अपराजिता-लक्ष्मीपूजन: शक्ति, विजय और समृद्धि का त्रिवेणी संगम-1-👑 🏆 💰🌸🙏

Started by Atul Kaviraje, October 04, 2025, 09:43:18 PM

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Atul Kaviraje

अपराजिता लक्ष्मीपूजन-

02 अक्टूबर 2025 को विजयादशमी (दशहरा) का महापर्व है। इस दिन देवी अपराजिता (अपराजेय शक्ति) की पूजा और लक्ष्मी पूजन (धन-समृद्धि) का विशेष महत्व है।

अपराजिता-लक्ष्मीपूजन: शक्ति, विजय और समृद्धि का त्रिवेणी संगम-

तिथि: 02 अक्टूबर, 2025 (गुरुवार) - विजयादशमी

👑 🏆 💰 अजेय शक्ति और अक्षय धन का आह्वान 🌸🙏

अपराजिता-लक्ष्मीपूजन विजयादशमी के दिन किया जाने वाला एक अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। यह पूजा इस बात का प्रतीक है कि जीवन में विजय (अपराजिता) और समृद्धि (लक्ष्मी) दोनों ही अनिवार्य हैं। शक्ति (दुर्गा/अपराजिता) के बिना धन का सदुपयोग नहीं होता और धन (लक्ष्मी) के बिना शक्ति का विस्तार कठिन है। विजयादशमी, जो शक्ति उपासना के नौ दिनों के बाद आती है, देवी की विजयरूपा शक्ति और ऐश्वर्यरूपा लक्ष्मी दोनों को एक साथ पूजने का अवसर प्रदान करती है। यह उपासना भक्त को शारीरिक और आत्मिक रूप से सशक्त बनाने के साथ-साथ उसे आर्थिक रूप से समृद्ध भी करती है, ताकि वह धर्म और न्याय के मार्ग पर आगे बढ़ सके।

लेख के 10 प्रमुख बिंदु (उदाहरण, प्रतीक और इमोजी सहित)

1. देवी अपराजिता: अजेयता की शक्ति (Goddess Aparajita: The Power of Invincibility) 🛡�
देवी स्वरूप: 'अपराजिता' का शाब्दिक अर्थ है 'जो कभी पराजित न हो'। इन्हें आदिशक्ति दुर्गा का ही एक स्वरूप माना जाता है।

पौराणिक आधार: मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने लंका पर चढ़ाई करने से पूर्व और देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध करने के बाद, इसी दिन अपराजिता देवी का पूजन किया था।

इमोजी: ढाल 🛡� (संरक्षण) और शक्तिशाली हाथ 💪।

2. लक्ष्मी का आह्वान: धन और सौभाग्य (Invoking Lakshmi: Wealth and Fortune) 💰
महत्व: दशहरे के दिन अपराजिता के साथ धन की देवी लक्ष्मी का आह्वान करने की परंपरा है, जिससे प्राप्त विजय स्थायी रहे और समृद्धि बनी रहे।

पुष्प संबंध: विशेष रूप से, नीले अपराजिता फूल (Clitoria Ternatea) को लक्ष्मी को अर्पित किया जाता है, माना जाता है कि यह फूल धन को आकर्षित करता है।

प्रतीक: पैसों का थैला 💰 और कमल 🌸 (लक्ष्मी का आसन)।

3. पूजा का शुभ मुहूर्त: अपराह्न काल (The Auspicious Time: Aparahna Kala) ⏱️
काल विधान: अपराजिता पूजन मुख्यतः दशमी तिथि के अपराह्न काल (दोपहर के बाद, लगभग 1:46 PM से 3:21 PM तक) में किया जाता है, जिसे विजय मुहूर्त भी कहते हैं।

फल: इस मुहूर्त में पूजा करने से हर कार्य में विजय मिलती है और पूरे वर्ष शुभ फल प्राप्त होते हैं।

इमोजी: घड़ी ⏱️ और सूर्य ☀️ (अपराह्न का प्रतीक)।

4. शमी पूजन का समन्वय (Coordination with Shami Pujan) 🌿
स्थान: अपराजिता पूजन अक्सर गाँव या नगर की सीमा के बाहर किसी शमी (खेजड़ी) या अपराजिता के पौधे के पास किया जाता है।

शमी का महत्व: शमी को शक्ति और विजय का भंडार माना जाता है (पांडवों ने अपने शस्त्र शमी वृक्ष में छिपाए थे)।

उदाहरण: शमी के पत्ते (जिसे सोना माना जाता है) लक्ष्मी के सामने रखकर पूजा करने से धन-संपत्ति की वृद्धि होती है।

5. पूजन विधि का विधान (The Method of Worship) 🙏
अष्टदल चक्र: पूजा स्थल को स्वच्छ कर चंदन या कुमकुम से अष्टदल चक्र (आठ पंखुड़ियों वाला कमल) बनाया जाता है।

आवाहन: चक्र के मध्य में अपराजिता देवी का आह्वान किया जाता है, तथा दाहिनी ओर जया (शक्ति) और बायीं ओर विजया (विजय) शक्तियों का पूजन होता है।

इमोजी: पूजा थाली 🪔 और अगरबत्ती 🕉�।

--संकलन
--अतुल परब
--दिनांक-02.10.2025-गुरुवार.
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