालखी लौटती है, तो यह आनंद थमता है। वह अपने साथ रोग और शोक लेकर जाती है, और हर बंधन को मिटाती है। धावीर जी की कृपा से गाँव का कल्याण होता है। सुख-समृद्धि भर जाए और पुण्य का ज्ञान हो।

7. सप्तम चरण
कोकण के वीर प्रभु, तुम हो सबके साथ।
रक्षक बन खड़े हो तुम, लेकर अपना हाथ।।
जय धावीर महाराज की, अखंड यह विश्वास।
रोहा की हर साँस में, बसता तुम्हारा वास।।

(हिंदी अर्थ): कोंकण के वीर प्रभु, आप सबके साथ हैं। आप अपना हाथ लेकर रक्षक बनकर खड़े हैं। धावीर महाराज की जय का यह विश्वास अखंड है। रोहा की हर साँस में आपका वास है।

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--अतुल परब
--दिनांक-03.10.2025-शुक्रवार.
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