धावीर महापालखी-कोकबन, जिल्हा-रायगड- श्री धावीर महापालखी:-👑 🛡️ 🚶‍♂️ 🥁 🏡 💐

Started by Atul Kaviraje, October 04, 2025, 04:00:46 PM

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Atul Kaviraje

धावीर महापालखी-कोकबन, जिल्हा-रायगड-

श्री धावीर महापालखी: हिंदी कविता-

1. प्रथम चरण
कोकबन के धावीर प्रभु, तुम हो ग्राम का मान।
पालखी लेकर आते हो, देने अखंड ज्ञान।।
दशहरा बीता हर्ष से, अब भक्ति की रात।
तीन अक्टूबर की भोर में, दे दो सबका साथ।।

(हिंदी अर्थ): कोकबन गाँव के धावीर प्रभु, आप ही इस गाँव का गौरव हैं। आप पालखी लेकर आते हैं और अटूट ज्ञान प्रदान करते हैं। दशहरा उत्सव आनंद से बीत गया है, अब भक्ति की रात है। 03 अक्टूबर की भोर में आप सबका साथ दें।

2. द्वितीय चरण
रूप तुम्हारा जागृत है, तुम ही रक्षक वीर।
मिट जाए गाँव से सब, रोग-शोक की पीर।।
ताल-मृदंग बज रहे, हो रहा जयकार।
देवता का यह आगमन, लाता खुशियाँ हजार।।

(हिंदी अर्थ): आपका रूप जागृत है, आप ही वीर रक्षक हैं। आपकी कृपा से गाँव से सारे रोग और दुःख दूर हो जाते हैं। ताल और मृदंग बज रहे हैं और जयकार हो रहा है। देवता का यह आगमन हजारों खुशियाँ लाता है।

3. तृतीय चरण
नंगे पाँव सेवकों ने, पालखी संग चाल।
श्रद्धा का है यह बंधन, भक्ति का है यह हाल।।
गली-गली में घूमते, दर्शन देते आप।
मिटा दिया भक्तों का, सारा दुःख और ताप।।

(हिंदी अर्थ): सेवकों ने नंगे पाँव पालखी के साथ चलना शुरू किया है। यह श्रद्धा का बंधन है और भक्ति का भाव है। आप हर गली में घूमकर दर्शन देते हैं। आपने भक्तों का सारा दुःख और कष्ट मिटा दिया है।

4. चतुर्थ चरण
कोकण की यह संस्कृति, वाद्य का यह शोर।
ढोल-ताशा की थाप पर, नाचे सब ओर।।
रांगोली सजी द्वार पर, फूलों का है वास।
धन्य हुआ यह कोकबन, धावीर जी के पास।।

(हिंदी अर्थ): यह कोंकण की संस्कृति है, और वाद्ययंत्रों का यह शोर है। ढोल-ताशा की थाप पर सब तरफ नाच हो रहा है। द्वार पर रांगोली सजी है, और फूलों की खुशबू है। धावीर जी के आने से यह कोकबन गाँव धन्य हो गया है।

5. पंचम चरण
ओवाळणी हो आरती, श्रद्धा से भरपूर।
महाराज का आशीर्वाद, होता है मंजूर।।
फसल हमारी हरी हो, जल बरसे भरपूर।
धन-धान्य से भर जाए, सबका घर-नूर।।

(हिंदी अर्थ): आरती (ओवाळणी) श्रद्धा से भरपूर होकर की जाती है। महाराज का आशीर्वाद सबको मंजूर होता है। हमारी फसल हरी-भरी हो और पानी पर्याप्त बरसे। सबका घर धन और प्रकाश से भर जाए।

6. षष्ठ चरण
पालखी जब विश्राम को, लौटे अपने धाम।
छोड़ गई है गाँव में, शांति का पैगाम।।
मिल-जुलकर सब रहे हैं, एकता का भाव।
धावीर जी की कृपा से, हर संकट का दाँव।।

(हिंदी अर्थ): पालखी जब अपने स्थान पर विश्राम के लिए लौटती है, तो गाँव में शांति का संदेश छोड़ जाती है। सब लोग मिल-जुलकर एकता के भाव से रहते हैं। धावीर जी की कृपा से हर संकट का सामना किया जाता है।

7. सप्तम चरण
हे वीर हमारे प्रभु, तेरी लीला महान।
हम सब तेरे भक्त हैं, तू है सबका प्राण।।
जय धावीर महाराज की, सतत यह विश्वास।
कोकबन की माटी में, बसता तुम्हारा वास।।

(हिंदी अर्थ): हे हमारे वीर प्रभु, आपकी लीला महान है। हम सब आपके भक्त हैं, आप ही सबके प्राण हैं। धावीर महाराज की जय का यह विश्वास हमेशा रहेगा। कोकबन की मिट्टी में आपका वास है।

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--अतुल परब
--दिनांक-03.10.2025-शुक्रवार.
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