कालिका कासारपाल जत्रा-गोवा-1-🥁🙏

Started by Atul Kaviraje, October 04, 2025, 09:39:26 PM

Previous topic - Next topic

Atul Kaviraje

कालिका कासारपाल जत्रा-गोवा-

2 अक्टूबर 2025 की तारीख को गोवा में कालिका कासारपाल जत्रा होने की कोई विशिष्ट जानकारी उपलब्ध नहीं है। गोवा की जत्राएँ (यात्राएँ) आमतौर पर हिंदू पंचांग के अनुसार विभिन्न महीनों में आयोजित होती हैं। उदाहरण के लिए, शिरगाव की लईराई जत्रा मई के आसपास होती है।

गोवा के कासारपाल गाँव में स्थित श्री कालिका देवी मंदिर की महिमा और वहाँ होने वाली 'जत्रा' (उत्सव) पर आधारित एक भक्तिपूर्ण और विवेचनपरक लेख ।

श्री कालिका कासारपाल जत्रा - गोवा: शक्ति, आस्था और कोंकणी संस्कृति का संगम-

तिथि संदर्भ: 02 अक्टूबर, 2025 (गुरुवार)

🔱 Durga 🌴🥥 गोवा की शक्तिपीठ - माँ कालिका 🥁🙏

कालिका कासारपाल जत्रा गोवा की लोक-संस्कृति और गहन आस्था का एक अनुपम उदाहरण है। उत्तरी गोवा के कासारपाल गाँव में स्थित श्री कालिका देवी मंदिर गोवा के शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यहाँ की जत्रा (यात्रा) केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि कोंकणी और मराठी भाषी समुदायों की सांस्कृतिक विरासत का जीवंत प्रदर्शन है। यह पर्व माँ कालिका देवी की प्रचंड शक्ति, ग्राम देवताओं के समन्वय और प्रकृति के साथ मानव के गहरे संबंध को दर्शाता है। भक्तगण यहाँ आकर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने और दैवीय संरक्षण प्राप्त करने के लिए भक्तिभाव से देवी की आराधना करते हैं।

लेख के 10 प्रमुख बिंदु (उदाहरण, प्रतीक और इमोजी सहित)

1. मंदिर और देवी का परिचय (Introduction to the Temple and Deity) 🔱
देवी स्वरूप: यह मंदिर माँ कालिका को समर्पित है, जो देवी दुर्गा का एक रूप मानी जाती हैं, लेकिन यहाँ उन्हें शांत और सौम्य गृहणी स्वरूप में पूजा जाता है।

स्थानांतरण: यह मंदिर पुर्तगाली काल में मूलतः गाँव वेल्हे-गोवा से स्थानान्तरित होकर कासारपाल में स्थापित हुआ था, जो कोंकण क्षेत्र की धार्मिक सहिष्णुता को दर्शाता है।

प्रतीक: त्रिशूल 🔱 (देवी की शक्ति) और नारियल 🥥 (शुद्ध प्रसाद)।

2. जत्रा (उत्सव) का महत्व और काल (Significance and Timing of the Jatra) 🗓�
जत्रा का स्वरूप: जत्रा वार्षिक उत्सव है, जो कोंकण क्षेत्र में अन्न-उत्सव या किसी विशेष पर्व तिथि पर आयोजित होता है (जैसे: कार्तिक पूर्णिमा के आसपास)। यह ग्राम देवताओं को समर्पित एक सामुदायिक उत्सव है।

भक्ति भाव: यह लाखों भक्तों के भक्तिभाव, नृत्य, गान और विभिन्न अनुष्ठानों का केंद्र बन जाता है।

इमोजी: ढोल 🥁 और उत्सव झंडा 🚩।

3. लोक-नृत्य और संगीत (Folk Dance and Music) 💃🥁
रत्ननृत्य: जत्रा के दौरान घोडेमोडणी, रणमाल्ये, और विशेष रूप से 'रत्ननृत्य' (या राध नृत्यों) का आयोजन होता है, जिसमें स्थानीय कलाकार पौराणिक कथाओं का प्रदर्शन करते हैं।

भजन और कीर्तन: पूरी रात भजन और कीर्तन की गूंज सुनाई देती है, जो एक दिव्य और भक्तिमय वातावरण का निर्माण करती है।

उदाहरण: यहाँ के लोककलाकार देवी के समक्ष अपने कला कौशल का प्रदर्शन कर सेवा अर्पित करते हैं।

4. विशिष्ट अनुष्ठान और परंपराएँ (Unique Rituals and Traditions) 🔥🙏
नवरात्री के बाद: हालांकि जत्रा की तारीखें बदलती रहती हैं, नवरात्रि के बाद यहाँ विशेष पूजाएं होती हैं, जिनमें देवी की पूजा-अर्चा और हवन प्रमुख हैं।

दर्शन की कतार: भक्तगण घंटों कतार में लगकर देवी के मुख्य दर्शन और 'महाप्रसाद' को ग्रहण करते हैं।

इमोजी: दीपक 🔥 और माला 📿, अनुष्ठान का प्रतीक।

5. सामुदायिक एकजुटता और ग्रामदेवता (Community Unity and Gramdevta) 🤝
समन्वय: कालिका देवी को इस क्षेत्र की ग्रामदेवी (Village Deity) के रूप में पूजा जाता है। उनकी जत्रा पूरे ग्राम समुदाय को एक मंच पर लाती है।

समाज सेवा: जत्रा में सभी जातियों और वर्गों के लोग सेवा और भोजन वितरण (महाप्रसाद) में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।

इमोजी: परिवार 👨�👩�👧�👦 और हाथ मिलाना 🤝, सामुदायिक बंधन का प्रतीक।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-02.10.2025-गुरुवार.
===========================================